RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
[color=#0000FF]धर्मवीर ने देखा की पूजा लंड को काफ़ी ध्यान से अपने हाथ मे लिए हुए देख रही थी । और उन्होने ने उसे दिखाने के लिए थोड़ी देर तक वैसे ही पड़े रहे और उसके साँवले हाथ मे पकड़ा गया गोरा लंड अब झटके भी ले रहा था।
धर्मवीर बोले - पूजा रानी चमड़ी को फिर पीछे और आगे कर के मेरे लंड की मस्ती बढ़ा कि बस ऐसे ही बैठी रहेगी । अब तू सयानी हो गयी है और तेरा बाप तेरी शादी भी जल्दी करेगा । तो लंड से कैसे खेला जाता है कब सीखेगी। और मायके से जब ये सब सिख कर ससुराल जाएगी तब समझ ले कि अपने ससुराल मे बढ़े मज़े लूटेगी और तुम्हे तो भगवान ने इतनी गदराई जवानी और शरीर दिया है कि तेरे ससुराल मे तेरे देवर और ससुर का तो भाग्य ही खूल जाएगा । बस तू ये सब सीख ले की किसी मर्द से ये गंदा काम कैसे करवाया जाता है और शेष तो भगवान तेरे पर बहुत मेरहबान है ।
धर्मवीर जी बोले और मुस्कुरा उठे । पूजा ये सब सुन कर कुछ लज़ा गयी लेकिन धर्मवीर के मुँह से शादी और अपने ससुराल की बात सुनकर काफ़ी गर्व महसूस की और थोड़ी देर के लिए अपनी नज़रें लंड पर से हटा कर लाज़ के मारे नीचे झुका ली लेकिन अपने एक हाथ से लंड को वैसे ही पकड़े रही।
धर्मवीर ने देखा की पूजा भी अन्य लड़कियो की तरह शादी के नाम पर काफ़ी खुश हो गयी और कुछ लज़ा भी रही थी ।
तभी पूजा के नंगे चौड़े मासल चूतड़ों पर हाथ फेरते वो आगे धीरे से बोले- अपनी शादी मे मुझे बुलाओगी की नही ।
पूजा ने जब धर्मवीर के मुँह से ऐसी बात सुनी तो उसे खुशी का ठिकाना ही नही रहा और नज़ारे झुकाए ही हल्की सी मुस्कुरा उठी लेकिन लाज़ के मारे कुछ बोल नही पाई और शादी के सपने मन मे आने लगे तभी धर्मवीर ने फिर बोला ।
धर्मवीर -बोलो बुलाओगी की नही ।
इस पर पूजा काफ़ी धीरे से बोली - जी बुलाऊंगी ।
एकदम से सनसना गयी. क्योंकि धर्मवीर का लंड उसके हाथ मे भी था और वह एकदम से नंगी धर्मवीर के बगल मे बैठी थी और उसके चूतड़ों पर धर्मवीर जी का हाथ मज़ा लूट रहा था।
ऐसे मे शादी की बात उठने पर उसके मन मे उसके होने वाले पति, देवर, ससुर, ननद, सास और ससुराल यानी ये सब बातों के सपने उभर गये इस वजह से पूजा लज़ा और सनसना गयी थी। धर्मवीर जी की इन बातों से सावित्री बहुत खुश हो गयी थी । किसी अन्य लड़की की तरह उसके मन मे शादी और ससुराल के सपने तो पहले से ही थे।
तभी धर्मवीर ने कहा - तेरा बाप बुलाए या नही तू मुझे ज़रूर बुलाना मैं ज़रूर आउन्गा । चलो लंड के चमड़ी को अब आगे पीछे करो और लंड से खेलना सीख लो ।
कुछ पल के लिए शादी के ख्वाबों मे डूबी पूजा वापस लंड पर अपनी नज़रे दौड़ाई और सुपाड़े की चमड़ी को फिर पीछे की ओर खींची और पहले की तरह सुपाड़ा से चमड़ी हटते ही खड़े लंड का चौड़ा सुपाड़ा एक दम बाहर आ गया।
पूजा की नज़रे लाल सुपाड़े पर पड़ी तो मस्त होने लगी। लंड पर पूजा का हाथ वैसे ही धीरे धीरे चल रहा था और खड़े लंड की चमड़ी सुपादे पर कभी चढ़ती तो कभी उतरती थी।
धर्मवीर के दोनो हाथों से चूतड़ और चुचि को कस कर मीज़ना सुरू किए और आगे बोले - मैं तेरे मर्द से भी मिल कर कह दूँगा कि तुम्हे ससुराल मे कोई तकलीफ़ नही होनी चाहिए । हमारी पूजा हर वक्त लंड के नीचे रहनी चाहिए । पूरी कसकर चुदनी चाहिए ।
