Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
02-23-2021, 12:32 PM,
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
आज सुबह से ही मेरी चूत फड़क रही थी। मुझे अहसास हो रहा था कि आज कुछ होने वाला है लेकिन मुझे इसकी उमीद नहीं थी कि मैं भाई के साथ घर से इतनी दूर इस होटल में अकेले एक कमरे में होंगी।

पिछले कई महीनों से मैं एक किसी ऐसे ही अवसर की तलाश में थी. उस रात भाई को देख कर मेरे मन में एक ही तमन्ना बार बार उठ रही थी कि वो अपनी मजबूत बांहों में भर कर मुझे पूरी रात प्यार करे.

मैं उसके सेक्सी बदन को भोगना चाह रही थी. मगर अभी भी हमारे बीच में बहन-भाई के रिश्ते की दीवार सी खड़ी थी. उस दीवार को लांघने की हिम्मत भी नहीं हो पा रही थी मुझसे.

प्रीति:

उस दिन के बाद से मेरे कॉलेज की हर लड़की मेरे भाई के बारे में ही पूछती रहती थी. यहां तक कि मेरे एक्स ब्वॉयफ्रेंड आशू की गर्लफ्रेंड आयशा भी मेरे भाई पर लाइन मारने लगी थी.

धीरे धीरे भाई की तरफ मेरा आकर्षण बढ़ने लगा. उसका कसरती बदन और सिक्स पैक एब्स मुझे उसकी ओर खींचते थे. मेरी चूत फड़कने लगी थी और मैं अपने भाई से चुदना चाह रही थी.
मेरी दोस्त आयशा ने मुझे भाई बहन की चुदाई की कहानी बताई थी. मैं भी अब कुछ ऐसा ही अनुभव लेना चाहती थी.

एक दिन वो मौका भी मुझे मिल गया जब मुझे अपने अपने छोटे मामा की शादी में जाना था. अपने भाई के साथ मैं कार में जा रही थी लेकिन रास्ते में बारिश शुरू हो गयी. हम दोनों भीग गये और होटल में रुकने का प्लान किया. होटल के अकेले कमरे में मेरी चूत में गर्मी पैदा होने लगी लेकिन मैं भाई बहन के रिश्ते की दीवार को लांघने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी.

तभी विशाल बोला- दीदी, आप बेड पर सो जाओ.
“और तू?” मैंने पूछा.
“मैं मम्मी-पापा को कॉल करने की कोशिश करता हूं.” वो बोला.

मैं बेड पर लेट गई. वो खिड़की पर बैठ कर फोन में कुछ कर रहा था। मैं जानती थी कि वो जानबूझकर बहाने बना रहा है। असल में वो मुझसे शरमा रहा था। क्योंकि कमरे में सिर्फ एक ही बेड था। उसका यही भोलापन तो मेरे दिल में घर कर गया था.

विशाल के शब्दों में:

मैंने चोर नजरों से दीदी को देखा। क्या मस्त लग रही थी वो। उन्होंने ऊपर मेरी शर्ट पहन रखी थी। जिसमें उनकी ब्लैक कलर की ब्रा की झलकी साफ नजर आ रही थी।

नीचे मेरी शर्ट उनकी आधी जांघों को ही ढक पा रही थी। उनकी गोरी चिकनी टांगें बिल्कुल नग्न थीं। ठंड से ठिठुर कर वो पैर मोड़ कर सोई थी।
दीदी ने कहा- विशाल, क्या कर रहा है, आ यहीं सो लेंगे, एक ही रात की तो बात है.

ये सुन कर मेरी धड़कनें बढ़ गयीं। आज उनके इस अवतार को देख कर मुझे दीदी के करीब जाने में भय सा लग रहा था. किंतु मैं उनकी बात को भी नहीं टाल सकता था.

मैं दीदी की बगल में ही सो गया। हम दोनों एक दूसरे के विपरीत करवट लेकर लेटे हुए थे। हम एक दूसरे के आमने सामने थे। मैंने दीदी के प्यारे से चेहरे को फिर से देखा। उनके वो गुलाबी होंठ, काली-काली आंखें, गोरे मुखड़े पर कहर बरपा रही थीं।

भीगे बालों में मेरी बहन अप्सरा लग रही थी। पारदर्शी सफ़ेद शर्ट में झलकता उनका गोरा मखमली बदन मुझे पागल बना रहा था। कसम से आज वो कमाल की सेक्सी लग रही थी।

प्रीति के शब्दों में:

आह! जिस पल का मुझे महीनों से इन्तजार था। वो आ गया था। शायद भाई मुझे देख रहा था. मगर इस बार बहन की तरह नहीं। उसे मेरी मदमस्त जवानी दिख रही थी। ये सब किसी फिल्म की तरह था लेकिन रोमांचक था।

मैं उसकी फौलादी बांहों में कस जाना चाहती थी। हाँ मेरी जवानी खुद ही उससे लुटने को फड़फड़ा रही थी. लेकिन मैं तो एक लड़की थी. लड़की कभी पहल नहीं करती.

