bahan sex kahani ऋतू दीदी
11-10-2021, 06:18 PM,
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
शक का अंजाम
PART 3
UPDATE 3



मूल लेखक ने ये स्टोरी जिस जगह समाप्त की है. मेरा प्रयास है कहानी वही से को आगे बढ़ाने का और नए मौलिक अपडेट देने की । एक पाठक (जिन्हो अपना नाम नहीं बताने के लिए अनुरोध किया है) और मेरा मिलजुल कर प्रयास रहेगा, इस कहानी को और आगे ले कर जाने का . लीजिये पेश है भाग 3 Update  ( New-3)

प्रशांत को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे कनाडा जाने का मौका छोड दे। या फिर नीरू को भूल जाए। आख़िर उसकी ज़िन्दगी का सवाल था। उसे मालूम था जो मौका आज उसे मिला है वह फिर कभी नहीं मिलेगा। नीरू से उसकी मुलाकात भी नहीं हो पा रही है रोज़ 30-40 बार उसे फ़ोन करता हूँ लेकिन वह फ़ोन नहीं उठाती। बहुत सोचने के बाद प्रशांत तय कर लेता है कि वह कनाडा जाएगा।

कोशिश करेगा कि जाने से पहले कम से कम फ़ोन पर नीरू से बात हो जाए। वैसे भी डेढ साल की बात है। डेढ साल तो यूं ही निकल जाएंगे। लेकिन नीरज का क्या किया जाए। नीरू को इसी ने मुझसे दूर किया और ख़ुद नीरू को चोदने में सफल भी हो गया। अब एक बार ये नीरू के फिर करीब हो गया है। नीरू की डिलेवरी होगी उसके बाद क्या फिर से नीरज नीरू को छोड़ेगा और हो सकता है प्रेगनेंट भी कर देगा। नहीं-नहीं नीरू इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी। वह मुझसे तलाक ले चुकी है ऐसे में दूसरी शादी के बिना वह प्रेगनेंट किसी क़ीमत पर नहीं होगी। लेकिन नीरज उसकी चुदाई तो कर ही सकता है। हाँ ये हो सकता है और जिस तरह से आज नीरू नीरज का लंड चूसने को तैयार हो गई है। उससे ये तो साफ़ है कि वह नीरज को तब भी नहीं रोकेगी जब नीरज उसकी चुदाई करेगा।

ऋतु दीदी ने भी हमेशा उन लोगों का साथ दिया। ख़ुद जबरदस्ती मेरे साथ सेक्स किया और फिर नीरज को इसके बारे में बता दिया। मुझसे डबल गेम खेल दिया। अपना घर बचा लिया और नीरज को जो चाहिए था वह दिला दिया। मेरे सामने ऐसा नाटक कर रहीं थी जैसे वह मेरी साइड हों लेकिन जब पूरा गेम सोचो तो साफ़ साफ लग रहा है ऋतु दीदी ने ही मुझे फंसाने का पूरा प्लान बनाया है और जब नीरू, ऋतु और नीरज तीनों ही मेरे खिलाफ है तो मैं यहाँ रहकर भी क्या कर लूंगा।

नीरू तो मुझ से बात ही नहीं करती है और पता नहीं अगर बात भी हो जायेगी तो भी मेरी बात पर यक़ीन करेगी या नहीं। इसकी ही सम्भावना अधिक है की वह अपनी दीदी और जीजाजी की ही बात मानेगी। इससे अच्छा है मैं कनाडा ही चला जाउं क्योंकि जो मौका आज मिला है वह ज़िन्दगी में एक बार ही आता है।

प्रशांत एक बार फिर नीरू को फ़ोन लगता है लेकिन आज भी नीरू प्रशांत का फ़ोन नहीं उठाती। प्रशांत फिर कनाडा चला जाता है। कनाडा पहुँचकर भी प्रशांत लगातार नीरू को फ़ोन करता है। लेकिन नीरू का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था।

