RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
मेरा गुप्त जीवन 10
चम्पा की पहली चूत चुदाई
चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी।
अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है।
उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही चम्पा आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो।
और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी।
मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया।
उसने मुड़ के देखा और मुझ को देख कर हल्के से मुस्करा दी।
मैंने झट उसको बाँहों में भर लिया, वो थोड़ा कसमसाई और धीरे से बोली- कोई आ जाएगा, मत करो अभी!
मैंने उसको सीधा करके उसके होंटों को चूम लिया और पीछे हट गया।
यह अच्छा ही हुआ क्यूंकि मैंने मम्मी के आने की आवाज़ सुनी जो मेरे ही कमरे की तरफ ही आ रही थी।
मैं झट से बेड पर लेट गया।
मम्मी ने आते ही कहा- गुड मॉर्निंग सोमू बेटा, उठ गए क्या?
‘गुड मॉर्निंग मम्मी, मैं अभी ही उठा था… चाय पी ली है और चम्पा आंटी मेरे स्कूल के कपड़े निकाल रही है!’
मम्मी बोली- मैं यह बताने आई थी, मैं आज दिन और रात के लिए पड़ोस वाले गाँव जा रही हूँ। तुम अकेले घबराओगे तो नहीं? वैसे चम्पा तुम्हारे कमरे में ही सोयेगी, जैसे कम्मो सोती थी… ठीक है बेटा? और चम्पा, तुम अम्मा से बिस्तर ले लेना और अब दिन और रात को सोमू के कमरे में ही सोया करना! ठीक है?
चम्पा ने हाँ में सर हिलाया।
यह कह कर मम्मी तेज़ी से बाहर निकल गई।
और इससे पहले की चम्पा बाहर जाती, मैंने फिर उसको बाँहों में भर लिया और जल्दी से उसके होटों को चूम लिया। चम्पा अपने को छुड़ा कर जल्दी से बाहर भाग गई।
मैं बड़ा ही खुश हुआ कि काम इतनी जल्दी सेट हो जायेगा मुझको उम्मीद नहीं थी। मुझको मालूम था कि खड़े लंड का अपना अलग जादू होता है।
मैंने आगे चल कर जीवन में खड़े लौड़े की करामात कई बार देखी। जहाँ भी कोई स्त्री मेरे प्यार के जाल में नहीं फंसती थी, वहीं मैं हमेशा खड़े लौड़े वाली ट्रिक इस्तेमाल करता था और वो स्त्री या लड़की तुरंत मेरी ओर आकर्षित हो जाती थी।
स्कूल से आया तो कमरे में आकर सिर्फ बनियान और कच्छे में बिस्तर पर लेट गया।
चम्पा आई और मेरा खाना परोसने लगी।
मैंने पूछा- मम्मी चली गई क्या?
चम्पा मुस्कराई और बोली- हाँ सोमू भैया!
‘देखो चम्पा। तुम मुझको भैया न बुलाया करो, सिर्फ सोमू कहो ना… अच्छा यह बताओ आज मैंने सुबह तुमको चूमा, कुछ बुरा तो नहीं लगा?’
चम्पा बोली- नहीं सोमू भइया लेकिन वक्त देख कर यह करो तो ठीक रहेगा क्यूंकि किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी।
‘ठीक है, जाओ ये खाने के बर्तन रख आओ और खाना खाकर वापस आ जाओ, मैं तुम्हारी राह देख रहा हूँ!’
वो आधे घंटे में खाना खाकर वापस आ गई, जैसे ही वो कमरे में आई, मैंने झपट कर उसको बाँहों में दबोच लिया, कस कर प्यार की झप्पी दी जिसमें उसके उन्नत उरोज मेरी छाती में धंस गए। मेरा कद अब लगभग 5’7″ फ़ीट हो गया था और वो सिर्फ 5’3″ की थी।
उसको चूमते हुए मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और देखा कि उसके पतले ब्लाउज में उसकी चूचियों में एकदम अकड़न आ गई थी।
मैं उसको जल्दी से अपने बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और झट अपना कच्छा उतार दिया और उसका हाथ अपने खड़े लौड़े पर धर दिया।
वो भी मेरे लौड़े से खेलने लगी।
मैंने उसकी धोती उतारे बगैर उसको ऊपर कर दिया और काले बालों से घिरी उसकी चूत पर हाथ फेरा तो वो एकदम गीली हो चुकी थी और उसका पानी बाहर बहने वाला हो रहा था। मैंने झट उसकी टांगों में बैठा और अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख दिया और चम्पा की तरफ देखा।
उसने आँखें बंद कर रखी थी और उसके होंट खुले थे!
एक धक्के में ही पूरा का पूरा लौड़ा उसकी कसी चूत में घप्प करके घुस गया और उसके मुख से हल्की सिसकारी निकल गई। मैं कुछ क्षण बिना हिले उसके ऊपर लेटा रहा और तभी मैंने महसूस किया कि चम्पा के चूतड़ हल्के से नीचे से थाप दे रहे हैं।
और मेरे लौड़े को पहली बार इतनी रसीली चूत मिली, वो तो चिकने पानी से लबालब भरी हुई थी।
मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा लंड चूत के मुंह तक बाहर लाकर फिर ज़ोर से अंदर डाल देता था। कोई 10-15 धक्कों के बाद मैंने महसूस किया चम्पा कि चूत अंदर से खुल रही और बंद हो रही थी और जल्दी ही चम्पा ने मुझको ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और अपनी जाँघों से मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।
इससे पहले कि उसके मुख से कोई आवाज़ निकले, मैंने अपने होंट उसके होंटों पर रख दिए और कुछ देर तक उसका शरीर ज़ोर ज़ोर से कांपता रहा और फिर वो झड़ जाने के बाद एकदम ढीली पड़ गई।
लेकिन मैंने अब उसको फिर धीरे से चोदना शुरू किया। धीरे धीरे उसको फिर स्खलन की ओर ले गया और उसका दूसरी बार भी बहुत तीव्र स्खलन हो गया।
अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया।
कुछ समय बाद मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया, उसके उन्नत उरोजों और चुचूक चूसने लगा, एक ऊँगली उसकी चूत में डाल उसकी भगनासा को हल्के से मसलने लगा।
ऐसा करते ही चम्पा फिर से तैयार हो गई और अब उसने मुझ को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और नीचे से चूत को लंड के साथ चिपकाने की कोशिश करने लगी।
मैंने फिर ऊपर से लंड से धक्के मारने शुरू कर दिए और इस बार मैं इतनी ज़ोर से धक्के मारने लगा कि चम्पा हांफ़ने लगी और करीब 10 मिन्ट के ज़ोरदार धक्कों से चम्पा फिर छूट गई और वह निढाल होकर टांगों को सीधा करने लगी लेकिन मैंने अपनी जांघों से उसको रोक दिया और धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि कुछ ही मिनटों में ही मेरा फव्वारा लंड से छूट गया और चम्पा की चूत की गहराइयों में पहुँच गया।
अब मैं चम्पा के ऊपर से उतर कर बिस्तर पर आ गया, मैंने चम्पा का हाथ अपने लंड पर रख दिया और वो एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सोमू, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?
मैं बोला- चम्पा रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा।
‘ऐसा है क्या?’ वो बोली।
‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा।
‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी।’
यह कह कर चम्पा चली गई।
उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
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