वो हरामी भी कब से मुझे घूर रहा था लेकिन कोई पहल नहीं कर रहा था. मेरी चूत में हलचल होने लगी थी. न चाहते हुए भी मुझे ही पहल करनी पड़ी और बोली- क्या देख रहा है?

विशाल के शब्दों में:

मैं दीदी की रसीली मदमस्त जवानी में खोया हुआ था।
“क्या देख रहा है?” उन्होंने आंखें बंद किये हुए पूछा।
मुझे जवाब नहीं सूझा और मैं हड़बड़ा गया।
हड़बड़ाहट में बोला- क … कक … कुछ भी तो नहीं दीदी.

दीदी ने आंखें खोल दीं. वो आश्चर्य की निगाहों से मेरी ओर देख रही थी. उन्होंने मेरी ओर कातिल मुस्कान से देखा और फिर दोबारा से अपनी आंखें बंद करके सोने का नाटक करने लगी.

उनके हुस्न के जादू से मेरे लौड़े का बुरा हाल हो रहा था. मेरा लौड़ा मेरी पैंट को फाड़ कर बाहर आने के लिए तैयार था. उसे बस इस हुस्न की परी की उस रसीली मुनिया (चूत) के हां कहने की जरूरत थी. बहुत ही कातिल दृश्य था मेरी आंखों के सामने.

“दीदी आप बहुत ही सुंदर हो.” मेरे मुख से निकल ही गया। हालांकि उस टाइम पर ये मैंने बड़ी ही हिम्मत से कहा था।

“अच्छा जी … वो कैसे?” दीदी ने फिर से कटीली मुस्कान के साथ पूछा।

इसका जबाब मेरे पास नहीं था। क्या बोलता कि ‘दीदी आपकी गोल चूचियां मुझे पागल कर रही हैं!’
नहीं … ये जवाब सही नहीं था. मुझे काफी संभल कर जवाब देना था.

कुछ देर तक हम दोनों फिर से चुप करके लेटे रहे.
फिर मैंने कहा- दीदी आप सच में कयामत हो.
वो बोली- कैसे?

मैंने कहा- आपकी ये आंखें किसी को भी घायल कर सकती हैं।
वो बोली- अच्छा … और?
मैंने कहा- आपकी घुंघराली काली जुल्फें, जो सावन की घटा की तरह हैं, कोई भी इनका दीवाना हो जाये.

“और?”
“आपके ये रसीले सुर्ख होंठ, जो प्यासे समंदर की तरह हैं, आपके गोरे चेहरे पर आकर्षण का केंद्र हैं. आपके गुलाबी गाल … जब आप हँसती हो तो गुलाब से खिल उठते हैं।”

इतना कहकर मैं रुक गया। हम दोनों ने असहज महसूस किया। मैं कुछ ज्यादा बोल गया था। मैं माफी मांग कर अपनी गलती जाहिर नहीं करना चाहता था।

दीदी बोली- मेरी आज तक किसी ने ऐसे तारीफ नहीं की, आशू ने भी नहीं.
मैं बोला- शायद किसी ने आपको तबियत से देखा ही नहीं.
मैं आवेग में कह गया।

प्रीति के शब्दों में:

मैं अपने भाई की आंखों में देख रही थी। मैं सच में उसकी ओर बहती जा रही थी। ऐसी तारीफ मेरी किसी ने नहीं की। उसके द्वारा मेरे होंठों की तारीफ़ ने तो मेरे अंदर हलचल पैदा कर दी थी। मैं उसकी आंखों में अपने लिए चाहत देख पा रही थी। जी हाँ … जिस्मानी चाहत।

मगर विशाल की बातें उससे थोड़ी अलग थीं. मेरी अन्तर्वासना कह रही थी कि आगे बढ़ कर अपने भाई के होंठों पर होंठों को रख दूं.
मगर मैंने खुद को रोके रखा और उसकी आंखों में देखते हुए पूछा- और … और क्या पसंद है तुझे मेरे अंदर?

