RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
सोमनाथ - लगता है मेरी बेटी के अंदर लोड़े की भूख कुछ ज्यादा ही जग गई है ।
उपासना- आपने मेरी मां को चोद कर ऐसी बेटी पैदा की है कि जिसकी आग ठंडी करने के लिए रात भर दौड़ा-दौड़ा कर चोदा जाए तब कहीं जाकर ठंडी होती है आपकी बेटी ।
सोमनाथ- तो अब क्या कमी है । अब तो ससुर और बाप दोनों ही हैं अपनी प्यारी सी उपासना बेटी के लिए । हमारी बेटी जब चाहे चढ़ा सकती है अपने ऊपर ।
उपासना - इसमे चाहने वाली क्या बात है पापा आपकी बेटी तो चाहती है आप उसे नंगी करके लंड पर नचाते रहो और मैं नाचती रहूं । अपनी गांड को घुमा घुमा कर अपनी चूत को भींच भींचकर कर अपने होठों को चुसवा चुसवा कर ।
सोमनाथ को उपासना की बातों से इतनी इतनी गर्मी चढ़ी कि नीचे से लौड़ा चार पांच बार उसकी चूत में कसकर पेला।
अब उपासना को बेड पर एक साइड में धकेल दिया फिर उपासना को उसने कुतिया बनाया और खुद उसके पीछे खड़ा होकर अपने लंड को उसकी चूत से रगड़ने लगा ।
उपासना भी इतनी गरम हो चुकी थी कि मूतने को तैयार थी कुतिया बनकर, अपनी गांड को हिलाने लगी थी मस्ती से उपासना।
सोमनाथ ने उपासना की जांघों पर हाथ फेरते हुए उसकी चूत पर अपना पूरा हाथ रख दिया । उपासना की गीली चूत पर हाथ रखते ही सोमनाथ का हाथ भीग गया। दूसरी तरफ उपासना भी मद भरी सिसकारियां भरने लगी। सोमनाथ ने दो तीन बार उसकी चूत पर हाथ फेरा और फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रखकर उपासना की कमर को पकड़ा और फिर क्या था---- मिला दी सोमनाथ ने अपनी जांघे अपनी बेटी की जांघों से और बिठा दिया पूरा लौड़ा उसकी चूत में ।
उपासना आगे को गिरने को हुई लेकिन सोमनाथ ने उसकी कमर पकड़ी हुई थी । इस पोजीसन में गचागच लंड अंदर बाहर करते हुए बोला।
सोमनाथ- बेटी जब किसी गाय के ऊपर कोई सांड चढ़ता है तो वह ऐसे ही चढ़ता है जैसे मैं तेरे ऊपर चढ़ा हुआ हूं।
उपासना - वैसे भी आपकी बेटी को सांड की ही जरूरत है पापा । मैं तो चाहती हूं आप जैसा कोई सांड मेरे ऊपर चढ़े और मुझे इतनी ठोके की मैं निखर जाऊं ।
अब सोमनाथ ने उपासना के बाल पकड़े और पीछे की तरफ खींचते हुए कुत्तिया बनी हुई उपासना की चूत में धक्के लगाने लगा ।
इस तरह की चुदाई को ज्यादा नहीं सह पाई उपासना और किसी घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी ।
जब सोमनाथ ने देखा की उपासना झड़ने के करीब आ गई है, पूरी मस्ती में चुदासी कुत्तिया की तरह टूट कर चुदवा रही है तो सोमनाथ ने उसके बालों को छोड़कर उपासना के मुंह में अपने दोनों हाथों की दो दो उंगलियां डाल दीं। और उपासना मुंह को चौड़ाते हुए पीछे से उपासना की चूत में लौड़ा पेलना शुरू कर दिया ।
नजारा कुछ ऐसा था की सोमनाथ ने उपासना का मुह अपने हाथों से खोला हुआ था और उपासना अपनी चूत पर मर्दानगी भरे झटके झेल रही थी।
