RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
पूजा के मुँह मे धर्मवीर का थूक जाते ही उसके शरीर मे अश्लीलता और वासना का एक नया तेज नशा होना सुरू हो गया ।
मानो धर्मवीर ने पूजा के मुँह मे थूक नही बल्कि कोई नशीला चीज़ डाल दिया हो।
पूजा मदहोशी की हालत मे अपने सलवार के उपर से ही चूत को भींच लिया।
धर्मवीर पूजा की यह हरकत देखते समझ गये कि अब चूत की फाँकें फड़फड़ा रही हैं।
दूसरे पल धर्मवीर के हाथ पूजा के सलवार के नाड़े पर पहुँच कर नाड़े की गाँठ खोलने लगा ।
लेकिन धर्मवीर की गोद मे बैठी पूजा के सलवार की गाँठ कुछ कसा बँधे होने से खुल नही पा रहा था।
ऐसा देखते ही पूजा धर्मवीर की गोद मे बैठे ही बैठे अपने दोनो हाथ नाड़े पर लेजाकर धर्मवीर के हाथ की उंगलिओ को हटा कर खुद ही नाड़े की गाँठ खोलने लगीं।
ऐसा देख कर धर्मवीर ने अपने हाथ को नाड़े की गाँठ के थोड़ा दूर कर के पूजा के द्वारा नाड़े को खुल जाने का इंतजार करने लगे।
अगले पल नाड़े की गाँठ पूजा के दोनो हाथों ने खोल दी और फिर पूजा के दोनो हाथ अलग अलग हो गये।
यह देख कर धर्मवीर समझ गये की आगे का काम उनका है क्योंकि पूजा सलवार के नाड़े के गाँठ खुलते ही हाथ हटा लेने का मतलब था कि वह खुद सलवार नही निकलना चाहती थी ।शायद लाज़ के कारण, फिर पूजा का हाथ हटते ही धर्मवीर अपने हाथ को सलवार के नाड़े को उसके कमर मे से ढीला करने लगे ।
धर्मवीर के गोद मे बैठी पूजा के कमर मे सलवार के ढीले होते ही सलवार कमर के कुछ नीचे हुआ तो गोद मे बैठी पूजा की चड्डी का उपरी हिस्सा दिखने लगा ।
फिर धर्मवीर अगले पल ज्योन्हि पूजा की सलवार को निकालने की कोशिस करना सुरू किए की पूजा ने अपने चौड़े चूतड़ों को गोद मे से कुछ उपर की ओर हवा मे उठा दी और मौका देखते ही धर्मवीर सलवार को पूजा के चूतड़ों के नीचे से सरकाकर उसके पैरों से होते हुए निकाल कर फर्श पर फेंक दिया ।
अब केवल पैंटी मे पूजा अपने बड़े बड़े और काले चूतड़ों को लेकर धर्मवीर के गोद मे बैठ गयी।
पूजा के दोनो चूतड़ चौड़े होने के नाते काफ़ी बड़े बड़े लग रहे थे और फैल से गये थे । जिस अंदाज़ मे पूजा बैठी थी उससे उसकी लंड की भूख एकदम सॉफ दिख रही थी।
चेहरे पर जो भाव थे वह उसके बेशर्मी को बता रहे थे।
अब पूजा की साँसे और तेज चल रही थी ।सलवार हटते ही पूजा की मोटी मोटी जांघ भी नंगी हो गयी जिसपर धर्मवीर की नज़र और हाथ फिसलने लगे।
पूजा की जांघे काफ़ी मांसल और गोल गोल साँवले रंग की थी। लेकिन चूत के पास के जाँघ का हिस्सा कुछ ज़्यादा ही सांवला था।
धर्मवीर पूजा की नंगी और मांसल साँवले रंग की जांघों को अब काफ़ी ध्यान से देख रहे थे ।
पूजा जो की धर्मवीर के गोद मे ऐसे बैठी थी मानो अब धर्मवीर के गोद से उठना नही चाहती हो।
धर्मवीर का लंड भी चड्डी के अंदर खड़ा हो चुका था।
जिसका कडापन और चुभन केवल पैंटी मे बैठी पूजा अपने काले चूतड़ों मे आराम से महसूस कर रही थी ।