एक पल के लिये भी मैंने नजरें नहीं हटाईं क्योंकि मुझे अब कोई डर नहीं था। उसकी चाहत मुझ पर हावी थी और मुझे उसके ख्यालों का पता लग चुका था।

विशाल के शब्दों में:

दीदी मेरी आंखों में देख रही थी। ये खुली छूट थी। उन्हें मेरी बातों का बुरा नहीं लगा था। उनके इस बर्ताव से मेरी वासना को चिंगारी मिल गयी। उनकी आँखों में जिस्मानी प्यास देख कर मैं मदहोश हो उठा। मैंने नियंत्रण खो दिया।

मर्दाना बात बताऊं तो जब एक मस्त हॉट माल अधनंगी हालत में तुम्हारे सामने हो तो आपको कंट्रोल करना कठिन ही नहीं नामुमकिन हो जाता है। मेरा हाल भी वैसा ही था.

मैंने आगे बढ़ कर उनके होंठों को चूम लिया। उनका विरोध ना पाकर उनके होंठों को अपने होंठों तले दबा कर चूसने लगा। उफ्फ … वो रसीले होंठ। आज भी मुझे उत्तेजित कर जाते हैं. दीदी भी उतनी ही प्यासी थी। शायद मुझसे कहीं ज्यादा। वो भी मेरा साथ देने लगी। उस आनंद में मैं इतना खो गया कि मुझे होश ही नहीं रहा कि हम दोनों भाई-बहन हैं.

प्रीति के शब्दों में:

मेरा भाई मदहोश होकर मेरे होंठों का रस-पान कर रहा था। वो मेरे बदन पर हाथ फेरते हुए किस कर रहा था। मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी। धीरे धीरे उसने उसने दोनों हाथ मेरे शर्ट के नीचे डाल दिए और उसके हाथ मेरी नंगी पीठ को सहलाने लगा।

मैं उसकी मजबूत बांहों में जकड़ती जा रही थी। उसके हाथ मेरी ब्रा तक पहुंच चुके थे। वो ब्रा खोलने की कोशिश करने लगा मगर ब्रा उससे खुली नहीं. मैंने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा को खोलने में उसकी मदद की.

मेरे मम्मे अब आजाद थे। मेरी नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए वो मेरे होंठों को हब्शी की तरह चूस रहा था. मैं पूरी तरह चुदने के लिए तैयार थी। तभी वो एक झटके में मुझसे अलग हो गया.
“नहीँ ये सब गलत है दीदी!” कहकर वो झटके से अलग हुआ और बेड से उठ गया। मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं खुल कर उससे चुदने को भी नहीं कह सकी थी.

मुझे पता था ये गांडू कुछ न कुछ गड़बड़ करेगा। मुझे अधनंगी करके मुझे गर्म करके छोड़ गया। पहली बार उसके भोलेपन पर मुझे प्यार नहीं बल्कि गुस्सा आ रहा था। यहाँ एक हॉट लड़की चूत खोले अपनी जवानी परोस रही है और इसे फालतू चीजों की पड़ी है।

मुझे बड़ा ही अपमान महसूस हुआ। शायद मुझमें ही कुछ कमी है. ऐसे हीन भाव आने लगे मेरे मन में। मैं मन मारकर सो गई।

सुबह मैं उठी तो मेरे बगल में मेरे सूखे हुए कपड़े रखे हुए थे। भाई कमरे में नहीं था। मैं तैयार होकर बाहर आई. बाहर गाड़ी खड़ी थी। भाई काउंटर के पास मेरा इन्तजार कर रहा था। हमने चेक आउट किया। फिर से गाड़ी में हम नाना के घर के लिए निकल गए।

गाड़ी में सब शांत था. दोनों में से कोई किसी से बात नहीं कर रहा था। एक दो बार उसने बात करने की कोशिश की लेकिन मैंने कुछ रेस्पोन्स नहीं दिया.

हम नानी के घर पहुँच गए. गाड़ी से उतरते समय भी उसने मुझे बात करना चाहा लेकिन मैंने उसे अनदेखा कर दिया और वहाँ भीड़ के साथ हो लिये हम दोनों.

