Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ
04-14-2021, 12:43 PM,
RE: Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ
शांता:" अच्छा ठीक हैं बेटी , मैं तब तक अपने कमरे से होकर आती हूं, तुम तैयार हो जाओ।

इतना कहकर शांता निकल गई। शांता समझ गई थी कि आज इतने सालो के बाद नए कपड़े कहीं उसके खिलाफ कोई प्लान तो नहीं हो रहा हैं। इसलिए वो अपने कमरे में अाई और उसने गेट के साथ पूरे फर्श पर एक महीन चूर्ण बिछा दिया ताकि उसे ये पता चल जाए कि उसके कमरे में कोई घुसा तो नहीं हैं उसके पीछे। उसके बाद शांता ने कमरे को बंद किया और अच्छे से ताला लगाया और बाहर की तरफ निकल गई।

रूबी गाड़ी निकाल चुकी थी और शांता उसके साथ थी। जल्दी ही दोनो एक बहुत अच्छे शोरूम के सामने थे। रूबी ने मौका देखकर साहिल को मेसेज कर दिया और शांता के साथ कपडे देखने लगी।

वहीं दूसरी तरफ साहिल रूबी के योगा सेंटर के सामने खड़ा था और बेहोश हुई लीमा उसकी गाड़ी में पड़ी हुई थी। रूबी की तरफ से सिग्नल मिलते ही वो घर की तरफ दौड़ पड़ा।

जल्दी ही उसकी गाड़ी घर के अंदर घुस गई। उसने लीमा को कंधे पर उठाया और एक कमरे में बंद कर दिया। उसके बाद वो सीधे शांता के कमरे की तरफ आया ताकि उसे कुछ सबूत मिल सके।

साहिल ने देखा कि उसका दरवाजा बंद हैं जो आमतौर पर नहीं होता था। साहिल की अजीब सा लगा लेकिन उसे अंदर घुसना रहा था वो भी बिना दरवाजा खोले। अब सिर्फ खिड़की ही एक मात्र रास्ता थी इसलिए साहिल धीरे से खिड़की के सहारे अंदर दाखिल होने की कोशिश करने लगा लेकिन पूरी कोशिश के बाद भी खिड़की नहीं खुल पाई।

साहिल पसीने पसीने हो गया। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि क्या किया जाए। तभी उसने एक प्लान किया और वो जानता था कि ये बहुत मुश्किल होगा लेकिन उसके पास कोई और रास्ता नहीं था।

साहिल अंदर से सामान लेकर आया और उसने अपना पुर दम लगाते हुए कमरे के गेट को उखाड़ना शुरू कर दिया। जल्दी ही गेट दूसरी तरफ रखा हुआ था। साहिल जैसे ही अंदर घुस रहा था तो उसे एक तेज गंध का एहसास हुआ और वो जानता था कि ये एक केमिकल पाउडर हैं जो फर्श पर बिछाया दिया जाता है ताकि कमरे में चींटी ना घुसे। लेकिन हमारे घर में तो चींटी हैं ही नहीं तो फिर शांता ने क्यों ये पाउडर बिछाया हैं।

साहिल ने अपना मोबाइल निकाला और यू ट्यूब में उस पाउडर के बारे में देखा कि आज कल उसका इस्तेमाल कहां कहां और क्यों हो रहा हैं तो साहिल समझ गया कि ये शांता ने जाल बिछा दिया है ताकि अगर उसके पीछे कोई आए तो पता चल जाए।

साहिल समझ गया कि ये शांता जरूर कोई बहुत ज्यादा चालू चीज है। अब समस्या ये थी कि अंदर कैसे घुसा जाए। साहिल ने थोड़ी देर के लिए सोचा और अगले ही उसके दिमाग में एक विचार अाया और वो एक लकड़ी का मोटा टुकड़ा लेकर आया और उसे कमरे के बाहर रखते हुए अंदर की तरफ झुक गया।

साहिल की किस्मत आज उसके साथ थी इसलिए वो सीधे बेड पर गिरा और डंडे को उसने वापिस अंदर खींच लिया।

अब साहिल ने अपना काम शुरू किया और उसे शांता के तकिए के नीचे कुछ कंडोम के पैकेट और सेक्स पॉवर की टैबलेट मिली। साहिल ने वो सब वहीं दिया और एक बैग की तरफ देखा जिसमें कुछ सामान था। कपडे और दूसरा कुछ सामान।