फिर भी बहुत ही आराम से एक चुदैल औरत की तरह अपने दोनो चूतड़ों को उनके गोद मे पसार कर बैठी थी।
धर्मवीर ने पुजा को गोद मे बैठाए हुए उसकी नंगी गोल गोल चुचिओ पर हाथ फेरते हुए काफ़ी धीरे से पूछा - मज़ा आ रहा है ना।
इस पर पूजा धीरे से बोली - जी ।
और अगले पल अपनी सिर कुछ नीचे झुका ली । साँसे कुछ तेज ले रही थी।
धर्मवीर - तेरे जैसे भरे शरीर की लौंडिया को ऐसे ही चोदना चाहिए पूरी जवानी ठंडी कर देनी चाहिए । वरना तेरे जैसी संस्कारी लड़की आवारा लड़को के लौड़ों के नीचे सोने लगती है । और उनके लंड का पानी यदि एकबार पी लिया तेरी इस भैंस जैसी चूत ने तो तुझे चुदक्कड़ कुतिया बनने से कोई नही रोक सकता ।
धर्मवीर पूजा के पैंटी के उपर से ही चूत को मीज़ते हुए यह सब बातें धीरे धीरे बोल रहे थे और पूजा सब चुप चाप सुन रही थी ।
वह गहरी गहरी साँसें ले रही थी और नज़रें झुकाए हुए थी।
धर्मवीर की बातें सुन रही पूजा खूब अच्छी तरह समझ रही थी कि धर्मवीर किन आवारों की बात कर रहें हैं । लेकिन वह नही समझ पा रही थी कि अवारों के लंड का पानी मे कौन सा नशा होता है जो औरत को छिनाल या चुदैल बना देता है।
पूजा को धर्मवीर की यह सब बातें केवल एक सलाह लग रही थी जबकि वास्तव मे धर्मवीर के मन मे यह डर था कि अब पूजा को लंड का स्वाद मिल चुका है और वह काफ़ी गर्म भी है।
ऐसे मे यदि शहर के आवारा लड़के मौका पा के पूजा की रगड़दार चुदाई कर देंगे तो पूजा केवल मुझसे चुद्ते रहना उतना पसंद नही करेगी और अपने शहर के आवारे लौड़ों के चक्कर मे इधर उधर घूमती फिरती रहेगी। जिससे हो सकता है कि धर्मवीर के यहां पर आना जाना भी बंद कर दे ।
चूत को पैंटी के उपर से सहलाते हुए जब भी चूत के छेद वाले हिस्से पर उंगली जाती तो पैंटी को छेद वाला हिस्सा चूत के रस से भीगे होने से धर्मवीर जी की उंगली भी भीग जा रही थी।
धर्मवीर जब यह देखे कि पूजा की चूत अब बह रही है तो उसकी पैंटी निकालने के लिए अपने हाथ को पूजा के कमर के पास पैंटी के अंदर उंगली डाल कर निकालने के लिए सरकाना सुरू करने वाले थे कि पूजा समझ गयी कि अब पैंटी निकालना है तो पैंटी काफ़ी कसी होने के नाते वह खुद ही निकालने के लिए उनकी गोद से ज्योन्हि उठना चाही धर्मवीर ने उसका कमर पकड़ कर वापस गोद मे बैठा लिए और गुर्राकर तेज आवाज में बोले ।
धरमवीर - रूक आज मैं तुम्हारी पैंटी निकालूँगा । थोड़ा मेरे से अपनी कसी हुई पैंटी निकलवाने का तो मज़ा लेले रंडी की बहन ।
पूजा धर्मवीर के गोद मे बैठने के बाद यह सोचने लगी कि कहीं आज पैंटी फट ना जाए।
फिर पूजा की पैंटी के किनारे मे अपनी उंगली फँसा कर धीरे धीरे कमर के नीचे सरकाने लगे । पैंटी काफ़ी कसी होने के वजह से थोड़ी थोड़ी सरक रही थी।
