RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
ससुर के अंदर आते ही नेहा झट से उठकर बैठ गई। चेहरे पर लाली के साथ उसने अपने ससुर के चेहरे में देखा। कमरे में मद्धिम बेडलैंप जल रहे थे और ससुर अपनी आँखों को नेहा के खूबसूरत जिश्म से नहीं हटा पा रहा था। नेहा की नंगी बाहें, उसकी काँख, कंधे पर पतली-पतली स्ट्रैप्स, और ब्रा भी नजर आ रहे थे, और वो सब देखकर ससुर के मन में कुछ हुआ।
नेहा को अजीब लगा जिस तरह से ससुर उसको देख रहा था तो उस भारी तनहाई को तोड़ने के लिए नेहा ने बात की- “वो नहीं उठ रहा है पिताजी, मैंने बहुत कोशिश की..." नेहा ने फुसफुसाते हुए कहा।
बूढे को बहुत अच्छा लगा जिस तरह से फुसफुसाहट में नेहा ने उससे बात की, जैसे की वो उसका साथ दे रही थी, शुरू से ही। तब उसने अपने बेटे को जगाने की कोशिश की। बाप ने रवींद्र को बहुत जोर से झंझोड़कर हिलाते हुए जगाया और वो मुश्किल से आँखों को खोलते हुए देखा और अपने पिता को अपने बेडरूम में देखकर चिहुँक गया।
रवींद्र आँखों को मसलते हुए बेड पर बैठा और पूछा- “क्या बात है?"
तो बाप ने कहा- “बेटा आखिर कब तक ऐसा चलेगा? तुमने आज तक बहू को छुआ ही नहीं। क्यों, प्राब्लम क्या है तेरा?"
रवींद्र को शर्म आई और उसने सर नीचे झुका लिया। बाप ने बात पर बात किया मगर रवींद्र जमीन पर नजरों को गाड़े रखा, कोई भी जवाब नहीं दिया।
पिता ने कहा- “देखो अगर तुमको शर्म लग रही है और समझ में नहीं आता की कैसे शुरू करोगे तो मैं तुमको सिखाता हूँ, मुझे देखो और जो मैं करूँ वैसा करो.." पिता ने नेहा की बाहों पर अपनी हथेली को फेरा ऊपर से कलाई तक और रवींद्र को वैसा करने को कहा।
जब ससुर ने नेहा के बाजू पर उस तरह से हाथ फेरा तो नेहा के जिश्म में एक आग जैसे लगी और आवाज को थामते हुए एक हल्की सी सिसकारी ली उसने। नेहा थोड़ी घबड़ाई हुई थी और उसका पूरा जिश्म तना हुआ था उस वक्त। बहुत तनाव हो रही थी उसे।
रवींद्र ने वैसा ही किया जैसे उसके पिता ने सिखाया, मगर उसका हाथ थर-थर कांपता रहा, जब तक उसने नेहा के बाजू पर अपनी हथेली को फेरा। उसके पशीने छूट पड़े और चेहरा लाल हो गया।
तब ससुर ने नेहा को बेड पर अपने बिल्कुल करीब बुलाया। वो उसके पास गई, बिल्कुल करीब। तो ससुर ने अपने होंठों को नेहा के गले पर हल्के से फेरा और रवींद्र को वैसा करने को कहा। रवींद्र ने किया बस थोड़ा सा, फिर काँपने लगा था।
तब रवींद्र के पिता ने नेहा को अपनी बाहों में लेकर उसके गाल पर किस किया, गले को चूमा और हल्के से अपनी जीभ को नेहा के कान के पीछे फेरा और रवींद्र को वैसा करने को कहा।
नेहा को उस वक्त अपने आपको ससुर को समर्पित कर देने को मन कर रहा था। मगर अपने आप पर काबू रखते हुए जिस वक्त ससुर अपनी जीभ को उसके कान के पीछे फेर रहा था, नेहा ने कहा- “पिताजी, नहीं.."
तो ससुर ने कहा- “सहयोग करो, प्लीज बहू... मैं यह सब तुम्हारी भलाई के लिए कर रहा हूँ। देखना वो सीख जाएगा और तुमसे संभोग करेगा."
रवींद्र ने नेहा को उसी तरह से बाहों में लिया मगर बहुत ही काँप रहा था और पशीना-पशीना हो गया था।
तब बाप ने पूछा- “कैसा लग रहा है बेटा? अच्छा लग रहा है? तेरा खड़ा हुआ ना?"
रवींद्र ने कोई जवाब नहीं दिया। पिता ने बेटे की शार्ट पर देखा की उसका खड़ा हुआ या नहीं? मगर कुछ भी नहीं था सब फ्लैट था। तब पिता ने नेहा की नाइटी को ऊपर उठाया और उसकी पूरी जांघे दिखने लगी, और पिता ने नेहा की जांघों को रवींद्र को दिखाते हुए पूछा- “देखो बेटा क्या यह सेक्सी नहीं है? देखो इसकी कितनी सेक्सी जांघे हैं बेटा, तेरी बीवी बहुत ही सेक्सी है रवींद्र बेटा.."
फिर खुद पिता का लण्ड खड़ा हो गया नेहा की खूबसूरत जांघों को देखकर और नेहा को सब दिखा। उसने देखा
की उसके ससुर का खड़ा हो गया उसके कपड़े के अंदर ही। ससुर को आज पहली बार नेहा की जांघों के वो हिस्से नजर आए जो हमेशा छिपे रहते थे। इतने दिनों से वो हिस्से कितने खूबसूरत और सफेद रंग के थे, उसमें गलाबी रंग का मिलावट भी थी, गदराई, गरम, सेक्सी जांघे। ससर के मुँह में पानी आ गया। उसने जांघों पर अपना हाथ फेरा, धीरे-धीरे, हल्के-हल्के, ऊपर तक हाथ बढ़ाता गया, नेहा की नाइटी के नीचे भी।
नेहा ने अपने जिश्म को सीधा करते हुए ससुर के हाथ को आगे बढ़ने से रोका।
तो ससुर ने पूछा- “क्यों, तुमने अपनी ब्रा नहीं निकाली है नेहा? प्लीज उतार दो ब्रा को उसको उत्तेजित करने के लिए, यह जरूरी है बेटी...”
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