RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 19
लेकिन अगले दिन में दीदी से पहले उठ गया, पता नहीं कैसे क्यूँकि हमेशा दीदी ही पहले उठ जाती थी. मैं बाथरूम में गया और फ्रेश हो कर बाहर आया और कॉलेज जाने के लिए रेडी हो गया, ऑफ़ कोर्स जाने का मन नहीं था पर जाना भी जरूरी था लेकिन में किचन में जा कर फ़टाफ़ट चाय और ब्रेड सैंडविच बना डाली, बस दीदी को हसींन सरप्राइज देने के लिये, और फिर बेड रूम में गया, दीदी अब भी सोयी रही थी, फिर मैं दीदी के पास गया, दीदी सीधी लेटी हुई थी, में उनके शोल्डर के पास बैठा और दीदी का क्लीवेज देखने लगा, हर सांस के साथ बॉब्स ऊपर निचे हो रहे थे, फिर मैंने एक आईडिया सोचा और मैंने दीदी के ब्लाउज पर हाथ रक्खा और दीदी के ब्लाउज के ऊपर के दो हूक्स आराम से खोल दिए और कॉलेज चला गया. रस्ते में यही सोच रहा था की हालाँकि दीदी को ब्लाउज वाले इंसिडेंट पर गुस्सा नहीं आना चाहिए पर बय चांस अगर आ भी जाता हे तो चाय नाश्ता डाइनिंग टेबल पर देखकर शायद उतर जाएगा. मैं कॉलेज में पहुंचा पर कॉलेज में मन नहीं लग रहा था उधर घर पे दीदी क्या कर रही होगी, उसीमे मेरा सारा वक़्त बितने लगा, लेकिन अब दोपहर के तीन बज रहे थे और बस दो ही घंटे बाकि थे पर मेरे से सहे नहीं जा रहे थे, इसीलिए में क्लास बंक करके भागा और सीधा घर पहुंचा. मैंने घर जा कर डोरबेल बजाई, लेकिन दरवाजा नहीं खुला.. १० मिनट बाद दीदी ने पीछे से कहा.हट..चाबी मेरे पास हे.. दीदी ने मुझे हटाते हुए, दरवाजा खोला. दीदी कुछ अपसेट लग रही थी, कहीं ब्लाउज वाले इंसिडेंट से तो नही, में पूछ्ने से डर रहा था पर मैंने दीदी से पूछ लिया.क्या बात हे..? दीदी कुछ अपसेट लग रही हो.? मैंने थोड़ा डरते डरते पूछ..कुछ नही... दीदी ने मेरे से ख़फ़ा होने की एक्टिंग कर रही थी, एक्टिंग ही तो थी क्यूँकि मुझे उतना तो पता था की अगर दीदी ख़फ़ा होती तो बात नहीं करति. इसिलिये में जोश में आ गया और अपने साइड वाले सोफ़े पर जहाँ दीदी बैठी थी वहा पर कुद कर बैठ गया और अपना लेफ्ट हैंड दीदी के कंधे के पास से ले जा कर दूसरी तरफ घुमा लिया और उस तरफ से प्रेशर दे कर दीदी को अपनी और खिंचा और दीदी के कान में पूछा, क्या हुआ दीदी. तो वो खुल कर बोली .रेशु,,तुं आज कॉलेज नहीं जाता तो नहीं चलता क्या..एक तो मुझे यहाँ रोक लिया और खुद कॉलेज चले जाते हो. मैं कितना बोर हो रही थी, वो तो अभी अभी में सामनेवाली आंटी के वहा बातें करने के लिए बैठी की तुम आ गये. .अच्छा तो ठीक हे, में अभी फ्रेश हो जाता हूँ और हम अभी घुमने चलेंगे.. मैंने सेंटेंस ख़त्म किया और दीदी खुश हो गयी और मेरे चिक पर एक मस्त पप्पी दी और मैंने फ़ौरन अपना दूसरा गाल भी दे दिया, तो उन्होंने मेरे दुसरे गाल को भी चुमा. बाद में वो तुरंत खड़ी हो गयी, क्यूँकि वो जानती थी की में अब उन्हें मेरे लिप्स ऑफर करने वाला था इसीलिए मेरे इंटेंशन्स को समझते हुए वो जल्दी से खड़ी हो गयी और में भी उठकर मेरे रूम में चला गया. तभी दीदी ने कहा की पहले खाना खा लो बाद में तैयार होना. तो में किचन में आया और दीदी के पास खड़ा रहा और दीदी को देख रहा था दीदी समझ गयी थी की में क्या देख रहा था इसीलिए मेरी खिंचाई करने के लिए उन्होंने पूँछा.रेशु क्या देख रहे हो..? . मै तो हडबडा गया लेकिन मैंने भी दीदी को अपने जाल में फ़ासते हुए कह.कुछ नहीं दीदी..म्म्म्म.मम,,,,मै तो यह पसिना .ऊऊओफ़्फ़ आपको कितना पसिना आ रहा हे. लाओ में यह पसिना पोछ देता हू.. अब मुझे मेरे शतिर दिमाग पे अभिमान हुआ और मैंने अपना रूमाल निकला और दीदी की बैक पे ब्लाउज के ऊपर से पसिना पोंछने लगा और बड़े आराम से दीदी की पीठ सहलाने लगा. फिर में धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर लेजाते हुए दीदी के शोल्डर पर रूमाल घुमाया और फिर दीदी की गर्दन को भी पोछा और फिर मैंने दीदी के दोनों आम की और अपना रूमाल घुमाय और धीरे धीरे निचे उतार रहा था की दीदी ने मेरी और देखा और मेरा हाथ रूक गया. रूमल नहीं छोट गया और मेरा हाथ स्लीप हो कर दीदी के ब्लाउज से हट गया. फिर दीदी ने अपने ब्लाउज में फसे मेरे रूमाल को देखा और मेरी और भी देखा और फिर कहा की रेशु..