Mastaram Stories पिशाच की वापसी
12-31-2020, 12:48 PM,
#8
RE: Mastaram Stories पिशाच की वापसी
पिशाच की वापसी – 8

चेहरे पे अजीब से खुदे हुये बड़े बड़े निशान, मानो किसी ने चेहरे को नोंच लिया हो, खून की बहती परत और अंदर की हड्डियाँ तक दिखाई दे रही थी, आधे होंठ गायब थे और आधी नाक कटती हुई थी, आँखें एक दम हरी हो चुकी थी, पर सबसे ज्यादा हैरान और रूह को हिला देनी वाली बात ये थी की वह शरीर किसी और का नहीं बल्कि खुद जावेद का था, जावेद तो थोड़ा पीछे होकर एक पल के लिए अकड़ ही गया था उसे शरीर को देख के, लेकिन उसे होश तो तब आया जब वह लाश गुराते हुई उसकी तरफ बड़ी..

"उहह एयाया…..ईएहह…

करते हुए वह लाश आगे बड़ी, जिसे देख के जावेद तेजी से पीछे मिट्टी में घिसटने लगा, वह शरीर अपने एक हाथ की मदद से आगे भी बढ़ने लगा, जावेद पीछे होने लगा, पर अचानक ही जावेद एक जगह जाकर रुक गया वह पीछे नहीं हो पाया, पीछे ट्रक खड़ा था और जावेद ठीक उस ट्रक के टायर के आगे आ चुका था, वह शरीर गुराते हुई आगे तरफ रहा था और बिलकुल करीब पहुंच चुका था, वह गुराया, इधर जावेद चीलाया, उस शरीर ने अपना वह एक हाथ उपर उठाया और जावेद की तरफ बड़ा, जावेद एक बार ज़ोर से चीलाया.

"नहियीईईईईईईईईईईईईई.....!

और फिर उस खामोश जगह पे एक बार फिर खामोशी छा गयी.

अपने हाथ से अपना चेहरा छुपाया, जावेद वहीं खड़ा था उसकी टॉर्च नीचे गिरी हुई थी, उसकी साँसें तेज चल रही थी, वह वहीं खड़ा था कुछ मिनट बाद उसने अपने चेहरे से हाथ हटाया, उसके चेहरे पे पसीने की बोंदें इतनी ठंड में उभर आई थी, डर चीज़ ही ऐसा है जिसे महसूस करके शरीर और आत्मा साथ छोड देती है, जावेद ने इधर उधर देखा और फिर नीचे गिरी टॉर्च को उठाया.

"वह सब क्या था, कोई सपना ही होगा, हकीकत तो नहीं हो सकती, पर जो भी था इतना भयानक आज तक मैंने कभी महसूस नहीं किया था"

जावेद ने अपने आप से कहा और जंगल की तरफ भी बढ़ने लगा, वह आगे निकल गया पर शायद जो उसने महसूस किया वह सच था, ट्रक से थोड़ी दूर वही हाथ पड़ा था जिसे जावेद ने फेंका था.

जावेद जंगल के अंदर घुस चुका था, अंदर घुसते ही जावेद ने महसूस किया की ठंड बहुत ही ज्यादा है यहाँ, उसको अचानक ही सांस लेने में दिक्कत होने लगी, वह गहरी गहरी सांस खींचने लगा, लेकिन उसको सांस नहीं आ रहा थी, तभी उसने अपनी नाक पे कुछ महसूस किया, उसने अपनी उंगली से अपनी नाक को छुआ तो उसने पाया की उसकी नाक के अंदरूनी सिरे में बर्फ जम गयी है, उसने फौरन उसे बर्फ को अपनी नाक से हटाया तब जाकर उसे सांस आई.

वह आगे कुछ करता की तभी उसके कानों में कुछ आवाज़ पड़ा, किसी के खांसने की आवाज़, जावेद पीछे घुमा और उसने उसे तरफ टॉर्च मर्री, लेकिन उसे टॉर्च में उसे कोई नहीं दिखा,

"कौन है"

बड़ी मुश्किल से उसने आवाज़ निकली.

"उन्हुंण… उन्हुंण…."

एक बार फिर किसी के खांसने की आवाज़ आई, वह धीरे धीरे उसे आवाज़ को ढूंढ़ने आगे की तरफ चल पड़ा, जैसे जैसे वह आगे बढ़ता वैसे वैसे उसे वह आवाज़ तेज होती जाती थी, वह कुछ मिनट तक उसे खामोश जंगल में आगे बढ़ता रहा की तभी उसे कोई दिखा, जो ठीक उसके सामने पेड़ के सहारे खड़ा था, अपना सर झुकाए, जावेद ने अपनी टॉर्च की रोशनी उस की तरफ करी हुई थी, उसकी जान, उसका शरीर इस वक्त ठंड से ज्यादा डर से कांप रहा था.

“कोन हो तुम"

जावेद ने उस इंसान से थोड़ा दूर खड़े रह कर सवाल किया.

"रास्ता भटक गया हूँ, ठंड लगी है, और भूख भी बहुत लगी है"
उसे तरफ से आवाज़ आई.

"पर तुमने अपना सर क्यों झुका रहा है, मेरी तरफ देखो"

जावेद ने वहीं खड़े रहना उचित समझा

"नहीं उठा सकता"

"अच्छा, तो फिर आओ मेरे पास में तुम्हारी मदद करूँगा, आओ"

जावेद ने उसे अपने पास बुलाने के लिए कहा.

