RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
उसके भाई की आँखों में ठरक और सेक्स भरा हुआ था। वो धीरे-धीरे अपने पाजामे के अंदर लण्ड को मसल रहा था। नेहा ने ये सीन अपनी लाइफ में पहली बार देखा था। उसने कभी किसी लड़के के साथ ऐसी बातें नहीं की थी, जैसी उसने आज समर से की। शायद वो उसका भाई था इसलिए नेहा के मन में भी डर नहीं बचा था। वो तो बिना किसी फिकर के अपने भाई के पाजामे में बनी उसके लण्ड की शेप देख रही थी। लण्ड तो बहुत अच्छा और तगड़ा लग रहा है इसका। कितने प्यार से हिला रहा है अपना लण्ड। काश मैं समर के लण्ड को देख पाती। एक असल लण्ड का दीदार कर पाती। मगर कैसे? कैसे ये लण्ड पाजामे से बाहर निकाले वो? नेहा के मन में गंदे ख्याल घूम रहे थे।
उसे अब अपने भाई का लण्ड देखना था। उसकी चूत का यही हुक्म था, नेहा ने अपनी गाण्ड घुमाई, और कहा “अच्छा लग रहा है ना समर?"
समर के लण्ड ने झटका मारा। उसकी बहन उसे मूठ मारते देख रही थी, मगर वो अब रुकने नहीं वाला था। वो रुक नहीं सकता था- “एम्म... ओहह...” करके समर सिसकियां भर रहा था।
नेहा- “समर... तुझे ऐसे पाजामे में मूठ मारने में परेशानी नहीं हो रही... ये सही तरीका थोड़ी है। मूठ मारते वक्त पेनिस खुलकर हवा में होना चाहिये। असली मजा तो तब आता है। मैं सोचती हूँ की तुझे अपना पेनिस बाहर निकाल लेना चाहिये..." नेहा मन गढ़ंत कहानी बना रही थी। उसे तो बस लण्ड देखना था।
समर फिर दुविधा में फँस गया। मगर अब उसका दिमाग सही से नहीं सोच पा रहा था। आखीरकार वहां तो बस सेक्स और उसकी दीदी का बदन घूम रहा था। मन में- “मैं ऐसा तो बिल्कुल नहीं कर सकता। अपनी बहन को अपना लण्ड नहीं दिखा सकता। मगर अपनी बहन के सामने मूठ तो मार ही रहा हूँ। मेरी बहन भी बड़े आराम से अपनी गाण्ड दिखा रही है। जब इतना कुछ हो चुका है फिर लण्ड बाहर निकालने में क्या जाता है? मैं तो खुद चाहता हूँ आराम से लण्ड बाहर निकालकर मूठ मारना, मगर अपनी बहन के सामने..” समर ये सब सोच रहा था।
नेहा- “समर... अपनी दीदी की बात मान और अपना पेनिस बाहर निकाल..." नेहा ने बोला।
समर- “आपके सामने नहीं कर सकता दीदी..” समर ने कहा।
नेहा- “फिर शर्मा रहा है तू? चल समझती हूँ मैं। ओके... मैं पीछे नहीं देखूगी। नहीं देखूगी तेरे पेनिस को। बस तू मेरी गाण्ड को देख और बाहर निकाल उसे। और आराम से मूठ मार..."
नेहा बोली और आगे मुँह करके खड़ी हो गई। एक बार लण्ड बाहर निकल जाए फिर तो वो किसी ना किसी तरह उसे देख ही लेगी। समर ने देखा की नेहा अब नहीं देख रही है। क्या मैं निकाल लूँ लण्ड बाहर? उसने सोचा।
नेहा- “निकाला...” नेहा ने पूछा।
समर- “क्या करूं? मन तो बहुत कर रहा है..” उसने अपने पाजामे के नाड़े पकड़ा।
नेहा- “निकाला समर?”
सब कुछ भूलकर समर ने अपने कपड़े नीचे सरका दिए।
नेहा- “निकाला या नहीं?"
“हम्म्म्म
..” समर बोला, और उसका तना हुआ लण्ड खुली हवा में आ गया।
समर का लण्ड अब बाहर था। ऐसा लगा जैसे वो लण्ड आजादी की साँस ले रहा हो। समर का लण्ड 5/" इंच का था। उसे अपना लण्ड पसंद था। आज तो वो और ज्यादा लंबा हो गया था। अपनी बहन के सामने लण्ड प्रदर्शन करने से वो और भी ज्यादा उत्तेजित था। उसने अपने इंडे को पकड़ा और उसे ऊपर-नीचे करने लगा। उसकी आँखों के सामने इतना सुंदर दृश्य था।
उसकी नेहा दीदी... इतने छोटे कपड़ों में। उसकी टाँगें, उसकी बाहें, उसके निपल, उसकी गाण्ड, सब समर को पागल कर रहे थे। मगर वो जितना हो सके उतना आराम से मूठ मार रहा था। वो जितना हो सके उतनी देर इस पल का मजा लेना चाहता था।
नेहा- “तेरा पेनिस बाहर है ना समर.." नेहा ने पूछा।
समर- “हाँ... दीदी..” समर ने कहा।
ये सुनकर नेहा की चूत टपकने लगी, दो बूंदें और बही उसकी चूत से। उसके गुलाबी निप्पल टाप के अंदर और ज्यादा तन गई। मन किया की बस मुड़ जाए और देख ले उसका लण्ड। मगर ऐसा करने से समर घबरा जायगा
और सब खतम हो जायेगा। उसे कुछ और सोचना था।
नेहा- “गुड समर... अब आराम से, प्यार से खेल अपने पेनिस से। जितना हो सके आनंद ले इस पल का, और अपने पेनिस को भी लेने दे.." नेहा बोली।
समर बिल्कुल अपनी बहन की बात मान रहा था।
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