पूजा के चुचिओ और चूतड़ों पर धर्मवीर के हाथ कहर बरपा रहे थे इस वजह से उसके हाथ मे लंड तो ज़रूर था लेकिन वह तेज़ी से सुपाड़े की चमड़ी को आगे पीछे नही कर पा रही थी।
वह यह सब सुन रही थी लेकिन अब उसकी आँखे कुछ दबदबाने जैसी लग रही थी।
धर्मवीर के सॉफ आश्वासन से कि वह खुश हो गयी। अब चूतड़ों और चुचिओ के मीसाव से मस्त होती जा रही थी पूजा ।
धर्मवीर बोले - और मेरे ही लंड से तुम खूब चुदोगी आज तो मेरे ही सामने शादी के मंडप तुम किसी की पत्नी बनोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा क्योंकि मैं ये तो देख लूँगा के मैने जिसकी चूत का भोसड़ा बनाया है उसकी सुहागरात किसके साथ मनेगी , सही बात है कि नही ।
इतना कह कर धर्मवीर मुस्कुरा उठे और आगे बोले - लंड तो देख लिया, सूंघ लिया और अब इसे चाटना और चूसना रह गया है इसे भी सीख लो चलो। इस सुपादे को थोड़ा अपने जीभ से चाटो । आज तुम्हे इतमीनान से सब कुछ सीखा दूँगा ताकि ससुराल मे तुम एक गुणवती की तरह जाओ और अपने गुनो से सबको संतुष्ट कर दो ।
फिर आगे बोले - चलो जीभ निकाल कर इस सुपाड़े पर फिराओ ।
पूजा अगले पल अपने जीभ को सुपादे पर फिराने लगी। सुपाड़े के स्पर्श से ही पूजा की जीभ और मन दोनो मस्त हो उठे ।
पूजा की जीभ का थूक सुपाड़े पर लगने लगा और सुपाड़ा गीला होने लगा।
पूजा के नज़रें सुपाड़े की बनावट और लालपन पर टिकी थी।
पूजा अपने साँवले हाथों मे धर्मवीर के खड़े और गोरे लंड को कस के पकड़ कर अपने जीभ से धीरे धीरे चाट रही थी।
धर्मवीर जी सावित्री के चेहरे को देख रहे थे और लंड चूसने के तरीके से काफ़ी खुश थे।
पूजा के चेहरे पर एक रज़ामंदी और खुशी का भाव सॉफ दीख रहा था।
धर्मवीर की नज़रें चेहरे पर से हट कर पूजा के साँवले और नंगे शरीर पर फिसलने लगी ।
पंडित जी अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उसके भैंस की तरह बड़े बड़े दोनो चूतड़ों पर फिराने लगे और चूतड़ों पर के मांसल गोलाईओं के उठान को पकड़ कर भींचना सुरू कर दिए।
ऐसा लग रहा था कि धर्मवीर के हाथ पूजा के चूतड़ों पर के माँस के ज़यादा होने का जयजा ले रहे हों । जिसका कसाव भी बहुत था और उनके गोरे हाथ के आगे पूजा के चूतड़ काफ़ी सांवले लग रहे थे ।
पूजा बगल मे बैठी हुई धर्मवीर के लंड और सुपादे पर जीभ फिरा रही थी। धर्मवीर से अपने चूतड़ों को मसलवाना बहुत अछा लग रहा था।
तभी धर्मवीर बोले - कब तक बस चाटती रहेगी । अब अपना मुँह खोल कर ऐसे चौड़ा करो जैसे औरतें मेला या बेज़ार मे ठेले के पास खड़ी होकर गोलगापा को मुँह चौड़ा कर के खाती हैं समझी ।
पूजा यह सुन कर सोच मे पड़ गयी और अपने जीवन मे कभी भी लंड को मुँह मे नही ली थी इस लिए उसे काफ़ी अजीब लग रहा था । वैसे तो अब गरम हो चुकी थी लेकिन मर्द के पेशाब करने के चीज़ यानी लंड को अपने मुँह के अंदर कैसे डाले यही सोच रही थी ।
वह जीभ फिराना बंद कर के लंड को देख रही थी फिर लंड को एक हाथ से थामे ही धर्मवीर की ओर कुछ बेचैन से होते हुए देखी ।
धर्मवीर ने पूछा - कभी गोलगापा खाई हो की नही?