इस बीच नीरू का आफिस जाना बना हुआ था। नीरू आफिस से निकलते समय एक बार ज़रूर आसपास देखती थी। उसे ये महसूस होता था कि प्रशांत कहीं आसपास छिप कर उसे देख रहा है। नीरू का ये सिर्फ़ भ्रम था क्योंकि प्रशांत तो इंडिया में ही नहीं था। नीरू मन ही मन कहती है प्रशांत मेरे दिमाग़ से खेलने की कोशिश कर रहा है। सोच रहा है कि वह मुझे दिखाई नहीं देगा तो मैं परेशान हो जाउंगी और उसकी बातों में आ जाउंगी। लेकिन ये सब प्रशांत की भूल है। यदि वह मेरे साथ गेम खेल रहा है तो खेलता रहे। उसकी इन्हीं हरकतों के कारण मुझे उससे तलाक लेना पडा है। ऐसे आदमी के साथ तो मैं बात करना भी पसंद नहीं करूंगी।

इस बीच नीरू के डिलेवरी का समय करीब आता जाता है तो ऋतु उसे जबरदस्ती अपने घर पर शिफ्ट होने के लिए मनाने की जुट जाती है। लेकिन नीरज के साथ हुई पुरानी घटना को याद करते हुए नीरू किसी भी क़ीमत पर ऋतु के घर जाने को तैयार नहीं हुई थी। नीरज ने भी नीरू को मनाने की कोशिश तो बहुत की थी। लेकिन नीरू किसी भी क़ीमत पर नीरज के घर जाने को तैयार नहीं थी। कभी कभार ज़्यादा ज़ोर देने पर वह उनके घर चली तो जाती थी लेकिन एक दो घंटे बाद वापस अपने घर आ जाती थी।

नीरू को अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था कि नीरज के मन में उसे चोदने की ललक वर्षों से थी। इस बीच नीरज बीच-बीच में प्रशांत से फ़ोन पर बात करता रहता था। कभी-कभी वह नार्मल बात करता तो कभी अपने और नीरू के बीच होने वाले ऑरल सेक्स के बारे बताता। प्रशांत में नीरज की बातों में आकर इस तरह के सीन इमेजिन करने लगा था जिसमें नीरू नीरज का लंड चूस रही हो। इस बीच एक दिन ऋतु नीरू के घर पहुँचती है।

ऋतु: देख नीरू अब तेरे गर्भ को छह महीने हो चुके हैं। तुझे देखभाव की ज़रूरत है यहाँ तू अकेले रहती है। कभी भी डॉक्टर की ज़रूरत पडे तो किससे मदद मांगेगी।

नीरू: नहीं दीदी में सब संभाल लूंगी।

ऋतु: देख अब पुरानी बातें भूल जा, मैं भी भूल चुकी है पुरानी बातों को याद कर अपना ही नुक़सान होता है।

नीरू: कैसे भूल जाउं दीदी, जिस पर भरोसा किया उसी ने धोखा दिया। जीजाजी पर मैं कितना भरोसा करती है अंधा विश्वास करती थी और उन्होंने ही मुझे चोद दिया।

ऋतु: लेकिन ये बता उन्हें कमरे में बुलाया किसने था, उनके सामने कपडे उतारने की शुरूआत किसने की थी? गलती अकेले नीरज की नहीं है तेरी भी है।

नीरू: दीदी मैं तो सिर्फ़ प्रशांत के शक को दूर करने के लिए ये सब कर रही थी। प्रशांत के शक की आदत से मैं परेशान थी। मैंने कभी भी प्रशांत के करेक्टर पर शक नहीं किया। लेकिन वह मेरे करेक्टर पर शक करता था। क्या प्रशांत सही था। जो अपने बीबी पर भरोसा नहीं करता था।

ऋतु: देख मैं ये नहीं कह रही कि नीरज सही है या फिर प्रशांत सही है। कहीं न कहीं दोनों ग़लत थे। लेकिन तू भी सही नहीं थी तुझे नीरज को रोकना चाहिए था।

नीरू: दीदी मैं उस समय समझ ही नहीं पाई थी कि मेरे साथ हो क्या रहा है। जीजाजी वह सब मेरे साथ कर सकते हैं जो उन्हों ने किया। आज भी मुझे भरोसा नहीं हो रहा और फिर जब जीजाजी ने आपकी और प्रशांत की चुदाई की बात बताई तो मैं अपने आपे में नहीं रही।