अगले दो दिनों तक मैं खूब मस्त रही, उसे इग्नोर करती रही। इस बीच उसने कई बार मुझसे बात करना चाही लेकिन मैं जान बूझकर मौका नहीं दे रही थी।

शादी का दिन आ गया। दुल्हन भी सजी, मैं भी सज गयी। मैंने एक मॉडर्न लहंगा पहना था. नेट वाली स्लीव लेस चोली था। वन साइडेड दुपट्टा था जिसमें मेरी नंगी पीठ और पेट साफ नजर आ रहे थे। मेरी पतली कमर, फूले हुए स्तन अलग से चमक रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मैं लड़कों के आकर्षण का केंद्र बन गयी थी.

मैं खुद सोच में पड़ गयी थी कि एक पढा़ई करने वाली लड़की पटाखा कैसे बन गयी. मेरी मां ने मुझे दूल्हे यानि कि मेरे मामा का कमरा सजाने के लिए काम दे दिया था.

कमरे को सजाने के काम में मैं लग गयी. तभी विशाल कमरे में आया और दरवाजा बंद करने लगा.
मैंने कहा- “तू? तू यहाँ क्या कर रहा है?”
वो दरवाजा बंद करके मेरी तरफ बढ़ा।

मैं बाहर की ओर जाने लगी. उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे अपनी ओर खींचते हुए बोला- दीदी सुन तो सही.
मैंने हाथ झटकते हुए कहा- मुझे तेरी कोई बात नहीं सुननी है.

उसने मुझे दीवार के सहारे अपनी मजबूत बांहों के नीचे दबा लिया. मेरे होंठों के पास अपने होंठ लाकर बोला- दीदी, आपको मेरी बात सुननी ही होगी.
मैंने कहा- मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी. तूने मुझे अधनंगी छोड़ दिया. गलती मेरी ही थी. तू भी अश्विन के जैसा ही निकला. तूने मेरी इन्सल्ट की है.

ये कहते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गये.
वो मेरे गालों से अपने गाल सटाते हुए बोला- नहीं दीदी, आप गलत सोच रही हो. मैं घबरा गया था. ऐसा कुछ नहीं है जैसा आप सोच रही हो. एक बार मेरी बात तो सुन लो.

मैंने छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसकी पकड़ मजबूत थी. इसलिए मैं छुड़ा नहीं पायी.
उसने बोलना शुरू किया- दीदी मैं स्कूल के दिनों से ही आपको पसंद करने लगा था. आपके पीछे बैठ कर आपको देखता रहता था. आपके सेक्सी जिस्म के बारे में सोच कर न जाने कितनी बार मैंने … (मुठ मारी हुई है)

वो कहते हुए ही रुक गया.
फिर बोला- आज तक मैंने सिर्फ आपको सपने में ही देखा है. उस दिन के लिए मैं दिल से सॉरी कह रहा हूं. आई लव यू दीदी.

विशाल के शब्द:
मेरी बातों को दीदी हैरानी से सुन रही थी. जब मेरी बात खत्म हो गयी तो मुझे लगा कि दीदी मान गयी और उसने मुझे हटा दिया.
मगर अगले ही पल उसने मेरे गाल पर जोर का तमाचा दे मारा.
मैंने कहा- क्या हुआ दीदी?

वो बोली- कमीने, ये सब तू उस रात को नहीं बोल सकता था.
मैंने कहा- सॉरी दीदी.
अगले ही पल दीदी ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मुझे प्यार करने लगी. मैं भी दीदी के होंठों को चूसने लगा.

प्रीति के शब्द:

मेरी सहमति क्या मिली, मेरा सेक्सी भाई विशाल मेरे ऊपर भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा। मेरे ऊपर उसने चुम्बनों की बारिश कर दी। मेरे होंठों को चूसते हुए खुद से ही मेरे जिस्म से चिपकने लगा। वो दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़े हुए जोरों से मेरे होंठों का रसपान कर रहा था।

उसने मुझे एक झटके में गोद में उठा लिया जैसे कि मैं कोई छोटी सी बच्ची थी. उसने मुझे बेड पर पटक लिया. वो सेज मैंने अपने मामा के लिए सजाई थी. मगर सुहागरात शायद हम भाई-बहन की होने वाली थी.

विशाल ने एक झटके में अपनी शेरवानी उतार फेंकी. उसका विशालकाय कसरती बदन मेरी आंखों के सामने था. उसके मस्त डोले, फौलादी सीना, और ऊंचा कद. किसी बॉडी बिल्डर के जैसा लग रहा था वो. उसके आगे में सच में ही बच्ची लग रही थी.