इस पर पूजा कुछ डरे और बेचैन भाव से हाँ मे सिर हल्का सा हिलाया।
धर्मवीर बोले - गोलगप्पा जब खाती हो तो कैसे मुँह को चौड़ा करती हो । वैसे चौड़ा करो ज़रा मैं देखूं ।
धर्मवीर के मुँह से ऐसी बात पर पूजा एक दम लज़ा गयी क्योंकि गोलगप्पा खाते समय मुँह को बहुत ज़्यादा ही चौड़ा करना पड़ता हैं और तभी गोलगापा मुँह के अंदर जाता है । वह अपने मुँह को वैसे चौड़ा नही करना चाहती थी लेकिन धर्मवीर उसके मुँह के तरफ ही देख रहे थे।
पूजा समझ गयी की अब चौड़ा करना ही पड़ेगा। और अपनी नज़रें धर्मवीर जी के आँख से दूसरी ओर करते हुए अपने मुँह को धीरे धीरे चौड़ा करने लगी और धर्मवीर जी उसके मुँह को चौड़ा होते हुए देख रहे थे ।
जब पूजा अपने मुँह को कुछ चौड़ा करके रुक गयी और मुँह के अंदर सब कुछ सॉफ दिखने लगा तभी पंडित जी बोले - थोड़ा और चौड़ा करो और अपने जीभ को बाहर निकाल कर लटका कर आँखें बंद कर लो ।
इतना सुन कर पूजा जिसे ऐसा करने मे काफ़ी लाज़ लग रही थी उसने सबसे पहले अपनी आँखें ही बंद कर ली फिर मुँह को और चौड़ा किया और जीभ को बाहर कर ली जिससे उसके मुँह मे एक बड़ा सा रास्ता तैयार हो गया.
धर्मवीर ने एक नज़र से उसके मुँह के अंदर देखा तो पूजा के गले की कंठ एक दम सॉफ दीख रही थी। मुँह के अंदर जीभ, दाँत और मंसुड़ों मे थूक फैला भी सॉफ दीख रहा था ।
धरवीर- मुँह ऐसे ही चौड़ा रखना समझी ,बंद मत करना । अब तुम्हारे मुँह के अंदर की लाज़ मैं अपने लंड से ख़त्म कर दूँगा और तुम भी एक बेशर्म औरत की तरह गंदी बात अपने मुँह से निकाल सकती हो । यानी एक मुँहफट बन जाओगी । और बिना मुँह मे लंड लिए कोई औरत यदि गंदी बात बोलती है तो उसे पाप पड़ता है । गंदी बात बोलने या मुँहफट होने के लिए कम से कम एक बार लंड को मुँह मे लेना ज़रूरी होता है ।
अगले पल धर्मवीर ने बगल मे बैठी हुई पूजा के सर पर एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपने लंड को पूजा के हाथ से ले कर लंड के उपर पूजा का चौड़ा किया हुआ मुँह लाया और खड़े और तननाए लंड को पूजा के चौड़े किए हुए मुँह के ठीक बीचोबीच निशाना लगाते हुए मुँह के अंदर तेज़ी से ठेल दिया और पूजा के सिर को भी दूसरे हाथ से ज़ोर से दबा कर पकड़े रहे।
लंड चौड़े मुँह मे एकदम अंदर घुस गया और लंड का सुपाड़ा पूजा के गले के कंठ से टकरा गया और पूजा घबरा गयी और लंड निकालने की कोशिस करने लगी लेकिन धर्मवीर उसके सिर को ज़ोर से पकड़े थे जिस वजह से वह कुछ कर नही पा रही थी।
धर्मवीर अगले पल अपने कमर को उछाल कर पूजा के गले मे लंड चाँप दिए और पूजा को ऐसा लगा कि उसकी साँस रुक गयी हो और मर जाएगी ।
इस तड़फ़ड़ाहट मे उसके आँखों मे आँसू आ गये और लगभग रोने लगी और लंड निकालने के लिए अपने एक हाथ से लंड को पकड़ना चाही लेकिन लंड का काफ़ी हिस्सा मुँह के अंदर घुस कर फँस गया था और उसके हाथ मे लंड की जड़ और झांटें और दोनो गोल गोल अंडे ही आए और पूजा के नाक तो मानो धर्मवीर के झांट मे दब गयी थी ।
पूजा की कोसिस बेकार हो जा रही थी क्योंकि धर्मवीर ने पूजा के सर के बॉल पकड़ कर उसे अपने लंड पर दबाए थे और अपनी कमर को उछाल कर लंड मुँह मे ठेल दे रहे थे ।
दूसरे पल पंडित जी पूजा के सिर पर के हाथ को हटा लिए और पूजा तुरंत अपने मुँह के अंदर से लंड को निकाल कर खांसने लगी और अपने दोनो हाथों से आँखों मे आए आँसुओं को पोंछने लगी ।
इधर लंड मुँह के अंदर से निकलते ही लहराने लगा। लंड पूजा के थूक और लार से पूरी तरह नहा चुका था ।