साहिल ने देखा कि बैग दूर था इसलिए वो खिड़की पर अंदर की तरफ खड़ा हुआ और पूरा नीचे झुकते हुए बैग को उठा लिया और फिर से बेड पर अा गया।

साहिल ने नग्यको खोल दिया और देखा उसमे कपडे थे। साहिल ने सबसे पहले कपड़ों की कुछ फोटो ली ताकि उन्हें फिर से उसी तरह सजा सके।

उसके बाद साहिल ने एक के बाद एक सभी कपड़े देखने शुरु किए और उसे कुछ खास नहीं मिला।जैसे ही उसने आखिरी कपड़ा हटाया तो उसकी नजर एक पिस्टल पर पड़ी।

साहिल को पसीना अा गया क्योकी शांता के पास पिस्टल होगी उसे ये उम्मीद नहीं थी। साहिल ने धीरे से उसे हाथ में उठा लिया और देखा कि उसकी मैगज़ीन में बहुत छोटी छोटी गोलियां भरी हुई थी। साथ ही साथ साहिल को कुछ तेज धार कटर, हाथ में पहने जाने वाले नुकीले ब्लेड, इसके साथ ही कुछ ज़हर की गोलियां मिली।

है भगवान ये तो जब चाहे हमे सबको मार सकती हैं, इसका जरूर कुछ ना कुछ सोचना पड़ेगा।

साहिल ने पिस्टल की कुछ फोटो खींच ली और फिर से बैग को बंद करके कपडे लगा दिए। साहिल ने बैग की साइड की चैन को खोल दिया और देखा कि उसमे एक डायरी पड़ी हुई थी।

साहिल ने डायरी को खोला तो उसे सबसे पहले शांता का असली रूप देखने को मिला। बेहद ही खूबसूरत, बिल्ली सी आंखो वाली, जितनी खूबसूरत उससे कहीं ज्यादा खतरनाक। हान बिल्कुल यहीं रूप उसने शांता का कल देखा था।

साहिल ने डायरी को खोला तो उसमें उसे कुछ और फोटो मिली जो शायद शांता के बाप भाई और मा की थी। भाई बहुत छोटा सा शायद 8 साल का बस। देखने से बेचारे बहुत ही सीधे और सज्जन लोग लग रहे थे और कपडे इस बात की साफ गवाही दे रहे थे कि वो एक बहुत ही अच्छे और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे।

शांता की मा के गले में पड़ा हुआ हीरो का हार, फोटो में देखने पर भी चमक कर अपनी शोभा बिखेर रहा था। साहिल ने डायरी को आगे खोला लेकिन उसमे सिर्फ एक ही लाइन लिखी हुई थी"

" पापा मैं आपके दुश्मन के घर में हूं, मैं जानती हूं कि आपने ज़िन्दगी भर अपनी मेहनत से जो इज्जत और मुकाम हासिल किया था वो सब आपसे छीन लिया गया। एक मामूली सा नौकर जिसे आपने मान सम्मान और इज्जत दिया उसने ही आपको सड़क पर लाकर छोड़ दिया गया, महल जैसे घरों ने रहने वाली मेरी मा को दर दर की ठोकरें खाने पड़ी। जब इतने से भी कहर सिंह का मन नहीं भरा तो आपके उपर गाड़ी चढ़वा कर आपको मार दिया। पापा मैं विदेश में थी और आपने मुझे बताया तक नहीं कि आपके साथ ये सब हुआ। आपके एक वफादार साथी ने हर साल मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया और अंत में जब में इंडिया वापिस अाई तो कहीं जाकर मुझे सच्चाई का पता चला और उसने मुझे आपके द्वारा लिखी गई उस चिट्ठी को दिया जिसमे आपने अपनी बर्बादी की कहानी लिखी थी। पापा मैं उसी दिन से केहर के को बर्बाद करने पर लगी हुई हूं। केहर सिंह और उसकी पत्नी को तो मैंने उनके अंजाम तक पहुंचा दिया और अभी कुछ और लोग बाकी हैं पापा। मैं हर एक आदमी को बर्बाद कर दूंगी, तबाह कर दूंगी। ज्योति नाम हैं मेरा मतलब आग , मैं उनकी सारी दुनिया में आग लगा दुगी बाबा।