चुदासी उपासना किसी कुत्तिया की तरह गला फाड़कर , हाफ हाफ कर चुद रही थी ।
सोमनाथ ने उसके मुंह को और खोलते हुए उपासना की चूत में अपने पूरे जोश से धक्के लगाने शुरू किये ।
उपासना का बदन अकड़ने लगा और अपने बाप के लौड़े के झटकों पर उपासना झड़ने लगी । जैसे-जैसे उपासना झड़ रही थी वैसे वैसे ही उसके खुले मुंह से उपासने की जीभ बाहर की तरफ लटकती जा रही थी। अपना मुंह फाड़े हुए और जीभ को बाहर निकालकर उपासना की चूत ने पानी को बाहर निकालकर उड़ेल दिया सोमनाथ के लंड पर ।
अपनी बेटी की चूत में पानी भरे होने का एहसास जब सोमनाथ को हुआ तो उसकी मस्ती और बढ़ गई और उसने और तेज धक्के लगाने शुरू किये।
नतीजा यह हुआ की उपासना की पानी भरी चूत में जब लंडो जा रहा था तो पच पच की आवाज बहुत तेज होने लगी और साथ में उपासना का पानी सोमनाथ के लंड पर लगकर झाग बनाने लगा ।
जब उपासना पूरी तरह से चुदकर ठंडी हो गई तो वह अपना मुंह इधर उधर करने लगी करने लगी तब सोमनाथ बोला।
सोमनाथ- अब तो मेरी जान तुझे चोदने में मजा ही आएगा इधर उधर मत भाग , चुप लौड़ा खाती रह मेरा ।
उपासना को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और दूसरी तरफ सोमनाथ ना आव देख रहा था ना ताव देख रहा था । सोमनाथ तो बस उपासना के मुंह में अपने दोनों हाथ की उंगलियां डालकर उसकी चूत पर लंड बजा रहा था
उपासना झटपटाने लगी , दर्द से कराहने लगी लेकिन सोमनाथ को कोई रहम नहीं आया उसने उसी बर्बरता से चूत का चबूतरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।
अब सोमनाथ को लगने लगा कि वह भी झड़ने वाला है ।
सोमनाथ का बदन भी अकड़ने लगा। सोमनाथ ने अपनी जान इकट्ठे करके करके पूरी जान से उपासना की चूत में धक्का मारा और इस बार धक्का इतना जोरदार था कि उपासना के लिए संभलना मुश्किल हो गया और उपासना आगे को जा गिरी साथ में सोमनाथ भी उपासना के साथ ही उसके ऊपर गिर गया ।
जब उपासना जैसी घोड़ी के ऊपर सोमनाथ जैसा सांड गिरा चूत में लौड़ा फंसा होने की वजह से उपासना की चीख निकल गई ।
सोमनाथ इस तरह नीचे दबी हुई उपासना की चूत में झड़ने लगा ।
सोमनाथ के लोड़े ने अपना पानी एक पिचकारी के रूप में उपासना की चूत में छोड़ा तो सोमनाथ का वीर्य उपासना को उपासना को सीधा अपनी बच्चादानी बच्चादानी पर महसूस हुआ ।
पूरा झलझला कर झड़ा था सोमनाथ । कम से कम 1 मिनट तक तक तक कम 1 मिनट तक तक 1 मिनट तक तक सोमनाथ के लोड़े से सफेद गरम वीर्य उपासना की चूत में जाता रहा।
कहां तक भरती उपासना की चूत उस वीर्य को को, कैसे संभालती ।
जब सोमनाथ ने देखा की उपासना की चूत में पूरा वीर्य भर गया है तो उसने उसके ऊपर लेटे लेटे अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर कर दिया।