वो मेरे ऊपर आ गया। मुझे बेसब्री से चूमने लगा. वो बरसों से तड़प रहा था। मैं उसकी बेताबी समझ रही थी. वो पागल हो गया था जैसे. मुझे चूसने काटने लगा.
मेरा दुपट्टा तो कब का मेरा साथ छोड़ चुका था। उसने चूमते हुए मेरी चोली की स्ट्रिप कंधों से सरका दी और मेरे नग्न कंधो और गर्दन के भागों को चूमने-चाटने लगा. मैं तो मचल उठी।

मेरा भाई मेरी चूचियों के ऊपर के नग्न भाग को चूम रहा था. मैं उत्तेजना में सिसकारियां भर रही थी. कपड़ों के ऊपर से ही उसने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया. वो मजे से उन पर हाथ फिराकर पूरा आनंद ले रहा था जैसे.

फिर वो मेरी चोली खोलने लगा तो मैंने उसे रोका. शादी का माहौल था, कोई भी आ सकता था। मैं नंगी नहीं हो सकती थी. वो मेरी चूचियों को चोली के ऊपर से ही दबाने लगा. उनको मुंह में भरने की कोशिश करने लगा.

उसके बाद वो नीचे की ओर मेरे पेट की तरफ चला. मेरी सिसकारियां निकलने लगीं. मैं उसके बालों में हाथ फिराते हुए उसके सिर को अपनी चूचियों पर दबाने की कोशिश कर रही थी.

विशाल मेरे लहंगे को उठा चुका था. उसने मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को चूमा और अपने लबों को मेरी चूत पर रखने लगा. मेरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा.

विशाल के शब्दों में:

दीदी की चूत से मस्त मादक खुशबू आ रही थी. उसकी पैंटी का निचला हिस्सा गीला हो चुका था. उसकी चूत की फांकें साफ नजर आ रही थीं. मैंने पैंटी के ऊपर से चूत पर जीभ को फिराया. उन पलों को सोचता हूं तो उसकी चूत के रस का नमकीन स्वाद आज भी मेरे मुंह में पानी ले आता है.

प्रीति के शब्द:

उसने मेरी पैन्टी भी निकाल दी और मेरी गीली हो चुकी चूत पर हमला बोल दिया. उसने मेरे लहंगे के अंदर ही मेरे चूतड़ों को पकड़ कर अपनी जीभ को मेरी चूत में घुसा दिया. मैं तो जैसे होश में ही नहीं रह गयी थी.

मैं उसके सिर को अपनी चूत में दबाने लगी. इतनी गर्म हो गयी थी कि मैं अगले कुछ मिनट में ही झड़ गयी. झड़ने में पहली बार मुझे इतना आनंद मिला था. मेरा भाई विशाल सच में बहुत मस्त तरीके से चूत को चूसता था.

जब तक मैंने खुद को संभाला तो मैंने पाया कि मेरा लहंगा मेरी कमर तक उठ गया था. उसका 8 इंच का लौड़ा मेरी चूत पर लगा कर वो मेरी चूत को सहला रहा था. उसका खूंखार लंड देख कर मैं तो सहम सी गयी.

मैं सोचने लगी कि अगर इस मूसल लंड से अभी चुदने लग गयी तो चीखें निकल जायेंगी और सबको पता लग जायेगा.
मैंने पूछा- कॉन्डम कहां हैं?
वो बोला- मेरे पास नहीं है.

इतने में ही फोन की रिंग बजने लगी. मैंने देखा तो मां का फोन था.
“कहां है तू?” मां ने पूछा.
मैंने कहा- बस अभी आती हूं मम्मी.

वो बोली- मैंने जो काम दिया था वो किया कि नहीं?
मैंने कहा- हां हो गया मां, बस अभी नीचे ही आ रही हूं.

फोन रखने के बाद मैंने विशाल से कहा- चल उठ, मां बुला रही है.
वो मुझसे रुकने की मिन्नत करने लगा.
मैंने उसको समझाते हुए कहा- पागल हो गया है क्या, हम लोग शादी में आये हुए हैं. मां ने बहुत सारा काम दिया हुआ है. वैसे भी शादी खत्म होने वाली है. नीचे सब लोग वेट कर रहे हैं. मैं काफी देर से गायब हूं. अभी रिस्क है.
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ - by desiaks - 02-23-2021, 12:32 PM

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