RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
इधर रूबी राम को काम समझाकर खुद भी जानबूझ के अपने आप को काम में बिजी कर लेती है। उसे लगता है की अगर वो फ्री रही तो कहीं मम्मीजी उसको अपने से बातें करने को ना बुला लें। अगर वो अपने आपको बिजी शो करेगी तो मम्मीजी कभी ना कभी उन दोनों को अकेला छोड़ सकती है। इसलिये रूबी जानबूझ कर अपने कमरे में समान को इधर-उधर करने लगती है।
रामू का ध्यान अपने काम में कम और किचेन की तरफ ज्यादा था, जहां पे कमलजीत अपना काम कर रही थी। ना जाने कब कमलजीत उसे मौका देगी रूबी से मिलने का? किचेन का काम खतम करने के बाद आखीरकार, उन दोनों को मौका मिलता है।
कमलजीत- रूबी क्या कर रही हो?
रूबी- कुछ नहीं मम्मीजी, बस कमरे का समान ठीक से रख रही हूँ।
कमलजीत- अच्छा जब फ्री हो गई तो आ जाना। मैं बाहर बैठकर अखबार पढ़ने लगी हैं
रूबी- ठीक है मम्मीजी।
आखीरकार, कमलजीत घर के बाहर बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ने लगती है। कमलजीत के जाने के बाद रूबी अब इंतेजार करती है की कब राम उसकी तरफ बढ़ेगा। अपने आपको काम में बिजी शो करती है।
इधर रामू से ज्यादा इंतेजार नहीं होता और कमलजीत के बाहर जाते ही एक-दो मिनट में वो रूबी के कमरे की तरफ दबे पैर बढ़ता है और रूबी के कमरे में दाखिल होता है। रूबी का ध्यान उसकी तरफ ही था और उसे राम के अपने कमरे में दाखिल होने की आहट हो जाती है। राम कुछ देर रूबी को काम करते देखता रहता है। इधर रूबी समझ नहीं पा रही थी के राम अब आगे क्यों नहीं बढ़ रहा। और तभी।
रामू- रूबी जी।
रामू के मुँह से अपना नाम सुनकर रूबी की सांस गले में ही अटक जाती हैं। उधर रामू रूबी के पीछे खड़ा हो जाता है। उन दोनों में बस थोड़ा सा ही फासला होगा।
रामू- रूबी जी।
रूबी को कल की हुई बातें याद आती हैं, और वो रामू का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। उसे शर्म आ रही होती है की कैसे उसने कल उत्तेजित होकर चुदवाने और लण्ड की बातें की थी। रूबी का कोई रेस्पान्स नहीं मिलता देखकर रामू आगे बढ़कर रूबी का हाथ थाम लेता है और उसको अपनी तरफ खींचता है। इस खींचतान में रूबी रामू के बिल्कुल आमने सामने खड़ी हो जाती है। हालांकी उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया हुआ था। रामू समझ जाता है की रूबी शर्मा रही है।
रामू रूबी के चेहरे को थोड़ा ऊपर करता है। रामू इस हसीन चेहरे को देखता ही रह गया। कितना खूबसूरत चेहरा है रूबी का। मोटी आँखें, गुलाबी होंठ। जिनका रामू ने उस दिन रस पिया था। आज वो होंठ उसे फिर से इन्वाइट कर रहे थे। राम आगे बढ़ता है और अपने होंठ रूबी के होंठों पे रखने का प्रयास करता है। तभी रूबी पीछे हट जाती है।
रामू- क्या हुआ रूबी जी?
रूबी कुछ नहीं बोलती बस शर्माकर अपना चेहरे नीचे को ही रखती है।
रामू- कुछ तो बोलिए रूबी जी। उस दिन भी तो हमने किया था, आपको अच्छा नहीं लगा था क्या?
रूबी- नहीं रामू तुमने वादा किया था की मेरी मर्जी के बिना कुछ नहीं करोगे।
रामू- “रूबी जी वो तो चोदने की बात की थी... और रामू जानबूझ के चोदने जैसे शब्द इश्तेमाल करता है। जिससे रूबी धीरे-धीरे उसके साथ खुलना शुरू हो जाए।
उधर रूबी चोदने वाला शब्द सुनकर शर्म से पानी-पानी हो जाती है।
राम- अगर आपको डर है की हम अपने ऊपर काबू नहीं कर पाएंगे तो हम आपकी कसम खाकर बोलते हैं आपको दिक्कत नहीं होने देंगे कोई भी। आपको मेरी कसम कुछ तो बोलिए?
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