देख क्या रहे हो? इसे निकलो यहाँ से.. और में अपने रूमाल को हाथ में ले कर खींचने लगा पर जैसे भगवान को भी इस सीन में मज़ा आ रहा हो वैसे मेरा रुमाल दीदी के हुक में फ़ांस गया और दीदी मेरी और फिर से थोड़े से ग़ुस्से में देखने लगी और मैंने कहा की दीदी अब यह नहीं निकल रह, एक हुक खोलना पडेगा. वो मेरी और हैरत भरी नज़र से देख रही थी और में उन्हें स्माइल दे रहा था वो सोचने लगी और फिर अपने आँखें बंद कर ली और मुझसे कहा...”रेशु..जो चाहे वो करो पर इसे निकालो”.. दीदी ने कहा. मैने भी सोचा की रेशु यही टाइम हे तो मैंने भी फुल आराम से रूमाल निकालने की सोचा. मैं निचे अपने घूटनों के बल बैठ गया. यह प्लानिंग में नहीं था पर गॉडने जैसे मेरे पर मेहरबानी की हो, मैं निचे बैठा अब दीदी मेरे सामने थी और मैंने दीदी के कंधे से उनका पल्लू हटाया और दीदी के पल्लू निचे गिरा दिया, और दीदी के ब्लाउज में कैद ३६ के बॉब्स मेरे सामने थे,मन तो बहुत किया की यही पर निचोड लू लेकिन कर नहीं पाया, और शायद किया होता और दीदी को गुस्सा आता तो दीदी को मना भी लेता पर ऐसा मैंने किया नही. मैंने रूमाल का एक सिरा जो खुला था वो हाथ में लिया और उसे दीदी को अपने मुँह में दबाने को कहा, लेकिन मैंने ही दीदी के होठो में अपनी ऊँगली दे कर उसे दबा दिया. फिर मैंने दीदी के ब्लाउज पे अपने दोनों हाथ रक्खे और हुक खोलने की मशक़्क़त में कई बार बॉब्स मेरे हाथ में आ गये. लेकिन मेरी किस्मत इतनी भी अच्छी नहीं थी और हुक एक ही मिनट में खुल गया और सारे सीन का नाश हो गया. फिर दीदी ने बनावटी गुस्सा दिखाया और कहा की अब पसिना पसिना मत कर और जा के बैठ और खाना खा ले. दीदी ने मेरे लिए खाना लगाया और कहा की वो रेडी हो कर आती हे, इन सब बातों में चार बज चुके थे और मैंने खाना निपटाया और बाथरूम में गया और फ्रेश हो गया, बाद में अपने रूम में गया और अपने एक एक कपडे निकाल दीए, बस में अब उंडरवेयर में था और अपने कपबर्ड में से कपडे ढूंढ रहा था और अचानक दीदी मेरे रूम में आई और कहने लगी की
रेशु रेडी हो गया क्या...? दीदी मेरे कमरे में आ चुकी थी. मैं रेडी नहीं था और ऊपर से सिर्फ अंडरवेअर में था और वो भी कटाई वी शेप में था मैंने फ़टाक से कपबोर्ड का दरवाजा बंद किया और बाहर आया की दीदी की आँखें मुझे देखकर फट सी गयी. वो मुझे नहीं मेरे अंडरवेअर को ही देख रही थी और में इस बात से खुश था की वो अंडरवेअर में क्या ढूंढ रही थी. लेकिन उन्हें दो मिनट में ही होश आया की वो क्या देख रही हे, लेकिन बाद में वो शरमाने के बजाय, मुझसे पूछ्ने लगी की क्या हुआ. तो मैंने कहा की दीदी ढंग के कपडे नहीं मिल रहे तो दीदी ने कहा की लाओ में ढूंढ देती हू, और वो मेरे पास आ कर कपडे कप बोर्ड में ढूंढने लगी. वो अब मेरे सामने थी और में उनके पिछे, दीदी को देखते ही मेरा लंड पता नहीं क्यों उठ जाता हे. मैं दीदी के पीछे खड़ा रह कर कपडे चूस करने के बजाय दीदी के बारे में फ़न्तासीस कर रहा था मैं अपने ख़यालों में था की दीदी ने कहा कि, रेशु पास आओ और इस कॉम्बिनेशन को देखो तो. और मेरा ध्यान टूटा और में आगे गया और जानबूझ कर दीदी की गांड को छू रहा था मेरा लंड दीदी की गांड को बड़े प्यार से टच कर रहा था और मैंने देखा और कहा की दीदी यह पसंद नहीं और दीदी दूसरे कपडे देखने लगी, फिर मैंने दीदी के गांड पर जोर दिया और अब जा के उन्हें एहसास हुआ की उनकी गांड पर मेरा लंड था और दीदी मेरी और पलटि और निचे अपनी गांड की और देखा और निचे मेरे अंडरवेअर में बने टेंट को देखने लगी और फिर मेरी और देखा और हंसी.
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