XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
02-27-2021, 12:47 PM,
#35
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
[अपडेट 37

मैं और दीदी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा “हाय रेशु….ये तो एकदम टाइम पर लाइट चली गई…मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की….रात में आराम से मजा लुंगी….चल एक काम कर अँधेरे में चुत चाट सकता है….देखू तो सही…..तू मेरी चुत की सुगंघ को पहचानता है या नहीं….साड़ी नहीं खोलनी ठीकहै….” इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनके चुत के पास पहुँच गया. साड़ी को ऊपर उठकर चुत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा. थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी ” हाय रेशु….चुत चाटू…..राजा….हाय सच में तूतो कमाल कर रहा है….एकदम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघलिया….सीईईईइ बहनचोद….….है…..है मेरे राजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उसकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दीसे कपडे खोलो….” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….लाइट आजाने से ठीक रहा नहींतो मैं सोच रही थी….. …” कहते हुए अपनी साड़ी को खोलने लगी. साड़ी और पेटी कोट खुलते ही दीदी कमर के नीचे से पूरी नंगी हो गई. फिर उन्होंने ब्लाउज खोला उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उसकी ब्लाउज के ऊपर से उनके बॉब्स के निप्पल को मैं देखता रहा था.

दोनों बॉब्स आजाद हो चुके थे और कमरे में उनके बदन से निकल रहे पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था. दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और बॉब्स को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उसकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई. कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी. मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गाड दिया. कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था. मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है. दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला. उनको भी मजा आ रहा था. उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी. मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से पेटीकोट के नाडे को खोल कर खीचने लगा. इस पर दीदी बोली “फाडदेना….…….औरफाडदे….” पर मैंने खींचते हुए पूरे पेटीकोट को निचे उतार दिया और दोनों टांग फैला कर उनके बीच बैठकर एक पैर को अपने हाथ से ऊपर उठा कर पैर के अंगूठे को चाटने लगा धीरे धीरे पैर की उँगलियों और टखने को चाटने के बाद पुरे तलवे को जीभ लगा कर चाटा. फिर वहां से आगे बढ़ते हुए उनके पुरे पैर को चाटते हुए घुटने और जांघो को चाटने लगा. जांघो पर दांत गडाते हुए मांस को मुंह में भरते हुए चाट रहा था. दीदी अपने हाथ पैर पटकते हुए छटपटा रही थी. मेरी चटाई ने उनको पूरी तरह से गरम कर दिया था. वो मदहोश हो रही थी. मैं जांघो के जोड को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी चुत कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा. दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली “क्या कर रहा है…हाय गांड के पीछे हाथ धोकर पड गया….है….सीईईई गांड मारेगा क्या….जब देखो तब चाटने लगता है…उस समय भी चाट रहा था….हाय .सीईई…चाट मगर ये याद रख मारने नहीं दूंगी…… आज तक इसमें ऊँगली भी नहीं गई है…..और तू…..जबदेखो…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….हाय चाटना है तो ठीक से चाट…..मजा आ रहा है….रुक मुझे पलटने दे……” कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के निचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली “ले अब चाट….…. अपनी बहन की गांड….को…..बहनचोद…..बहन की गांड….खा रहाहै…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बेशरम……” मेरे लिए अब और आसन हो गया था. दीदी की गांड को उनके दोनों गांड को मुठ्ठी में कसते हुए मसलते हुए खोल कर उसकी पूरी गांड की खाई में जीभ डाल कर चलाने लगा. गांड का छोटा सा गुलाबी रंग का छेद पक पका रहा था. होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा. तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली “हाय ठीक से चाट…चाटना हैतो….छेद पूरा फैलाकर….चाट…मेरा भी मन करता था चटवाने को…..तेरी जो वो राज शर्मा की किताब है न उसमे लिखा है….हाय रेशु…..मुझे सब पता है…बेटा….तू क्याक्या करता है….इसलिए चौंकना मत….बस वैसेही जैसे किताब में लिखा है वैसे चाट..हाय…जीभ अन्दर डालकर चाट….हाय सीईईईईई…..” मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को कडा कर के उसकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा. गांड के छेद को अपने अंगूठे से पकड फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा. दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड में अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था. दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था. कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था. सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी. थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी. गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली“हाय राजा…अब गांड चाटना छोड़ो….हाय राजा….मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ…..हाय मुझे तुने….मस्त कर दिया है…हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और…….उसकी चुत में अपना मस्त लंड डालकर चोद और उसका रस निकाल दे…..हाय सनम….मेरे राजा….चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा….” दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उसकी गांड पर से हटाया और बोला ” हायदीदी जब आपने राज शर्मा की किताब पढ़ी थी तो…आपने पढ़ा तो होगा ही की….कैसे गांड….में…हाय मेरा मतलब है की एकबार दीदी….अपनी गांड….” दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली “हाय हरामी….रेशु…..तू जितना दीखता है उतना सीधा है नहीं….सीईईईइ…बहनचोद….मैं सब समझती हूँ….तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है…..कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू….साले…यहाँ मेरी चुत में आग लगी हुई है और तू….हाय….नहीं रेशु मेरी गांड एकदम कुंवारी है और आजतक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डालीहै…
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