धर्मवीर खाँसते हुए सावित्री से बोले - चलो तुम्हारे गले के कंठ को अपने लौड़े से चोद दिया है अब तुम किसी भी असलील और गंदे शब्दों का उच्चारण कर सकती हो और एक बढ़िया मुहफट बन सकती हो ।
मुहफट औरतें बहुत मज़ा लेती हैं । आगे बोले - औरतों को जीवन मे कम से कम एक बार मर्द के लंड से अपने गले की कंठ को ज़रूर चुदवाना चाहिए . इसमे थोडा ज़ोर लगाना पड़ता है .ताकि लंड का सुपाड़ा गले के कंठ को छू सके और कंठ मे असलीलता और बेशर्मी का समावेश हो जाए।
पूजा अभी भी खांस रही थी और धर्मवीर की बातें चुपचाप सुन रही थी। धर्मवीर के गले मे लंड के ठोकर से कुछ दर्द हो रहा था ।फिर पूजा की नज़रें धर्मवीर के टंटनाये लंड पर पड़ी जो की थूक और लार से पूरा भीग चुका था।
धर्मवीर बोला - मैने जो अभी तेरे साथ किया है इसे कंठ चोदना कहते हैं । और जिस औरत की एक बार कंठ चोद दी जाती है वह एक काफ़ी रंगीन और बेशरम बात करने वाली हो जाती है। ऐसी औरतों को मर्द बहुत चाहतें हैं । ऐसी औरतें गंदी और अश्लील कहानियाँ भी खूब कहती हैं जिसे मर्द काफ़ी चाव से सुनते हैं । वैसे कंठ की चुदाई जवानी मे ही हो जानी चाहिए। आजकल कंठ की चुदाई बहुत कम औरतों की हो पाती है क्योंकि बहुत लोग तो यह जानते ही नही हैं समझी । अब तू मज़ा कर पूरी जिंदगी ।
पूजा के मन मे डर था कि फिर से कहीं लंड को गले मे ठूंस ना दें इस वजह से वह लौड़े के तरफ तो देख रही थी लेकिन चुपचाप बैठी थी ।
तभी धर्मवीर बोले - चलो मुँह फिर चौड़ा कर , घबरा मत इस बार केवल आधा ही लंड मुँह मे पेलुँगा । अब दर्द नही होगा । मुँह मे लंड को आगे पीछे कर के तुम्हारा मुँह चोदुन्गा जिसे मुँह मारना कहतें हैं । यह भी ज़रूरी है तुम्हारे लिए इससे तुम्हारी आवाज़ काफ़ी सुरीली होगी ।चलो मुँह खोलो ।
पूजा ने फिर अपना मुँह खोला लेकिन इस बार सजग थी की लंड कहीं फिर काफ़ी अंदर तक ना घूस जाए।
धर्मवीर ने पूजा के ख़ूले मुँह मे लंड बड़ी आसानी से घुसाया और लंड कुछ अंदर घुसने के बाद उसे आगे पीछे करने के लिए कमर को बैठे ही बैठे हिलाने लगे और पूजा के सिर को एक हाथ से पकड़ कर उपर नीचे करने लगे। उनका गोरे रंग का मोटा और तनतनाया हुआ लंड पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे होने लगा ।
पूजा के जीभ और मुँह के अंदर तालू से लंड का सुपाड़ा रगड़ाने लगा वहीं पूजा के मुँह के दोनो होंठ लंड की चमड़ी पर कस उठी थी मानो मुँह के होंठ नही बल्कि चूत की होंठ हों।
धर्मवीर एक संतुलन बनाते हुए एक लय मे मुँह को चोदने लगे।
धर्मवीर बोले - ऐसे ही रहना इधर उधर मत होना । बहुत अच्छे तरीके से तेरा मुँह मार रहा हूँ । साबाश ।
इसके साथ ही उनके कमर का हिलना और पूजा के मुँह मे लंड का आना जाना काफ़ी तेज होने लगा।
पूजा को भी ऐसा करवाना बहुत अच्छा लग रहा था. ।
उसकी चूत मे लिसलिसा सा पानी आने लगा ।
पूजा अपने मुँह के होंठो को धर्मवीर के पिस्टन की तरह आगे पीछे चल रहे लंड पर कस ली और मज़ा लेने लगी ।
अब पूरा का पूरा लंड और सुपाड़ा मुँह के अंदर आ जा रहा था ।
कुछ देर तक धर्मवीर ने पूजा के मुँह को ऐसे ही चोदते रहे और पूजा की चूत मे चुनचुनी उठने लगी ।
वह लाज के मारे कैसे कहे की चूत अब तेज़ी से चुनचुना रही है मानो चीटिया रेंग रही हों । अभी भी लंड किसी पिस्टन की तरह पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे हो रहा था, लेकिन चूत की चुनचुनाहट ज़्यादे हो गयी और पूजा के समझ मे नही आ रहा था कि धर्मवीर के सामने ही कैसे अपनी चुनचुना रही चूत को खुज़लाए ।
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