RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
इसके बाद मैं सीधा डॉली दीदी की चुत पर टूट पड़ा। मैंने उसके दोनों बुरड़ों को पकड़ कर अपने से चिपका लिया.. जिससे मेरा लंड उसकी चुत पर रगड़ने लगा। मेरे लंड ने भी अपने जाने का रास्ता देख लिया था, सो मैंने वहीं डॉली डार्लिंग को बालू पर लिटा दिया और लंड को चुत के मुँह पर रख कर एक जोरदार झटका दे मारा। मेरा पूरा लंड एक बार में दीदी की चुत में घुसता चला गया।
उसके मुँह से जोर से ‘आअहह..’ की आवाज़ निकली, तो मैं उसकी चुत के पास अपनी हाथ से सहलाने लगा। थोड़ा देर यूं ही चुत को सहलाने के बाद मैं लंड को आधा बाहर निकाल कर चुत में अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उससे घोड़ी बनने को बोला.. तो वो बन गई। मैं पीछे से उसकी चुत में लंड डाल के ‘घाप.. घाप..’ धक्के मारने लगा।
वो भी मजे से मादक सीत्कारों के साथ दीदी की चुत की चुदाई का मजा उठाने लगी। डॉली ‘आआह.. ऊऊओहुउउ..’ की आवाज़ करने लगी। लेकिन उससे ज्यादा तेज आवाज़ समंदर की लहरों की थी। कुछ देर चुदाई का खेल चला.. फिर मैंने उसको गोद में उठा लिया तो दीदी ने अपने दोनों पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया। मैंने उसके बुरड़ों को अपने हाथों में सम्भाल रखे थे।
अब मेरा लंड उसकी चुत में फनफनाते हुए अन्दर जा रहा था.. फिर बाहर आ रहा था। इस खेल में उसकी चुची से मेरा सिर फुटबाल खेल रहा था। बीच-बीच में मैं उसके निप्पलों को भी चूस रहा था और चुत में झटके भी मार रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद हम दोनों अलग हुए और मैं समंदर के पानी के ठीक पास पीठ के बल लेट गया.. जिससे समंदर का पानी जब आता तो मेरे पैर तक छू कर लौट जाता था। मैं लेटा तो दीदी अपने मन से ही मेरे लंड पर बैठ गई और खुद से चुदने लगी।
मैं भी नीचे से लंड के झटके मार रहा था और सामने उसकी चुची उछाल मार रही थीं, जिनको देख कर मैं और भी जोर-जोर से झटके मारने लगा। वो भी जोर-जोर से आहें भरने लगी, ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी जो कि वहाँ के पूरे वातावरण में गूँज रही थी।
उधर समुंदर का पानी भी जब आता था, तो हम दोनों भिगो कर चला जाता था। दरिया का ठंडा पानी और हम दोनों के गरम शरीर.. अह.. बहुत मजा आ रहा था।
कुछ देर उसी पोज़ में धकापेल चोदा चोदी हुई.. फिर 4-5 आसनों में और चुदाई की। फिर हम दोनों झड़ गए और कुछ देर वहीं लेटे रहे।
फिर कुछ देर बाद अपने शरीर से रेत झाड़ कर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहन लिए।
अब तक रात के 9 बज चुके थे.. हम दोनों होटल के कमरे में आए और यहीं फ्रेश हो कर खाना मंगा कर खाना खा कर बिस्तर पर आ गए।
वो बिस्तर पर आते ही मचल कर मेरी बांहों में आ गई और बोली- क्या बात है आज बहुत मूड में थे.. लगता है बहुत दिनों से कोई मिली नहीं है।
मैं बोला- तुम भी तो मूड में थीं। वैसे मुझे मिलती तो बहुत हैं.. लेकिन सब में वो बात नहीं है.. जो तुम में है। वैसे भी तुम मेरी बीवी हो.. तुमको जितना भी प्यार करता हूँ, कम ही लगता है। वैसे आज खुले आसमान के नीचे मज़े करके कैसा लगा?
वो बोली- पहले थोड़ा डर लगा, लेकिन मजा बहुत आया।
‘अब तुम कल का बताओ, क्या प्रोग्राम है?’
तो वो बोली- कल कहीं घूमने चलेंगे.. ओड़ीसा में घूमने की बहुत जगह हैं। कोणार्क मंदिर चलते हैं और बाकी कल सोचा जाएगा। अभी पहले रात का प्रोग्राम बनाते हैं।
ये बोल कर मैंने उसको अपने तरफ़ खींच लिया।
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