"नहीं आ सकता, आप आ जाओ मेरे पास, में बहुत तकलीफ में हूँ, मेरी मदद कीजिए, प्लीज़ मेरी मदद कीजिए"

सामने से फिर धीरे धीरे रोने की आवाज़ आने लगी, जावेद ने एक बार तो एक कदम आगे बढाया और फिर वह अचानक से रुक गया और वह कुछ सोचने लगा, उसके माथे पे शिकन और गहरी होती चली गयी, उसकी आँखें उसके कुछ सोचने पर बड़ी होती चली गयी, उसने पाया की अभी थोड़ी देर पहले जो भी उसे आदमी के साथ बात हुई उसेमें एक फर्क था वह ये की जो में बोल रहा हूँ वह आवाज़ यहाँ गूँज रही है, पर जब वह बोल रहा है तो वह आवाज़ नहीं गूँज रही ऐसे कैसे, इतना सोच ही रहा था की अगले पल उसके दिमाग ने ज़ोर डाला और तब उसने रूह को हिला देना वाला सच पाया.

"ये तो मेरी ही आवाज़ है, जो वह इंसान बोल रहा है"

जावेद ने इतना कहा और कुछ कदम पीछे की तरफ हो गया.

"आप मेरी मदद नहीं करेंगे"?

सामने से बोलते हुये अचानक उस शरीर ने अपनी गर्दन उपर उठा ली, जिसे देख के जावेद की साँसें उखड़ने लगी, सामने उस चेहरे की हालत ही खौफनाक थी, चेहरा आधा जला हुआ था और उस जले हुये चेहरे की चमडी नीचे छोटे छोटे टुकड़ों में गिर रही थी मानो गल गयी और चेहरे से फिसल रही हो, दूसरी तरफ बड़े बड़े गढ्ढे हो रहे थे और उसेमें से खून रिस रहा था, आँखों के नाम पे सफेद रंग के पत्थर दिखाई दे रहे थे.

जावेद बुरी तरह से कांप उठा उसे देख के वह इस बार भी कोई और नहीं उसी का चेहरा था जो इस वक्त इतना भयानक दिखाई दे रहा था, वह शरीर जावेद की तरफ बढ़ने लगा, जैसे ही उसने बड़ना शुरू किया.

“मदद करो मेरी, मदद करो"

इतना बोलते हुई आगे बड़ा की उसका लेफ्ट पैर घुटनों के नीचे से टूट के अलग हो गया, वह शरीर टेडा हो गया, पर फिर भी जावेद की तरफ आने लगा, थोड़ा आगे चला की उसका दूसरा पैर भी घुटने के नीचे से टूट के अलग हो गया और वह शरीर नीचे गिर गया, लेकिन फिर भी वह नहीं रुका वह शरीर घिसट घिसट के जावेद की तरफ आने लगा, जावेद कुछ पल उसे शरीर को ऐसे ही देखता रहा लेकिन फिर एक ज़ोर दार चीख उसके मुंह से निकल गयी.

"नहियीईईईई….."

बोलते हुई वह वहां से भागने लगा, उसके कानों में बार बार यही आवाज़ आ रही थी

"मदद करो, मदद करो"

लेकीन जावेद नहीं सुन रहा था वह बस भागे जा रहा था, भागते भागते वह थक गया लेकिन जंगल खत्म नहीं हुआ, थक हार के वह एक पैर के सहारे खड़ा हो गया और हांफने लगा.

"ये जंगल खत्म क्यों नहीं हो रहा, यहाँ जरूर कुछ गड़बड़ है, मुझे मुख्तार साहब से मिलना ही होगा, उन्हें सब कुछ बताना होगा, यहाँ पे कुछ है जो ठीक नहीं हो रहा है"

जावेद हांफते हुए अपने आप से बोल ही रहा था की तभी उसे कुछ आवाज़ आई, अजीब सी चटकने की आवाज़, तभी उसे उसके हाथों पे कुछ महसूस हुआ, उसने महसूस किया जो हाथ उसका पेड़ पे था उसे हाथ पे कोई वजन है उसने उसे हाथ की तरफ देखा, तो उसे एक और झटका लगा जो की यहाँ आने के बाद ना जाने कितनी बार लग चुका था..

पूरा पेड़ बर्फ की चादर के नीचे थे, पर उसके लिए चिंता की ये बात थी की उसके हाथ पे बर्फ जमने लगी थी, जावेद ने फौरन उसे पीछे खींचने की सोची, पर वह चिपक गया था इसलिए खिच नहीं पाया.

“आ….आहह"

वह ताक़त लगा रहा था पर नहीं खिच पा रहा था, तभी उसके कानों में फिर वही आवाज़ पड़ी,

"मदत करो"

जो जंगल के अंधेरे में सी आ रही थी, जावेद की जान सूखने लगी, उसने पूरा दम लगाया और हाथ पीछे की तरफ खींचा, जैसे उसका हाथ पेड़ से अलग हो गया और पीछे की तरफ जा गिरा, पर ज़ोर ज़ोर सी चिल्लाते हुई छटपटाने लगा,

"आहह …. एयाया…आस….."

दर्द में करहता हुआ जावेद किसी तरह खड़ा हुआ, उसके हाथ से खून बह रहा था, उसके हाथों में बेहद जलन हो रही थी, उसकी हतेली का मास उसके हाथ में नहीं था, खींचने के चक्कर में उसकी खाल पेड़ पे ही चिपकी रही गयी..

कुछ मिनट तक वह ऐसे ही छटपटाता रहा, पर जैसे ही उसे वह आवाज़ और करीब से आने लगी तो वह फिर से भागने लगा बाहर की तरफ, और इस बार वह जंगल से बाहर निकल गया.
Reply


Messages In This Thread
RE: Mastaram Stories पिशाच की वापसी - by desiaks - 12-31-2020, 12:48 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,484,903 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,623 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,225,407 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 926,798 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,644,742 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,072,882 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,937,745 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,013,103 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,015,447 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,304 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)