XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-08-2021, 10:26 AM,
#2
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
क्या हुआ लक्ष्मण?” सपन चड्ढा परेशान-सा कह उठा। किसी हरामी ने पत्थर मारा है कार पर। देखता हूँ साले को अभी।” लक्ष्मण दास ने कहा और कार को सड़क किनारे रोककर | खड़ा किया–“छोडूंगा नहीं उस कमीने को ।” वो दरवाजा खोलकर बाहर निकलता कह उठा। | ‘क्या मुसीबत है!' सपन चड्ढा बड़बड़ाया और वो भी बाहर निकला।

दोनों की निगाह हर तरफ घूमी। वहां कोई होता तो उन्हें नजर आता! “कोई नहीं है।” सपन चड्ढा कह उठा।
छिप गया होगा।”
“छोड़। रास्ते में कहीं से नया शीशा फिट करा लेंगे।” सपन चड्ढा ने कहा।

सारा मजा खराब कर दिया।” चल अब।” गुस्से में बड़बड़ाता लक्ष्मण दास चटक चुके शीशे को नीचे गिराने लगा कि आगे का रास्ता साफ देख सके। साथ ही साथ वो नजरें भी घुमा रहा था कि पत्थर फेंकने वाला दिखे तो सही।
सपन चड्ढा ने भी उसके काम में हाथ बंटाया। “तूने आज सुबह किसका मुंह देखा था?” सपन चड्ढा ने पूछा।

अब तेरे से क्या छिपाना ।” लक्ष्मण दास मुंह फुलाकर बोला—“शीशे में अपना ही चेहरा देखा था।”

“तभी।”

“चुप कर। नहीं तो तेरे दांत तोड़ दूंगा। मैं इस वक्त गुस्से में

" तभी सपन चड्ढा की निगाह कार के भीतर पड़ी तो उसके चेहरे पर हैरानी के भाव उभरे। आगे की दोनों सीटों के बीच उसे वो ही चमकता-सा पत्थर नजर आ रहा था। सपन चड्ढा की आंखें फैल गईं। वो जल्दी से कार के दरवाजे की तरफ बढ़ा और उस पत्थर को उठाकर हाथ में ले लिया। उसे उलट-पलटकर देखा।

लक्ष्मण—इधर तो आ।” सपन चड्ढा ने उसे पुकारा। “तंग मत कर।”

ये देख, मेरे हाथ में क्या है?” लक्ष्मण दास उसके पास आया। उस चमकते पत्थर को देखकर चौंका।

ये क्या?”

इसी ने तो हमारी कार का शीशा तोड़ा है। मैंने इसे कार के भीतर से उठाया है।”

“ये तो कीमती पत्थर लगता है।” लक्ष्मण दास ने तुरंत पत्थर अपने हाथ में लिया।

दोनों बेहद हैरानी में थे।

इसे किसी ने फेंका नहीं है।” लक्ष्मण दास बोला-“इतना कीमती पत्थर कोई कैसे फेंक सकता है?”

हीरा है।” । “शायद उससे भी बढ़कर। इसकी चमक देख, हीरा भी इस तरह नहीं चमकता ।” लक्ष्मण दास ने सिर उठाकर आसमान की तरफ देखा और कह उठा–“शायद हमारे हाथ बेशकीमती चीज लग गई है।”

बेशकीमती?” । “हां, लगता है ये पत्थर अंतरिक्ष में से नीचे आ गिरा है। ये इस धरती का पत्थर नहीं है। कितनी तेजी से आया? वरना कार के शीशे को आसानी से नहीं तोड़ा जा सकता। एक-आध पत्थर शीशे को आसानी से नहीं तोड़ सकता। ये बहुत ऊपर से शीशे पर आ गिरा है। अंतरिक्ष की ही देन है ये पत्थर ।”

“फिर तो सच में बेशकीमती है।” सपन चड्ढा अजीब-से स्वर में कह उठा।

निकल ले यहां से ।” दोनों कार में बैठे।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - by desiaks - 03-08-2021, 10:26 AM

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