पूजा काफ़ी मदद कर रही थी कि उसकी पैंटी आराम से निकल जाए। फिर पूजा ने अपने चूतड़ों को हल्के सा गोद से उपर कर हवा मे उठाई लेकिन धर्मवीर जी चूतड़ की चौड़ाई और पैंटी का कसाव देख कर समझ गये कि ऐसे पैंटी निकल नही पाएगी, क्योंकि कमर का हिस्सा तो कुछ पतला था लेकिन नीचे चूतड़ काफ़ी चौड़े थे फिर उन्होने पूजा को अपने गोद मे से उठकर खड़ा होने के लिए कहा - चल खड़ी हो जा बहनकी लौड़ी तब निकालूँगा तेरी पैंटी , तेरे कूल्हे इतने चौड़े हैं कि लगता है किसी कम उम्र की भैंस के चूतड़ हों ।
इतना सुनते ही पूजा उठकर खड़ी हो गयी और फिर धर्मवीर उसकी पैंटी निकालने की कोशिस करने लगे। पैंटी इतनी कोशिस के बावजूद बस थोड़ी थोड़ी किसी तरह सरक रही थी ।
पूजा के गोल मटोल चूतड़ धर्मवीर के मुँह के ठीक सामने ही थे जिस पर पैंटी आ कर फँस गयी थी ।
जब धर्मवीर चड्डी को नीचे की ओर सरकाते तब आगे यानी पूजा के झांट और चूत के तरफ की पैंटी तो सरक जाती थी लेकिन जब पिछला यानी पूजा के चूतड़ों वाले हिस्से की पैंटी नीचे सरकाते तब चूतड़ों का निचला हिस्सा काफ़ी गोल और मांसल होकर बाहर निकले होने से चड्डी जैसे जैसे नीचे आती वैसे वैसे चूतड़ के उभार पर कस कर टाइट होती जा रही थी ।
आख़िर किसी तरह पैंटी नीचे की ओर आती गयी और ज्योन्हि चूतड़ों के मसल उभार के थोड़ा सा नीचे की ओर हुई कि तुरंत "फटत्त" की आवाज़ के साथ चड्डी दोनो बड़े उभारों से नीचे उतर कर जाँघ मे फँस गयी ।
पैंटी के नीचे होते ही पूजा के सांवले और काफ़ी बड़े दोनो चूतड़ों के गोलाइयाँ अपने पूरे आकार मे आज़ाद हो कर हिलने लगे।
मानो पैंटी ने इन दोनो चूतड़ों के गोलाईओं को कस कर बाँध रखा था।
चूतड़ों के दोनो गोल गोल और मांसल हिस्से को धर्मवीर काफ़ी ध्यान से देख रहे थे ।
पूजा तो साँवले रंग की थी लेकिन उसके दोनो चूतड़ भी सांवले रंग के थे।
चूतड़ काफ़ी कसे हुए थे । पैंटी के नीचे सरकते ही पूजा को राहत हुई कि अब पैंटी फटने के डर ख़त्म हो गया था ।
फिर धर्मवीर सावित्री के जांघों से पैंटी नीचे की ओर सरकाते हुए आख़िर दोनो पैरों से निकाल लिए । निकालने के बाद पैंटी के चूत के सामने वाले हिस्से को जो की कुछ भीग गया था उसे अपनी नाक के पास ले जा कर उसका गंध नाक से खींचे और उसकी मस्तानी चूत की गंध का आनंद लेने लगे ।
पैंटी को एक दो बार कस कर सूंघने के बाद उसे फर्श पर पड़े पूजा के कपड़ों के उपर फेंक दिया ।
अब पूजा एकदम नंगी होकर धर्मवीर के सामने अपना चूतड़ कर के खड़ी थी ।
फिर अगले पल धर्मवीर चटाई पर उठकर खड़े हुए और अपनी चड्डी निकाल कर चटाई पर रख दिए।
उनका लंड अब एकदम से खड़ा हो चुका था. धर्मवीर फिर चटाई पर बैठ गये और पूजा जो सामने अपने चूतड़ को धर्मवीर की ओर खड़ी थी , फिर से गोद मे बैठने के बारे मे सोच रही थी कि धर्मवीर ने उसे गोद के बजाय अपने बगल मे बैठा लिए ।
पूजा चटाई पर धर्मवीर के बगल मे बैठ कर अपनी नज़रों को झुकाए हुए थी।
फिर धर्मवीर ने पूजा के एक हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर खड़े तननाए लंड से सटाते हुए पकड़ने के लिए कहा।
पूजा ने धर्मवीर के लंड को काफ़ी हल्के हाथ से पकड़ी क्योंकि उसे लाज़ लग रही थी। धर्मवीर का लंड एकदम गरम और कड़ा था। सुपाड़े पर चमड़ी चढ़ी हुई थी । लंड का रंग गोरा था और लंड के अगाल बगल काफ़ी झांटें उगी हुई थी ।