ऋतु: मैंने तुझसे पहले ही कहा था कि तू जो कर रही है उससे तुझे बाद में पछताना पडेगा। खैर अब जो बीत गया उसे भूल जा और नए सिरे से ज़िन्दगी बिताने की कोशिश करे। वैसे एक बात बता तेरे ऑफिस के सामने झगडा होने की घटना के बाद क्या प्रशांत ने फिर कभी तुझसे मिलने की कोशिश की।

नीरू: दीदी प्रशांत वहाँ आता ज़रूर होगा वह बात अलग है पर अब वह मेरे सामने नहीं आता। उसका फ़ोन तो मेरे पास आता रहता है। लेकिन मैं ही उससे बात नहीं करती। वह आपको भी फ़ोन करता होगा।

ऋतु: नहीं प्रशांत का फ़ोन मेरे पास भी नहीं आता। मैंने कई बार ट्राई किया था। लेकिन प्रशांत ने शायद मेरा फ़ोन ब्लेैक लिस्ट में डाल दिया है।

नीरू: क्या आपका फ़ोन ब्लैक लिस्ट में, उसका दिमाग़ तो खराब तो नहीं हो गया या फिर आप को कोई गलतफहमी हुई है।

ऋतु: नहीं कोई ग़लत फहमी नहीं है एक बार मैंने अपने पडोसी के फ़ोन से प्रशांत को फ़ोन लगाया था। उसने फ़ोन उठाया लेकिन जैसे ही मैंने कहा कि मैं ऋतु बोल रहीं हूँ। उसने ये कहते हुए फ़ोन काट दिया कि उसे मुझसे कोई बात नहीं करनी।

नीरू: लेकिन वह आपसे बात क्यो नहीं करना चाहता। उसका दिमाग़ खराब हो गया है।

ऋतु: नहीं मुझे लगता है कि उसे इस बात का शक है कि मैंने उसकी अपने साथ चुदाई की बात जानबूझकर बताई थी।

नीरू: ये आदमी कभी नहीं भी नहीं सुधर सकता। हमेशा शक करता रहेगा।

ऋतु: चलो जो हुआ उसे भूल जाओ, उसे तो में बाद में समझा दूंगी। लेकिन तू उसे माफ़ कर दे। वैसे गलती तूने भी की है।

नीरू: मैने गलती गुस्से में की थी और जीजाजी ने भी मेरा भरोसा तोडा था। मैं एक बार प्रशांत को माफ़ भी कर सकती हूँ। लेकिन जीजाजी को कभी भी माफ़ नहीं करूंगी।

ऋतु: चलो अब ज़्यादा गुस्सा मत हो और यदि प्रशांत का अब फ़ोन आए तो एक बार उससे बात कर लेना और यदि हो सके तो तू ही अपनी ओर से फ़ोन लगा लेना।

नीरू: क्यो मैं क्यो फ़ोन लगाउं।

ऋतु: देख प्रशांत कितना झुक गया है अपनी गलती पर वह पछता भी रहा है जो उसने तुझ पर शक किया। यदि तुझे उससे बिल्कुल भी प्यार नहीं है तो तू अपनी ओर से फ़ोन मत लगाना। नहीं तो एक बार बात कर ले।

नीरू: ठीक है दीदी यदि आज प्रशांत को फ़ोन नहीं आया तो मैं कल उससे बता करूंगी।

ऋतु और नीरू के बीच बात हो रही थी जिससे एक आदमी परेशानी में दिख रहा था और वह था नीरज जो थोडी देर पहले ही आया था उसने बस इतना सुना था कि यदि आज प्रशांत नीरू को फ़ोन नहीं करता है तो नीरू कल प्रशांत को फ़ोन करेगी। लेकिन फिर अचानक नीरज को एक आइडिया आता है और वह मुस्कराने लगता है नीरज जैसे आया था वैसे ही वापल लौट जाता है। हक़ीक़त में ऋतु ने ही नीरज से कहा था कि वह नीरू के घर जाए और उसे मनाये और नीरज नीरू के घर इसलिए आया था ताकि नीरू को मनाया जा सके।

