RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा ने बचकानी आवाज में कहा- “ना, नहीं देखूगी मैं... तुम बहुत शैतान हो गये हो, सब बहाना था तुम्हारा। मैं ना छुऊँगी और ना चूसूंगी, तुम खुद अपने हाथ चलाओ मुझे देखते हुए मैं तुमको मूठ मारते हुए देयूँगी...'
तो प्रवींद्र ने कहा- “ठीक है भाभी, मैं तुमको देखकर मूठ मारता हूँ मगर आप मुझको अपने छुपे हुए उन हिस्सों को तो दिखाओ..."
तो नेहा अपनी उंगलियों से हौले-हौले अपने कंधे पर से नाइटी के स्ट्रैप्स को नीचे सरकाने लगी, और बेड पर खड़ी हो गई और नाइटी को नीचे गिरने दिया, अब वो सिर्फ अपनी पैंटी में खड़ी थी प्रवींद्र के सामने। और प्रवींद्र अपनी भाभी की मस्त-मस्त, गोल-गोल चूचियों को देखते हुए अपने लण्ड पर हाथ चलाने लगा, नेहा की कमर, उसका पेट, उसकी हर कटाव सब मस्त थे। प्रवींद्र की नजरें चारों तरफ उसके जिश्म पर नाच रही थीं और वो लगातार मूठ मारते जा रहा था।
हालांकी नेहा ने कहा कि वो सिर्फ़ देखेगी, लेकिन जब मूठ मारते-मारते प्रवींद्र नेहा के करीब गया और नेहा को बेड पर घुटनों के बल लाकर अपने लण्ड को उसके मुंह के पास किया तो धीरे से नेहा ने उसको अपने मुँह में लिया, ऊपरी हिस्से पर जीभ चलाई और मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर चूसना रोक कर नेहा ने लण्ड की पूरे लंबाई पर अपनी जीभ फेरी, चाटा, और नीचे प्रवींद्र के बाल्स पर जीभ फेरा।
फिर नेहा ने कहा- “बस इससे ज्यादा नहीं करूँगी अब.."
पर प्रवींद्र जैसे छटपटा गया और कहा- “भाभी भाभी, प्लीज... ऐसे गरम स्पाट पर आकर क्यों रुक गई आप? जारी रखो ना प्लीज... मैं भीख मांगता हूँ भाभी, मेरी प्यारी भाभी, मेरी दुलारी भाभी, करो ना प्लीज."
नेहा को हँसी भी आई और तरस भी आया, उसको इस हालत में देखकर, तो उसने उसके एक अंडे को मुँह में ले लिया और चूसा तो प्रवींद्र पागल हो गया, उसका जिश्म काँपने लगा। फिर एक हाथ से नेहा ने उसका लण्ड पकड़ा और फिर उसके दूसरे अंडे को मुँह में लेकर चूसा, खयाल रखते हुए कि उसको दर्द ना हो। प्रवींद्र ऊपर छत पर देखते हुए मजे का लुत्फ ले रहा था, थोड़ी तड़प के साथ। और साथ-साथ नेहा अपने दूसरे हाथ को उसके लण्ड पर चला रही थी।
फिर कुछ देर बाद प्रवींद्र ने नेहा के सर को हाथों में पकड़ा और लण्ड को उसके मुंह में डाला और हल्के-हल्के
अंदर-बाहर करने लगा। लण्ड चूसते हए नेहा गरम होने लगी और उसको अब लण्ड अपनी चूत के अंदर चाहिए था।
जिस तरह से अपने नर्म हाथों को नेहा प्रवींद्र के जिश्म पर फेरने लगी थी, जिस तरह से सहलाए जा रही थी प्रवींद्र को और जिन्न नजरों से देख रही थी प्रवींद्र के चेहरे में, उससे साफ झलक आ रही थी की उसको अब सख्त जरूरत है चुदाई की।
प्रवींद्र समझ गया कि अब लण्ड को चूत के अंदर पेलने का वक्त आ गया।
नेहा ने अपनी पैंटी को झट से खींचकर नीचे फेंका और प्रवींद्र ने पोजीशन लेते हुए, खुद वो अपने पीठ पर सोया
और नेहा को अपने ऊपर ले लिया उसने। प्रवींद्र ने अपने पैरों को दोनों तरफ फैलाया और नेहा के पैरों को भी दोनों तरफ किया। फिर नेहा ने अपने हाथों से उसके लण्ड को अपने चूत के गीले छेद पर लगाया और नेहा खुद उसपर बैठी और लण्ड अपने आप फिसलते हुए उसके अंदर घुसता चला गया, और नेहा की सिसकारी कमरे में भर गई।
नेहा प्रवींद्र के ऊपर बैठी ऊपर-नीचे उठने बैठने लगी, लण्ड को अपने अंदर-बाहर करने के लिए अपने कमर हिलती गई। शुरू में तो धीरे-धीरे किया मगर धीरे-धीरे तेजी पकड़ती गई, उसकी कमर का हिलना और रफ्तार बढ़ती गई, इस कदर कि नेहा पागलों की तरह उछल रही थी प्रवींद्र के लण्ड पर। प्रवींद्र अपनी भाभी की चूचियों को उस तरह से मचलते, उछलते हुए देखकर लण्ड में और भी रवानी महसूस कर रहा था। लगता था लण्ड अब कभी नहीं मुरझाने वाला है, और जिस तरह से, जिस रफ़्तार से नेहा उछलती गई बहुत ही जल्द दोनों को आगंजम एक साथ प्राप्त हुए।
प्रवींद्र नेहा की चूचियां, गला, मुँह, नाक, कान सब चूमते चाटते गया और नेहा भी झुक गई पूरी तरह से प्रवींद्र पर और उसको चूमती गई, जहाँ-जहाँ उसका मुंह पड़ता थी प्रवींद्र पर। नेहा ने अपने थूक से प्रवींद्र के चेहरे को भीगो दिया था।
फिर दोनों प्रवींद्र के बिस्तर पर तब तक लेटे रहे। जब नेहा को पड़ोसियों के यहाँ एक मुर्गे की बाग सुनाई दी तो वो जल्दी से उठकर, नंगी भागती गई अपने कपड़ों को हाथ में लिए, और उसकी पैंटी प्रवींद्र के कमरे में ही छोड़
गई।
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