मुझे आशीर्वाद दीजिए पापा।

आपकी अभागी बेटी

ज्योति

एक के बाद हर एक पेज पर तारीख के साथ यही लिखा हुआ था। मतलब शांता का असली नाम ज्योति हैं और वो हर रोज ये बात डायरी में लिखती है ताकि भूल ना जाए।

साहिल ने डायरी के कुछ फोटो लिए और तभी उसके रूबी का मेसेज मिला कि बेटा हम निकल रहे हैं। करीब एक घण्टे में वापिस अा जाएंगे।

साहिल के पास अब समय बहुत कम बचा हुआ था। उसने सारी चीज़ें को फिर से पहले की तरह लगाया और अंत में अपने लकड़ी के डंडे के सहारे बाहर आ गया।

साहिल ने दरवाजा खोल तो दिया था लेकिन दरवाजा वापिस लागाना इतना आसान काम नहीं था। लेकिन फिर भी वो अपने काम में जुट गया। कभी इधर पेंच लगाता तो कभी उधर। उससे दरवाजा नहीं लग पा रहा था, उसकी सांस फूल गई और सारा जिस्म पसीने से भीग गया लेकिन दरवाजा नहीं लग पा रहा था।

लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और कहते हैं कि कोशिश करने वाली की कभी हार नहीं होती। अंत में उसकी मेहनत रंग लाई और दरवाजा लग गया था बस अभी कुछ पेंच लगने बाकी थे।

सिर्फ दो मिनट बच गए थे और रूबी किसी भी समय घर के अंदर अा सकती थी। साहिल ने पेंच को लगाया लेकिन उसकी चूड़ी खराब हो गई थी और जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने जोर से एक घुसा मारा जिससे पेंच अंदर चला गया लेकिन साथ ही साथ वो साहिल के हाथ में भी घुसता चला गया।

साहिल के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी और खून निकलना शुरू हो गया। साहिल ने फुर्ती से अपने दूसरे हाथ से खून निकलने वाली जगह को दबा दिया और एक नजर दरवाजे पर मारते हुए अंदर की तरफ घुस गया।

जैसे ही घर के अंदर घुसा तभी रूबी की गाड़ी मैन गेट से अंदर घुस गई। साहिल ने सुकून की सांस ली लेकिन अब खून बहना शुरु हो गया था और साहिल ने उस पर एक कपड़ा बांध लिया। धीरे धीरे खून का बहना कम हुआ लेकिन दर्द की लकीरें उसके चेहरे पर उभरकर उसके दर्द को बयान कर रही थी।

रूबी ने गाड़ी पार्क करी और शांता बाहर ही उतर गई और अपने कमरे में जाने लगी। रूबी को फिकर थी कि पता नहीं क्या हुआ होगा। लेकिन आज जिस रफ्तार से शांता अपने कमरे में जा रही थी रूबी समझ गई कि साहिल अपनी जगह गलत नहीं था, एक 70 साल की बुढ़िया इतनी तेज रफ्तार से नहीं चल सकती।

शांता ने अपना कमरा खोला और देखा कि अंदर घर में फर्श पर कोई निशान नहीं था इसका मतलब उसके पीछे घर में कोई नहीं घुसा। शांता ने कपडे एक साइड में रख दिए और अपने कमरे को ध्यान से देखने लगी लेकिन उसे कहीं कोई निशान या ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे वो परेशान होती।

दूसरी तरफ रूबी अपनी गाड़ी से निकली और घर के अंदर घुस गई। उसकी हालत खराब थी और वो तेजी से साहिल को देखते ही उससे लिपट गई। साहिल ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और दोनो एक दूसरे की धड़कन सुनने लगे।

रूबी:" क्या हुआ साहिल ? कुछ मिला क्या ?

साहिल:" मम्मी वो लीमा अंदर कमरे में पड़ी हुई है, और शांता के कमरे की तलाशी ले ली हैं मैने। मम्मी शांता को हम जितना खतरनाक सोच रहे थे ये तो उससे कहीं ज्यादा निकली।

रूबी साहिल के पास ही सोफे पर बैठ गई और बोली :"

" क्या हुआ ? क्या मिला मुझे सब बताओ ?