लेकिन नीरज अपने हरामीपण से बाज नहीं आया है और अब नीरज एक नई चाल चलने के लिए तैयार था और नीरज अपनी गाडी में बैठकर प्रशांत को फ़ोन करता है। पांच छह घंटी जाने के बाद प्रशांत फ़ोन उठता है।

प्रशांत: हाँ नीरज जी कैसे हैं।

नीरज: यार मैं ही तुझे फ़ोन करता हूँ तू कभी भी मुझे फ़ोन नहीं करता।

प्रशांत: जी वह बिजी रहता है और मन ही मन कहता है कि आप भी मुझे फ़ोन मत किया करें।

नीरज: यार देख मुझे अब तुझसे तरस आने लगा है, मैं तेरी मदद करने के लिए तैयार हूँ।

प्रशांत: खुश होते हुए कैसी मदद नीरज जी

नीरज: देख तू नीरू को हासिल करना चाहता है मैं इसमें तेरी मदद करूंगा।

प्रशांत: थैक्यू नीरज जी

नीरज: लेकिन यार एक परेशानी है।

प्रशांत: क्या

नीरज: मैं तीन चार दिन से नीरू पर प्रेशर बना रहा हूँ कि वह तुझे माफ़ कर दे। लेकिन वह तैयार नहीं हो रही।

प्रशांत: हाँ मुझे मालूम है वह बहुत जिद्दी है।

नीरज: लेकिन तू मुझे भी जानता है एक बार जो ठान लेता हूँ वह हासिल कर लेता हूँ। नीरू को ही देख लो एक बार तेरे सामने चोद चुका हूँ और अब अपना लंड कितनी बार चुसा चुका हूँ इसकी तो अब गिनती भी मुझे याद नहीं है।

प्रशांत: ठंंडी आह भरते हुए जी

नीरज: देख नीरज एक शर्त पर तुझे माफ़ करने को तैयार है।

प्रशांत: कैसी शर्त

नीरज: नीरू ने कहा है कि यदि तू मेरे और नीरू के सम्बंधों को स्वीकार कर लेता है तो वह तेरे पास आने को तैयार है। जानता तेरे से बात करने के लिए मुझे अपने घर के बाहर आना पडा है।

प्रशांत: हाँ मुझे गाडियों की आवाजें सुनाई दे रही हैं।

नीरज: अब तू इस बात का जबाव नीरू को ही दे देना कि तुझे मेरे और नीरू के सम्बंधों से कोई आपत्ति नहीं हैं। वैसे नीरू तुझे कल फ़ोन करके ये बताएगी। तू अपना फ़ैसला बता देना और हाँ जो भी फ़ैसला हो एक बार नीरू को बता ज़रूर देना और नीरज फ़ोन काट देता है और खुलकर हंसने लगता है।

दूसरी ओर प्रशांत की आंखों में आंसू निकलने लगते हैं। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि नीरज के प्रस्ताव पर वह क्या जबाव दे। नीरज खुलकर प्रशांत से नीरू की चुदाई की अनुमति मांग रहा है। इसके बाद नीरज पहली बार ज़िन्दगी में शराब मंगाता है और पहली ही बार में पूरी बोतल पी जाता है। शराब के नशे में ही वह कब नींद के आगोश में चला जाता है उसे पता ही नहीं चलता।

नीरू को प्रशांत के फ़ोन का इंतज़ार था। लेकिन प्रशांत तो शराब पीकर दूसरी ही दुनिया में था। सुबह प्रशांत उठता है और रोज़ की तरह जिम जाता है और फिर तैयार होकर आफिस चला जाता है। कनाडा में प्रशांत का ये डेली का रूटीन बन गया था वह जिम ज़रूर जाता था। जिस कारण उसका शरीर गठीला बनता जा रहा था। कनाडा में सुबह हो रही थी और इंडिया में उस समय रात का समय था। नीरू को नींद नहीं आ रही थी। वह प्रशांत के फ़ोन का देर रात तक इंतज़ार करती रही और कब उसकी आँख लगी उसे पता भी नहीं चला।

