RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और आँखें अखबार में गड़ाई हए बोली- “कुछ भी तो नहीं.."
प्रीति- आप कल जो हुआ उससे शर्मा रहे हो, और मुझसे बात नहीं कर रहे सुबह से।
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- भाभी कल जो कुछ भी हुआ, वो नार्मल था। हमने कोई गलत काम नहीं किया। बस मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं गई।
रूबी ने कुछ भी जवाव नहीं दिया।
प्रीति ने फिर से चुप्पी तोड़ी- “भाभी आपको अच्छा नहीं लगा क्या?"
रूबी- वो बात नहीं है।
प्रीति- तो क्या बात है, बताओ अच्छा नहीं लगा?
रूबी- ऐसी बात नहीं है।
प्रीति- तो इसका मतलब की आपको मजा आया।
रूबी ने कुछ नहीं बोला बस मुश्कुरा दी।
प्रीति- भाभी बोलो ना? मुझे तो बहुत मजा आया था। आप बताओ ना प्लीज।
रूबी- हाँ आया था।
प्रीति- तो फिर इसमें शर्माने की क्या बात है? कम से कम मेरे से तो मत शर्माओ। हम ननद भाभी कम और दोस्त ज्यादा हैं।
रूबी- ओके नहीं शर्माती बाबा... और कुछ?
प्रीति- और कुछ नहीं, बस कुछ देर बाद मैं अपने ससुराल चली जाऊँगी।
तभी कमलजीत वापिस आ गई, और कहा- "मैंने बात की थी। तुम्हारे पापा बोलते हैं कि ठीक है। राम को काम समझा दो और उसकी सेलरी की बात वो खुद कर लेंगे..."
रूबी- ठीक है मम्मीजी।
कमलजीत रामू को आवाज लगती है और राम उनके पास आता है।
रामू- जी बीवीजी?
कमलजीत- रामू कल से कामवाली नहीं आ रही है, तो तू सफाई का काम कर लिया कर कल से। तुम्हें इसके पैसे अलग से भी मिल जाएंगे। ठीक है?
रामू- ठीक है बीवीजी, कर लूंगा।
कमलजीत- “सरदारजी बता देंगे पैसों के बारे में। अभी तू बहू के साथ अंदर जाकर समझ ले क्या काम करना है
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