Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-30-2021, 12:08 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
कड़ी_49

सुबह हो जाती है, और आज के दिन सुखजीत का अपने घर वापिस पटियाला जाने का होता है। रीत और सुखजीत दोनों ही अंदर ही अंदर उदास होती हैं। क्योंकी उन दोनों गाँव में जितने मजे और स्वाद लिए थे, उतने मजे उन्होंने अभी तक अपने शहर में भी नहीं लिए थे। लेकिन अब उन्हें जाना तो पड़ेगा ही। तभी रीत के यार मलिक का मेसेज आता है।

मलिक- “गुड मार्निंग मेरी जान, अब तबीयत कैसी है?

रीत- तबीयत तो ठीक है यार मेरी, पर आज हम वापिस घर जा रहे हैं।

मलिक को ये सुनकर टेन्शन हो जाती है, क्योंकी उसने अभी तक अपना लण्ड अच्छे से नहीं डाला था उसकी चूत में- :यार प्लीज़्ज़... एक या दो दिन के लिए रुक जाओ प्लीज़्ज़.."

रीत- नहीं यार मम्मी पापा नहीं मानेगें।

मलिक- जान एक बार, एक बार प्लीज़्ज़... जाते-जाते कमाद में मिलने के लिए आ जा।

रीत- नहीं यार मुश्किल है बाहर निकलना।

मलिक- "तू पिंकी को लेकर आ जा यार, कोई बहाना मारकर प्लीज़्ज़..."

रीत- चलो ठीक है, मैं आती हूँ तैयार होकर।

रीत फिर नहा धोकर तैयार हो जाती है। रीत ने काले रंग का सूट डाला हुआ था। टाइट कमीज और नीचे धोती वाली सलवार रीत ने डाली हुई थी। सिर पर उसने बालों की पोनीटेल बनाई थी। रीत पूरी कमाल की टीन पंजाबन लग रही थी। फिर वो पूरी तरह से तैयार होकर रीत के पास जाती है। वो रीत को सारी बात बता देती है। फिर वो दोनों घर से बाहर निकल गई।

दूसरी तरफ सुखजीत भी तैयार हो जाती है, उसने ब्लू कलर का सूट डाला हुआ था। कमीज एकदम उसके पेट से चिपकी हुई थी, जिसमें उसकी चूचियां एकदम साफ-साफ नजर आ रही थीं। सुखजीत के फूले हुए चूतरों ने उसके सूट के पल्ले को उठा रखा था। सुखजीत अभी-अभी तैयार हुई थी, तभी उसके यार बिटू का फोन उसके पास आ जाता है।

सुखजीत- हेलो।

बिटू- मैंने सुना है, आज तू घर वापिस जा रही है।

सुखजीत- हाँ एकदम ठीक सुना है।

बिटू- “हरपाल को एक बार कह तो सही, की ये जट्टी जाट के मुँह में मुँह डालकर रहना चाहती है। तू चली जा अपनी बेटी को साथ लेकर..."

सुखजीत- “हाए मैं मर जाऊँ, ये जट्टी तो खुद चाहती है की अपने असली जाट के मुँह में मुँह डालकर रहूं। पर क्या करूँ उस सरदार ने भी तो मेरी लेनी है..."

बिटू- “तभी तो तेरा सरदार तेरी चूत मारता नहीं। तेरी जैसी कमाल की औरत को तो मेरे जैसा लंबा मोटा लण्ड चाहिये। ताकी तुझे कभी उंगलियों से टाइम ना पास करना पड़े। अच्छा चल अब आखिरी बार मिल ले यार..."

सुखजीत- “नहीं नहीं बिटू, अब नहीं आया जाएगा..."

बिटू- आ जा भाभी जहाँ पर भैंसें बँधी हुई हैं। वहां पर परली पड़ी हुई है, उसके पीछे आ जा जल्दी से।

सुखजीत- अब क्या करना है मिलकर?

बिटू- जाते-जाते एक बार मिल तो जा, फिर पता नहीं तूने कब आना है गाँव में।

सुखजीत- ठीक है, मैं आती हूँ।

सुखजीत रूम से बाहर निकलती है और देखती है की हरपाल कार में सामान रख रहा होता है। और सुखजीत मोका देखकर वहां से खिसक जाती है। वो वहीं पर जाती है यहाँ उसके यार बिटू ने उसे बुलाया था। सुखजीत को डर लग रहा था, की कहीं कोई बिहारी उसे ना देख ले। क्योंकी सारे काम करने वाले बिहारी ही वहां पर रहते थे। फिर उसे वो जगह दिख जाती है, जहाँ उसे बिटू ने आने को कहा था।

वो वहां जाती है, और देखती है की वहां बिटू पहले से खड़ा उसका इंतेजार कर रहा था। बिटू सुखजीत को देखते ही उसको कसकर अपनी बाहों में भर लेता है, और अपने हाथों से उसके चूतरों को कसकर मसल देता है। सुखजीत की आँखें एकदम से बंद हो जाती हैं, सुखजीत अपने दिल का डर दूर करने के लिए बोली।

सुखजीत- “यहाँ पर कोई बिहारी तो नहीं है ना, कहीं एक और स्यापा ना पड़ जाए.."

बिटू- नहीं यार, वो बहनचोद सारे गये हुए हैं।

सुखजीत- ठीक है, अब मुझे जाने दो भाईजी।

बिटू सुखजीत को उठाकर परली पर फेंक देता है, और खुद उसके ऊपर आकर वो बोला- “बहनचोद अकेले में भी भाई-भाई कहती है तू मुझे, अकेले में तो मैं अब तेरा यार हूँ। मैं तो कहता हूँ, तू यहीं पर रह मैं तेरी दिन रात गाण्ड भी मारूँगा."

सुखजीत- “भाईजी मुझे तो आज अपने परिवार के साथ जाना ही होगा, और वैसे भी मैं कौन सा आपको छोड़कर जा रही हूँ। जब भी आपका दिल करे आ जाना पटियाला। और अब तो मुझे जाने दो, आज मेरा सरदार पूरे होश में है...”

बिटू तभी सुखजीत के कमीज के बड़े से गले में हाथ डालकर उसकी चूचियां बाहर निकाल लेता है, और उसकी चूचियों के निपल पर जीभ रगड़कर बोला- "तेरा सरदार होश में है, पर तेरा यार तो अभी भी तेरे नशे में है.."

बिटू की बातें सुखजीत को गरम होने पर मजबूर कर रही थी। पर सुखजीत चाहते हुये भी कुछ नहीं कर सकती थी। हरपाल कभी भी उसे बुलाने के लिए उसके रूम में आ सकता था। इसलिए वो अपने ऊपर बहुत मुश्किल से कंट्रोल करती है, और फिर उसका मुँह अपनी चूचियों से अलग करके अपनी चूचियां वापिस से अंदर डालकर बोली।

सुखजीत- “बस भाईजी अब मुझे जाने दो प्लीज़्ज...”

बिटू भी समझ जाता है, की जट्टी ने आज कुछ नहीं करना। इसलिए वो जाते-जाते सुखजीत के होंठों को अच्छे से चूसकर, उसकी गाण्ड में दो उंगलियां डालकर सुखजीत को विदा करता है। सुखजीत भी अपने सूट को साफ करके और अपनी चूचियों को अच्छे से सेट करके वहां से निकल पड़ती है।
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RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा - by desiaks - 01-30-2021, 12:08 PM

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