साहिल के हाथ में बंधा हुआ कपड़ा खून के कारण पूरी तरह से लाल हो गया था लेकिन उसने अपने हाथ को साइड में करके छुपा लिया था। साहिल बिल्कुल नॉर्मल होने की कोशिश कर रहा था लेकिन ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर रही थी।

साहिल:" मम्मी केहर सिंह तो मेरे दादा जी का नाम हैं ना ?

रूबी चौंकते हुए:" हान बेटा, लेकिन क्या हुआ ? उन्हें मरे हुए तो बहुत साल हो गए।

साहिल:" मम्मी कहानी ये है कि दादा केहर सिंह की वजह से हुआ। कभी शांता यानी ज्योति के परिवार को केहर सिंह ने बर्बाद कर दिया था और उनकी सब दौलत पैसा लूट लिया। केहर सिंह ज्योति के पापा के यहां नौकर थे और मौका देखकर उसने उन्हें बर्बाद कर दिया और अंत में मरवा भी दिया।

ये ज्योति उस समय छोटी थी और विदेश में भी, लेकिन जब वापिस अाई इसे सब बातो का पता चला। अब उसने हमारे घर से लेकर ऑफिस हर जगह अपने आदमी भरे हुए हैं।

रूबी को जैसे लकवा सा मार गया, उसकी पलके तक नहीं झपक रही थी। मानो उसे साहिल की बताई हुई किसी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था।

साहिल:" मम्मी ये ही सच्चाई हैं। अब वो हमे बर्बाद करने अाई हैं। मुझे लगता हैं कि लीमा, प्रिया, दुबे और नीरज सब उसके ही मोहरे हैं। जिन्हे वो अपनी मर्जी से नचा रही है।

रूबी ने बड़ी मुश्किल से अपना मुंह खोला और बोली:"

लेकिन बेटा नीरज और शांता का क्या संबंध, वो तो मेरे पीछे पड़ा हुआ है, फिर शांता कहां गई ? और ये रवि मिश्रा कौन हैं ?

साहिल:" मम्मी ये ही सब तो अब पता करना होगा।

साहिल के हाथ में फिर से तेज दर्द हुआ और इस बार जैसे ही उसके चेहरे के भाव बदले तो रूबी ने उसके चेहरे को ध्यान से देखा और बोली:"

" क्या हुआ साहिल ? तुम ठीक तो हो ?

साहिल:" हान मम्मी मैं बिल्कुल ठीक हूं।

रूबी उसके पास अा गई और उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बोली:"

" नहीं तुम झूठ बोल रहे हो, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो ? सच बताओ

साहिल:" नहीं मम्मी, कुछ नहीं हुआ, सब ठीक तो है।

रूबी ने ध्यान दिया तो देखा कि बड़ी देर से साहिल का एक हाथ अपनी जगह से नहीं हिला हैं तो उसे शक हुआ और वो खड़ी हो गई। साहिल शायद समझ गया और वो बोला:"

" मम्मी मैं बाथरूम होकर आता हूं।

इतना कहकर उसने हाथ को फिर से पीछे किया और चलने लगा तो रूबी किसी शेरनी की तरह उसकी तरफ झपटी और उसे पकड़ लिया और उसका हाथ देखते ही रूबी तड़प उठी

" है भगवान, साहिल ये क्या हो गया तुम्हे, दिखाओ मुझे क्या हुआ हैं ?

साहिल:" कुछ नहीं मम्मी, मैं ठीक हूं, आप परेशान मत हो, मामूली सी चोट हैं।

रूबी की आंखो से आंसू निकल आए और वो लगभग रोते हुए बोली:" पागल तो नहीं हो तुम, लाओ मुझे दिखाओ।

इतना कहकर उसने साहिल के हाथ में बंधा हुआ कपड़ा खोल दिया और उसका जख्म देखते ही उसका दिल रो पड़ा।

रूबी:" उफ्फ, कितना बड़ा जख्म हैं, कैसे हुआ ये सब ? रुक मैं पट्टी कर देती हूं तुझे।

इतना कहकर रूबी अपने कमरे की तरफ दौड़ी और पट्टी लेकर बाहर अाई लेकिन तभी बैल बज गई। रूबी समझ गई कि शांता अा गई है इसलिए वो वापिस आने को मजबूर थी।

रूबी:" लगता हैं कुतिया अा गई फिर से, बेटा लीमा कहां है ?

