RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी स्वर्ग की सैर पे दुबारा निकल जाती है। रूबी की चूत दुबारा से गीली हो जाती है, और रामू अपनी उंगली को रूबी के चूतरों की दरारर के बीच में घुसा देता है और उंगली को आगे-पीछे करने लगता है, मानो जैसे कुछ ढूँढ़ रहा हो। तभी उसकी उंगली रूबी की गाण्ड के छेद पे टिक जाती है और राम थोड़ा सा दबाव बनाकर उंगली को गाण्ड के छेद में डाल देता है।
रूबी- “राम्मू उम्म... आहह.."
रामू- कैसा लग रहा है मेरी जान?
रूबी- “आह्ह.. बहुत अच्छा मेरे राजा..."
पहली बार रूबी की गाण्ड के अंदर कोई चीज बाहर से प्रवेश कर रही थी। ऐसा अनुभव तो रूबी को पहले कभी था। वो अपने आपको रोक नहीं पाती और अपने होश में नहीं रहती और मदहोशी के आलम में अपनी कमर को आगे-पीछे करने लगती है। उसके आगे-पीछे करने से राम की उंगली उसकी गाण्ड के छेद में और भीतर तक घुस जाती है। इस मदहोशी में रूबी रामू के लण्ड को और जोर से हाथ में पकड़ लेती है और तेजी से मसलने लगती है।
रामू की हालत भी इधर बुरी थी। बड़ी मुश्किल से वो अपने ऊपर कंट्रोल कर पाता है। रूबी अपनी गाण्ड को और तेजी से आगे-पीछे करने लगती है और जोर-जोर से आहें भरने लगती है।
रूबी- “आहह... आऽऽ उफफ्फ... मर जाऊँगी राजा उफफ्फ... मेरी जान... मर गई मैं तो... ले लो मेरी राम उफफ्फ... ओहह..."
उसकी आंहों से पूरा कमरा भर जाता है, और जल्दी ही उसकी चूत का रस उसका साथ छोड़ देता है। आज वो पहली बार एक दिन में इतने कम टाइम में दो बार झड़ी थी। थक कर चूर हुई रूबी रामू के लण्ड को मसलना भी भूल जाती है। वो बस रामू के चेहरे को देखती रहती है।
रामू नीचे झुक कर उसके होंठों पे किस करता है और पूछता है- “कैसा लग रहा है मेरी जान?”
रूबी- “आई लोव यू राम..” और रामू के होंठों पे अपने होंठ रख देती है।
राम- "आपकी सिसकियों से तो पूरा कमरा भर गया था। मुझे तो डर था की कही मालेकिन बाहर बैठी ना सुन लें.." और रामू रूबी की गाण्ड में पेली हुई उंगली को अपने होंठों में लेकर चूसता है।
रूबी शर्म से अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है।
रामू उसके पास आता है और कहता है- “मेरी जान मुझे तो पूरा कर दो..."
रूबी को तब याद आता है की राम तो अभी तक झड़ा ही नहीं है। कोई और होता तो अभी तक झड़कर थक गया होता। पर रामू का लण्ड अभी तक सख्त था। उसे लगता है की अब उसे शर्म छोड़ देनी चाहिए। रामू ने आज उसे दो बार चरमसुख दिया था। अब तो रामू का साथ देना चाहिए और उसे भी शांत करना चाहिए। वो रामू का लण्ड पकड़ती है और उसे मसलने लगती है। कुछ देर बाद।
रामू- मेरी जान मुँह में लो ना?
रूबी शर्माकर मना कर देती है।
रामू- प्लीज करो ना... तुम्हारे रसीले होंठों का प्यार पाने को तड़प रहा है।
रूबी फिर से मना कर देती है और अपने हाथों की रफ्तार बनाए रखती है। राम के बार-बार फोर्स करने पे भी भी नहीं मानती।
इधर रामू का बुरा हाल हो रहा था। वो झड़ने की कगार पे पहुँच चुका था। वो रूबी को पकड़कर नीचे लेटाता है
और खुद उसके ऊपर आकर उसके उभारों के बीच में लण्ड रखकर रगड़ने लगता है। रूबी के हाथों को पकड़कर उसके उभारों पे रखकर दबाता है, जिससे उसके लण्ड को ज्यादा घर्षण मिल सके। रूबी आँखें बंद किए उसका पूरा साथ देती है और खुद ही अपने हाथों से अपने उभारों को आपस में चिपका देती है। रामू चरमसुख की ओर बढ़ रहा था और और अपनी कमर हिला-हिलाकर रूबी के उभारों को चोदने लगता है।
तभी रूबी के फोन की रिंग होने लगती है। दोनों चौंक पड़ते हैं। रूबी आँखें खोलकर रामू की तरफ देखती है और पाती है की रामू तो अपनी ही दुनियां में खोया हुआ है। उसे तो बस अपना वीर्य निकालने से मतलब था। रूबी का दिल भी रामू को बीच में छोड़कर फोन उठाने को नहीं करता। रामू आँखें बंद किए हुये रूबी को चोदने की कल्पना करता है। उसके चेहरे पे टाइटनेस आ जाती है और तभी उसका वीर्य निकलने लगता है।
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