लंड बाहर निकलते ही उपासना की चूत से वीर्य बह निकला ।
सोमनाथ- अब इस अनमोल वीर्य को को क्यों बहा रही है है पानी की तरह मेरी कुतिया।
उपासना - पापा आपने इतना वीर्य मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत संभाल नहीं पा रही ।
सोमनाथ बोला - ऐसी ही चुदाई की तो जरूरत थी तुझे बेटी , अब हुई है तू ठंडी ।
उपासना- हां पापा आपने तो मेरी चूत का भोसड़ा बना के रख दिया अपनी बेटी के अंदर उतर गए आज आप ,अपनी बेटी की चूत ले ली आपने आज, अपनी बेटी को अपने लंड पर खूब नचाया है आज आपने पापा ।
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दोस्तों फिर सोमनाथ और उपासना ने एक दूसरे के होठों को चूम कर गुड नाईट बोल कर सो गए सो गए कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए के होठों को चूम कर गुड नाईट बोल कर सो गए सो गए कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए बोल कर सो गए सो गए ।
सुबह 9:00 बजे सबकी आंखें खुली
सुबह उठकर सोमनाथ ने एक बार दोबारा से उपासना को चोदा और दूसरी तरफ धरमवीर भी भी कहां कम था । उसने भी उठते ही पूजा को रगड़ दिया।
और फिर सब हॉल में आने लगे।
उपासना और पूजा चुदाई की रंगत रंगत से खुश थी लेकिन उनका बदन बुरी तरह से दुख रहा था ।
उपासना ने जैसे ही बेड से नीचे कदम रखा तो उसके लिए चलना मुश्किल हो गया दूसरी तरफ पूजा का भी यही हाल था ।
धर्मवीर और पूजा ने सोचा की उपासना ने नीचे नाश्ता तैयार कर दिया होगा तो चलो नाश्ता ही कर लिया जाए।
लेकिन धर्मवीर को कहां पता था कि उसकी बहू उपासना उपासना पूरी रात लंड से खेली है जैसे पूजा की चूत को को रात भर रगड़ा है धर्मवीर ने वैसे ही सोमनाथ ने भी उपासना की चूत का बाजा पूरी रात बजाया है ।
सोमनाथ और पूजा हॉल में आए तो पूजा सीधा सीधा नहीं चल पा रही थी।
अपनी टांगों को थोड़ी फैलाकर धीरे धीरे चल रही थी ।
दूसरी तरफ से सोमनाथ और उपासना भी हॉल में आए तो उपासना भी सीधा नहीं चल पा रही थी , थोड़ा लंगड़ापन उसकी चाल में भी था ।
जैसे ही सोमनाथ और धर्मवीर की नजर एक दूसरे से मिली मिली से मिली दूसरे से मिली मिली एक दूसरे से मिली मिली से मिली दूसरे से मिली मिली से मिली दोनों एक कुटिल मुस्कान से मुस्कुरा पड़े लेकिन पूजा और उपासना ने अपने चेहरे झुका लिया लिया, शरमा गई दोनों ।
तभी धर्मवीर बोला- सोमनाथ जी बहू को क्या हुआ ऐसे क्यों चल रही है ? तुम ठीक तो हो बहू ?
धर्मवीर के सवाल से लाल पड़ गई उपासना उपासना उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था। लेकिन सोमनाथ ने इसका जवाब देते हुए कहा जवाब देते हुए कहा ।
सोमनाथ - अभी बाहर आते हुए उपासना बेटी गिर गई थी जिस वजह से थोड़ा उसके पैर में दर्द हो रहा है लेकिन मैं देख रहा हूं समधी जी की पूजा भी सीधी नहीं चल पा रही है , पूजा को क्या हुआ ?
