RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
प्रीति- भाभी आप बहुत अच्छी हो। आपको कोई भी मर्द ना नहीं बोल सकता। पर बात यह है की आप किसी में इंट्रेस्टेड नहीं हो, रामू के इलावा। तो आपके पास सिर्फ रामू ही आप्षन है।
रूबी- तो क्या करूं?
प्रीति- आप बताओ? आप यह काली रातें अकेले कैसे काटती है?
रूबी- नहीं।
प्रीति- भाभी मेरे विचार से आपको अपनी अंदर की औरत को शांत करने का पूरा हक है।
रूबी- पर मैं लखविंदर को चीट नहीं करना चाहती।
प्रीति- अरे भईया मर्द हैं। मर्द ज्यादा देर तक सेक्स से दूर नहीं रह सकते। आपको क्या लगता है की वो दुबई में सेक्स वर्कर के पास नहीं जाते होगे? वैसे ही आपको अपना हक मिलना चाहिए, और इसमें चीटिंग की बात नहीं है। अगर भईया यहां पे होते तो मुझे पूरा विश्वाश है की मेरी प्यारी भाभी कभी किसी और मर्द के बारे में नहीं सोचती।
रूबी- तो तुम क्या सलाह देती हो?
प्रीति-भाभी, आपको अपने दिल की बात सुननी चाहिए। मेरी तरफ से तो कोई प्राब्लम नहीं है। अगर राम आपको संपूर्ण औरत होने का एहसास दे सकता है तो आपको यह एहसास लेना चाहिए। बाकी जो आपको ठीक लगे वो करना। और अगर आप आगे बढ़ने का डिसाइड करते हो तो धीरे-धीरे संभाल के आगे बढ़ना। राम को एहसास करवाओ की उसे जो चाहिये वो मिलेगा, पर उसे थोड़ा सबर रखना होगा।
रूबी- मैं कैसे बात करूं उससे इस बारे में? अब तो डाक्टर ने उसे आराम करने को बोला है, और वो काम भी नहीं करेगा। और 3 दिन में सीमा वापिस काम पे आ जाएगी तो राम का घर के अंदर आना भी बंद हो जाएगा फिर से।
प्रीति- अरे भाभी आप बहत भोली हो। ऐसा करो आप फोन कर लो। आप उससे सारी कर लो, जो आपने उसे चोट पहुँचाई है बस।
रूबी- तब?
प्रीति- फिर क्या वो मर्द है? इतनी खूबसूरत औरत को नहीं छोड़ेगा इतनी जल्दी। आप फोन करना और फिर देखना वो खुद ही आगे बढ़ेगा। लेकिन आप खुद संभाल संभाल कर आगे बढ़ना। अच्छा रखती हूँ भाभी, सासू माँ बुला रही हैं कब से।
रूबी- ओके थैक्स प्रीति।
प्रीति- “अरे बैंक्स किस बात का भाभी? आई लोव यू। और हाँ हरजीत की कल से छुट्टियां हो रही हैं स्कूल में तो हम घूमने जा रहे हैं हफ्ते के लिए। अगर इस मामले में आपको कोई हेल्प चाहिए तो मैं हमेशा तैयार हूँ।
बाइ...”
रूबी- “बाइ डियर..." और फोन कट जाता है।
प्रीति से बात करने से रूबी को राहत मिलती है। उसके मन का बोझ कम हो गया था। उसने डिसाइड किया की वो राम के साथ के लिए आगे बढ़ेगी, और शाम को अपना बैग लेकर वापिस ससुराल आ जाती है।
कमलजीत- अरे बहू, तुम वापिस इतनी जल्दी आ गई?
रूबी- मम्मीजी राम ठीक नहीं है तो आपको काम करना पड़ता है। इसलिए मैं वापिस आ गई।
कमलजीत- अरे तो क्या हुआ, अगर दो चार दिन में काम कर लेती?
रूबी- कोई बात नहीं मम्मीजी। अब मैं काम संभाल लूंगी।
रात को खाना खाने के बाद सभी बातें करने लगे और रूबी का ध्यान राम की तरफ था। तभी उसने हरदयाल के फोन से राम का नंबर चोरी कर लिया, और अपने फोन में सेव कर लिया।
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