सुबह नीरू आफिस चली गई। उसे पता था आफिस टाइम पर प्रशांत कभी फ़ोन नहीं करता था। इस तरह से वह दिन भी बीत जाता है। रात को 9 बजे के करीब नीरू प्रशांत को फ़ोन करने का फ़ैसला करती है। दूसरी ओर प्रशांत के मन में खलबली मची हुई थी। थोडी देर पहले ही नीरज का फ़ोन आया था और उसने कहा था कि नीरूको उसने फ़ोन करने के लिए तैयार कर लिया है। वह थोडी देर में उससे बात करेगी। लेकिन नीरू ने साफ़ साफ कह दिया है कि तुझे हमारे सम्बंधों को रजामंदी देनी होगी तभी वह आगे बढेगी।



प्रशांत को लग रहा था कि नीरज झूठ बोल रहा है। उसके मजे ले रहा है। कहाँ नीरू चार महीने से उसका फ़ोन नहीं उठा रही है और कहाँ नीरज कह रहा है कि नीरू मुझे फ़ोन करने वाली है। लगता है वह मुझे अभी भी चुतिया ही समझता है। प्रशांत इसी सोच में था कि तभी उसके फ़ोन की घंटी बजती है और जैसे ही उसकी नज़र फ़ोन की स्क्रीन पर पडती है उसकी आंखें चौडी हो जाती है कि क्योंकि ये फ़ोन नीरू का था।

प्रशांत: इसका मतलब नीरज सच कह रहा था। नीरू नीरज के साथ ही रहना चाहती है और नीरज के कहने पर ही वह मुझे फ़ोन कर रही है। ये सोचकर प्रशांत की आंखों में आंसू आ जाते हैं। प्रशांत कांपते हाथों से फ़ोन उठता है और हैलो बोलता है। दूसरी ओर

नीरू: हैलो कैसे हो प्रशांत

प्रशांत: ठीक हूँ।

नीरू: मुझे तुमसे एक बात करनी थी बात बहुत ज़रूरी है। अब समझ नहीं आ रहा कैसे करूंगा। वह उस दिन जीजाजी के साथ नीरू इतना ही कह पाई कि प्रशांत का गुस्सा फुट पड़ा।

प्रशाांत: ये ही तुम अब अपनी जीजाजी के साथ अपने सम्बंध बनाए रखना चाहती है और मुझसे इसकी इजाज़त मांग रही हो।

नीरू: प्रशांत ये तुम क्या बक रहे हो।

प्रशांत: अच्छा मैं बक रहा इस समय भी तुम नीरज के घर पर ही हो और उसका लंड चूस रही हो। उसी के कहने पर मुझसे बात कर रही हो। मैं सच कह रहा हूँ ना।

नीरू: गुस्से में तुम कभी भी नहीं सुधरोगे प्रशांत। मैंने सोचा था कि शक का कीड़ा तुम्हारे दिमाग़ से निकल गया होगा। लेकिन तुम पागल हो चुके हैं। मैं अपने घर पर ही हूँ और जीजाजी अपने घर पर।

प्रशांत: मुझसे क्यो झूठ बोल रही हो। मैंने कई बार तुम्हें जीजाजी के घर जाते देखा है और वह भी उस समय जब ऋतु दीदी घर पर नहीं होती है।

नीरू: गुस्से से पागल हो जाती है और कहती है हाँ जाती हूँ और तुम बोल रहे थे ना उनका लंड चूसती हूँ तो मैं कहती हूँ कि मैं रोज़ उनका लंड चूसती हूँ और इस समय जीजाजी के बेडरूम में ही हूँ।

प्रशांत: हंसते हुए आख़िर सच कबूल कर ही लिया ना। तुम सोच रही हो मुझे कुछ नहीं मालूम मुझे सबकुछ पता है।


इधर नीरू गुस्से में अपना फ़ोन पटक देती है और रोने लगती है। दो दिन नीरू आफिस भी नहीं जाती। इस बीच ऋतु लगातार नीरू को फ़ोन करती है लेकिन नीरू का फ़ोन गिरने के कारण खराब हो गया था। इसलिए फ़ोन लगता नहीं है। वहीं प्रशांत भी सोचता है कि उसने कहीं नीरू से ज़्यादा तो नहीं बोल दिया। वैसे यदि बोल भी दिया हो तो क्या अब मुझे नीरू के साथ वैसे भी रहना नहीं है।

जारी रहेगी
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी - by deeppreeti - 11-10-2021, 06:18 PM

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