अब शर्माने की बारी थी पूजा की अपनी आंखें झुका कर बहुत ही धीमी मुस्कान के साथ अपना चेहरा उसने दूसरी तरफ मोड़ दिया ।
(दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं धर्मवीर का किरदार जो अपने किरदार के अनुसार ही धर्मवीर बोला )
धर्मवीर - मुझे क्या पता यह तो आपकी शरीफ और संस्कारी बेटी ही बता सकती है कि वह क्यों सीधी नहीं चल पा रही ।
अब तो पूजा की हालत ऐसी हो गई जैसे उसे सांप सूंघ गया हो। एक बार उसने अपना चेहरा घुमा कर धर्मवीर की तरफ सवालिया धर्मवीर की तरफ सवालिया की तरफ सवालिया नजरों से देखा लेकिन फिर अपनी नजरें झुका कर जमीन की तरफ देखने लगी ।
सोमनाथ - बोलो पूजा बेटी क्या बात है. तुम सीधी क्यों नहीं चल पा रही हो?
पूजा नीचे जमीन की तरफ देखते हुए बहुत धीरे से हकलाते हुए बोली - क-क-कुछ नहीं पापा जी रात से मेरे पैरों में दर्द हो रहा है इस वजह से मुझे चलने में तकलीफ हो रही है ।
धर्मवीर- छोड़ो इन बातों को सोमनाथ जी, बताइए रात कैसी नींद आई?
सोमनाथ - समधी जी एकदम मस्त नींद आए रात रात . मेरी तो आंखें अभी खुली है। आप बताइए आपको कैसी नींद आई ।
धर्मवीर - समधी जी मैं तो सो ही नहीं पाया पूरी रात । बस 1 घंटे घंटे के लिए ही सो पाया हूं ।
सोमनाथ - आपने क्या किया पूरी रात जो आप सोए नहीं ।
दोस्तों धर्मवीर और सोमनाथ को दोनों को पता था कि रात भर दोनों ने इन घोड़ियों को चोदा है है चोदा है लेकिन वह पूजा और उपासना को भी खोलना चाहते थे। इस वजह से ऐसी बातें कर रहे थे ।
धर्मवीर ने फिर पूजा पर बात डालते हुए कहा - हां मैं पूरी रात नहीं सो पाया और यह मुझसे क्या पूछते हो। अपनी पूजा बेटी से पूछो कि भी रात भर क्यों नहीं सो पाया।
अब तो पूजा के लिए हालत असामान्य हो गई ।
पूजा बुरी तरह से जीत पर वह क्या कहती है अपने बाप के सामने कि वह रात भर चुदी है । वह अपने बाप के सामने कैसे कहती है कि उसकी बहन के ससुर ने उसकी चूत में रात भर लौड़ा उतारा है है उतारा है है लौड़ा उतारा है है उतारा है है।
सोमनाथ - बताओ पूजा बेटी समधी जी रात भर क्यों नहीं सो पाए।
पूजा हकलाते हुए - ज-जी जी पापा वो । वो मुझे नहीं पता इतना ही कह सकी पूजा ।
उपासना ने बात को संभालते हुए कहा- रात उनका टीवी खराब हो गया था, हो सकता है दोनों ने बातें की हों ।
तभी पूजा एक साथ साथ बोली- हां हां हम दोनों बातें ही कर रहे थे, कब रात निकल गई पता ही नहीं चला पता ही नहीं चला ।
सोमनाथ - अच्छा यह बात है तो ।
धर्मवीर- सोमनाथ जी जरा अपनी बेटी से यह तो पूछो कि वह मुझसे कौन सी सी कौन सी सी बातें कर रही थी ।
पूजा को जलील जलील करने में धर्मवीर भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा था था पर पूजा ने भी ऐसी शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं की थी जितनी आज कर रही थी थी रही थी थी।
सोमनाथ - कौन सी बातें की थी बातें की थी पूजा बेटी हमें भी तो बताओ ।