धर्मवीर ने देखा की पूजा लंड को काफ़ी हल्के तरीके से पकड़ी है और कुछ लज़ा रही है तब पूजा से बोले - अरे चूत की रानी कस के पकड़ , ये कोई साँप थोड़ी है कि तुझे काट लेगा, थोड़ा सुपाड़े की चमड़ी को आगे पीछे कर ।अब तो तेरो उमर हो गयी है ये सब करने की, लंड से खेलने की, लौड़ों के बीच रहने की । थोड़ा मन लगा के लंड का मज़ा लूट । पहले इस सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी को पीछे की ओर सरका और थोड़ा सुपाड़े पर नाक लगा के लौड़े की गंध सूंघ ।
पूजा ये सब सुन कर भी चुपचाप वैसे ही बगल मे बैठी हुई लंड को एक हाथ से पकड़ी हुई थी और कुछ पल बाद कुछ सोचने के बाद सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी को अपने हाथ से हल्का सा पीछे की ओर खींच कर सरकाना चाही और अपनी नज़रे उस लंड और सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी पर गढ़ा दी थी । बहुत ध्यान से देख रही थी कि लंड एक दम साँप की तरह चमक रहा था और सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी पूजा के हाथ की उंगलिओ से पीछे की ओर खींचाव पा कर कुछ पीछे की ओर सर्की और सुपाड़े के पिछले हिस्से पर से ज्योन्हि पीछे हुई की सुपाड़े के इस काफ़ी चौड़े हिस्से से तुरंत नीचे उतर कर सुपाड़े की चमड़ी लंड वाले हिस्से मे आ गयी और धर्मवीर के लंड का पूरा सुपाड़ा बाहर आ गया जैसे कोई फूल खिल गया हो और चमकने लगा ।
जैसे ही सुपाड़ा बाहर आया धर्मवीर पूजा से बोले - देख इसे सूपड़ा कहते हैं और औरत की चूत मे सबसे आगे यही घुसता है, अब अपनी नाक लगा कर सूँघो और देखा कैसी महक है इसकी । इसकी गंध सूँघोगी तो तुम्हारी मस्ती और बढ़ेगी चल सूंघ इसे ।
पूजा ने काफ़ी ध्यान से सुपादे को देखा लेकिन उसके पास इतनी हिम्मत नही थी कि वह सुपाड़े के पास अपनी नाक ले जाय। तब धर्मवीर ने पूजा के सिर के पीछे अपना हाथ लगा कर उसके नाक को अपने लंड के सुपाड़े के काफ़ी पास ला दिया लेकिन पूजा उसे सूंघ नही रही थी।
धर्मवीर ने कुछ देर तक उसके नाक को सुपाड़े से लगभग सटाये रखा तब पूजा ने जब साँस ली तब एक मस्तानी गंध जो की लौड़े की थी, उसके नाक मे घुसने लगी और पूजा कुछ मस्त हो गयी।
फिर वह खुद ही सुपादे की गंध सूंघने लगी। ऐसा देख कर धर्मवीर ने अपना हाथ पूजा के सिर से हटा लिया और उसे खुद ही सुपाड़ा सूंघने दिया और वह कुछ देर तक सूंघ कर मस्त हो गयी।
फिर धर्मवीर ने उससे कहा - अब सुपाड़े की चमड़ी को फिर आगे की ओर लेजा कर सुपाड़े पर चढ़ा दे ।
यह सुन कर पूजा ने अपने हाथ से लंड की चमड़ी को सुपाड़े के उपर चढ़ाने के लिए आगे की ओर खींची और कुछ ज़ोर लगाने पर चमड़ी सुपाड़े के उपर चढ़ गयी और सुपाड़े को पूरी तरीके से ढक दी मानो कोई नाप का कपड़ा हो जो लंड के सुपाड़े ने पहन लिया हो ।
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