साहिल:" मम्मी वो सामने वाले कमरे में बंद हैं।

रूबी:" तुम ये पट्टी लो और लीमा को उठाकर अपने बाप के पास तहखाने में ही बंद कर दो। ये कमीनी इस समय पूरे घर की सफाई करती हैं। बंद कमरा देखकर शक ना कर ले और तुम्हे भी इस समय घर नहीं होना चाहिए।

साहिल को अपनी मा की बात ठीक लगी और उसने जल्दी से कमरा खोला और लीमा को उठाकर तहखाने में घुस गया।

अंदर लीमा को देखते ही अनूप गुस्से से पागल हो गया और उसने एक जोरदार थप्पड़ उसे जड़ दिया तो दर्द के मारे लीमा की आंख खुल गई और वो अपने सामने अनूप को देखकर कांप उठी।

अनूप:" साली रण्डी, मुझे बर्बाद कर दिया तूने, मार डालूंगा तुझे। मुझे नामर्द बना दिया।

अनूप गुस्से से चिल्लाते हुए लीमा को पीटने लगा तो साहिल ने उसे अलग किया और बोला:"

" बस कर अनूप, नहीं तो तेरा मुंह तोड़ दूंगा।

अनूप की सिट्टी पित्ती गुम हो गई वहीं लीमा ये देखकर हैरान हो गई कि साहिल अपने बाप से किस तरह बात करता है। उसकी बिल्कुल इज्जत नहीं करता इसका मतलब साफ है कि अनूप अपने परिवार की नजरो में गिर चुका है।

अनूप :" लेकिन बेटा तू ही पूछ इससे मैने क्या बिगाड़ा था इसका ?क्यों इसने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी।

साहिल:' बकवास बंद करो तुम, तुम खुद ही अपनी बर्बादी के लिए जिम्मेदार हो।

अनूप चुप हो गया और साहिल दे हाथ में लगे हुए जख्म को देख कर बोला:"

" ये तुम्हे क्या हो गया बेटा ? कैसे चोट लग गई ?

साहिल:" तुम्हारे ही कर्मो कि सज़ा भुगत रहा हूं मैं। चुपचाप आराम से रहो तुम। नहीं तो तुम्हारा वो हाल करूंगा कि आवाज नहीं निकल पाएगी।

साहिल ने अपनी जेब से पट्टी निकाली और अपने हाथ पर लपेटने लगा लेकिन उससे ठीक से नहीं हो पा रही थी तो लीमा आगे आते हुए बोली:"

" मुझे दो, मैं बांध देती हूं। तुमसे खुद नहीं बंध पाएगी।

साहिल ने कुछ नहीं बोला और लीमा ने उसके हाथ से पट्टी ली और उसके जख्म पर करनी शुरू कर दी। साहिल ध्यान से लीमा के चेहरे को देख रहा था और सोच रहा था कि इस औरत को मैंने पिछले तीन दिनों से बंद करके रखा हुआ था और आज उसके बाद भी ये मुझे पट्टी कर रही हैं जरूर कहीं ना कहीं उसके अंदर इंसानियत बाकी हैं।

जल्दी ही लीमा ने उसके हाथ में पट्टी बंद दी और साहिल थोड़ी देर के लिए वही पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गया।

साहिल:" अच्छा लीमा एक बताओ, मुझे लगता हैं कि तुम एक बुरी लड़की नहीं हो, फिर तुमने ये सब क्यों किया ?

लीमा का चेहरा बिल्कुल भावहीन हो गया और छत की तरफ देखने लगी। साहिल ने फिर से कहा:"

" लीमा बताओ तुमने ये सब क्यों किया? अपनी मर्जी से तुम ये सब नहीं कर सकती, पैसा का तुम्हे लालच है क्या या फिर कोई और बात हैं ?

लीमा फिर से उसी तरह खामोश रही मानो उसने कुछ सुना ही नहीं था। साहिल ने एक बार उसकी आंखो के आगे अपना हाथ घुमाया और बोला:"

" मैं तुमसे ही बात कर रहा हूं। कुछ तो बोलो तुम लीमा

लीमा के अपनी नजरे उपर उठाई तो देखा कि उसकी आंखे भीगी हुई थी। और देखते ही देखते उसकी रुलाई फूट पड़ी और उसके चेहरे पर दर्द साफ उभर आया।
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RE: Free Sex Kahani स्पेशल करवाचौथ - by desiaks - 04-14-2021, 12:43 PM

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