पूजा - कु-कुछ नहीं पापा बस ऐसे ही ।
धर्मवीर - सोमनाथ जी वैसे आपकी पूजा बेटी में वजन बहुत है बहुत भारी है पूजा ।
सोमनाथ- आपको कैसे पता समधी जी।
धर्मवीर ने फिर कहा वही - पूजा से ही पूछ लो ।
पूजा को गुस्सा और शर्मिंदगी दोनों का सामना करना पड़ रहा था ।
सोमनाथ - पूजा बताओ बेटी ।
पूजा के पास इसका कोई जवाब नहीं था बस इतना ही कहीं सकी- जी वह मैं इनके इनके ऊपर गिर गई थी रात ।
सोमनाथ- अच्छा , धर्मवीर जी तो तो नहीं गिरे थे ना तुम्हारे ऊपर बेटी।
पूजा के लिए यह फिर एकदम यह फिर एकदम बम फूटा क्योंकि अब इसका क्या जवाब क्या जवाब इसका क्या जवाब देती। पूजा सोचने लगी यदि मैं मैं मना करती हूं तो धर्मवीर सब कुछ बता देगा उससे अच्छा है मैं हां कह दूं ।
पूजा- जी पापा , यह भी मेरे ऊपर मेरे ऊपर गिर गए थे ।
सोमनाथ - कैसे गिरे थे समधी जी, तुम उस वक्त सीधी लेटी थी या उल्टी लेटी थी थी या उल्टी लेटी थी थी या उल्टी लेटी थी थी थी या उल्टी लेटी थी थी पूजा ।
सोमनाथ की तरफ से होने वाले किसी भी सवाल का जवाब पूजा के पास नहीं था लेकिन वह फिर भी जवाब दे रही थी ।
पूजा - जी एक बार तब गिरे थे जब मैं सीधी लेटी थी , एक बार तब गिरे थे जब मैं उल्टी लेटी थी ।
धर्मवीर - वैसे कुछ भी हो सोमनाथ जी आपकी बेटी मेरा वजन आराम से संभाल लेती है ,अभी मर्दों के वजन संभालने लायक हो गई है आपकी बेटी ।
पूजा फिर से लजा कर रह गई ।
सोमनाथ सवालिया नजरों से पूजा की तरफ देखते हुए - तुमने रात कुछ और तो नहीं किया ना बेटी ।
पूजा के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था और धर्मवीर को भी ये खेल लंबा सा लगने लगा ।
पूजा कुछ बोलने की कोशिश ही कर रही थी रही थी कर रही थी कि तभी अपनी गांड पर धर्मवीर का एक तेज थप्पड़ उसे थप्पड़ उसे महसूस हुआ और पूरे कमरे में आवाज गूंजी गूंजी गूंजी धर्मवीर की ।
धर्मवीर - बता दे ना पूरी रात चुदी हूँ । क्यों शर्मा रही है ऐसे । बोल दे पूरी रात लौड़ा बजा है मेरी चूत पर ।
ऐसा कहकर धर्मवीर ने दूसरा थप्पड़ पूजा की गांड पर लगाया ।
बाप के सामने इतना जलील सामने इतना जलील पहले कभी नहीं हुई थी पूजा। वह बस जमीन की तरफ देखते हुए जमीन की तरफ देखते हुए देखते हुए दोनों बार आउच कर गई ।
धर्मवीर और जो मेरे सामने इतनी भोली बन रही है मेरी उपासना बहू यह भी तो रात भर लौड़ा खाकर लौड़ा खाकर खाकर बाहर निकली है ,और यहां देखो साली सीता बन रही है
चल बहन की लोड़ी घोड़ियों नाश्ता लगा दो हमारे लिए।
सोमनाथ ने भी उपासना की गांड पर एक थप्पड़ मार दिया और दोनों को किचन में भेज दिया ।
शर्माती हुई धीरे-धीरे चलती हुई जलील होकर दोनों बहने किचन में आकर नाश्ता बनाने लगीं ।
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दोस्तों कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर।
आपका अपना प्यारा सा भाई और लड़कियों का शोना बाबू - रचित ।
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