महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में
05-25-2021, 03:59 PM,
#6
RE: महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में
ॐ श्रीगणेशायनमः

अभिज्ञान शाकुन्तला नाटक


अपडेट 01






भूमिका



अभिज्ञानशाकुन्तल का नामकरण



अभिनज्ञानशाकुन्तलम्‌ मे दुर्वासा के शाप से विस्मृत शकुन्तला का स्मरण नायक दुष्यन्त को मुद्रिका रूप अभिज्ञान (पहचान) के द्वारा होता हे या अभिज्ञान - पहचान के स्मरण से किया हुआ शकुन्तला का पाणिग्रहण, अतः इस नाटक का नाम अभिज्ञानशाकुन्तल हे ।




कथा का सार




एक बार राजा दुष्यन्त ने अपनी विशाल सेना के साथ हिरण का पीछा करते हुए वन में प्रवेश किया । उस वन में उन्हे अनेक प्रकार के वृक्षों ओंर यज्ञीय अग्नियों से युक्त एक आश्रम दिखलाई पड़ा । वह आश्रम  कण्ठ  ऋषि का था । राजा ने अपनी सेना को बाहर ही रोक दिया ओर मुनि के दर्शन हेतु अपने राजचिहों आदि को छोडकर तपोवन मे प्रवेश किया । उस समय महर्षिं कण्व की अनुपस्थिति मे शकुन्तला ने आकर उनका स्वागत किया । राजा उसके रूप लावण्य पर मुग्ध हो गया । राजा ने जब महर्षिं कण्ठ के बारे में पृछा तब शकुन्तला ने बतलाया कि उनके पिता बाहर गये हैँ ।

राजा ने शकुन्तला से उसके जन्मादि के बारे मे अपनी जिज्ञासा प्रकट की तथा साथ ही यह भी बतलाया कि वह उसके प्रति प्रेमासक्त हो गया है । जब शकुन्तला ने अपने को तपस्या निरत धर्मज्ञ मनीषी कण्ठ की पुत्री बतलाया तब राजा ने अपने मन के संशय को यह कह कर प्रकट किया कि  महर्षि कण्ठ ऊर्ध्वरेता एवं तपोनिष्ठ है अतः वह (शकुन्तला) उनकी पुत्री कैसे हो सकती हे ? इस पर उन्हें शकुंतला की वास्तविक उत्पत्ति की कथा जिसके अनुसार उसक। उत्पत्ति महातपस्वी विश्वाजय  तथा मेनका से सम्पर्क से हुई को उसकी सखी अनु  सुनाती हे । जन्म देने के अनन्तर उसकी माता मेनका उसे मालिनी नदी के तट पर छोडकर इन्द्र के पासं लौट गयी । पक्षियों ने उसकी (नवजात शिशु की) रक्षा की ।

जब महर्षिं कण्ठ  एकं दिन स्नान करने के लिये मालिनी-तर पर गये तो वे पक्षियों से आवृत उसे अपने साथ उठा लाये अर उसका पालन-पोषण करने लगे । क्योंकि वह निर्जन वन में पक्षियों से आवृत थी अतः उसका नाम शकुन्तला रख दिया गया । इस प्रकार पालन पोषण के नाते कण्ठ  उसके धर्मपिता हँ ओर वह उनकी धर्मपुत्री ।

राजा शंकुन्तला को अपनी भार्या बनाने का प्रस्ताव करने लगा । पहले तो शकुन्तला ने पिता की अनुमति के विना उसके प्रस्ताव को मानने मे अपनी असमर्थता प्रकट की, उसकी सखी राजा से सपत्नियों के मध्य शकुन्तला को सम्मानित स्थान देने की बात कहकर आश्वासन लेती हे और शकुंतला विवाह के लिये तैयार हो गयी. दोनों का गान्धर्व विवाह हो गया । कुछ समय तक रहने के बाद्‌ राजा यह कहकर वापस चला गया कि वह शीघ्र ही उसे बुलाने के लिये अपनी चतुरङ्गिणी सेना भेजेगा ।

आश्रम में अधीर ऋषि आते है और शकुंतला राजा दुष्यंत के खेलो में खोयी हुई होती है और अधीर कुपित हो उसे श्राप देते हैं . जब महर्षिं कण्ठ -बाहर से आश्रम लौटे तो उन्हें अपने तपोबल से सारी घटना का पता चल गया । उन्होने दुष्यन्त एवं शकुन्तला के विवाह का अनुमोदन कर दिया ओर शकुन्तला को यह आशीर्वाद दिया कि उसे चक्रवर्ती पुत्र की प्राप्ति होगी । अधिक समय तक विवाहिता पुत्री को अपने साथ रखना उचित न समञ्च कर कण्व शकुन्तला को शिष्यों  की देखरेख में राजा के पास भेज दिया । शिष्य  शकुन्तला को वहाँ भेजकर वापस चले आये ।

अघोर के शाप के कारण राजा शकुंतला को भूल जाता हैL जब शकुन्तला राजा के समक्ष उपस्थित हुई तो  अभिशप्त होने के कारण राजा शकुन्तला को नहीं पहचान पाता और उसके साथ सम्पन्न अपने गन्धर्व विवाह को अस्वीकर कर देता है । वे शकुन्तला को अपने विवाह की कोई निशानी दिखाने को कहते है। शकुन्तला जब अपना हाथ उठा कर दिखाती है, तो उस मे राजा की दी हुई अँगूठी नहीं होती। इस से शकुन्तला को सब के सामने अत्याधिक शर्मिन्दा होना पड़ता है और वो राज्य सभा को छोड़ कर निराश होकर शकुन्तला वहां से सुमेरु पर्वत पर महर्षिं वीर  के आश्रम मे चली जाती है ।

गर्भ पूर्ण होने पर शकुन्तला ने एक अति तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया । छः वर्ष की स्वल्पायु में ही वह महाबलवान्‌ हो गया ओर वन के हिंसक पशुओं का भी दमन करने लगा। सभी का दमन करने के कारण महर्षि मारीच ने उसका नाम सर्वदमन रखा ।

अन्त मे मुद्रिका के कारण सुखद अंत होता है ओर शकुन्तला को महारानी तथा सर्वदमन को युवराज पद पर प्रतिष्ठित किया और राजकुमार सर्वदमन का नाम भरत रखा गया ।




मंगलाचरण



गणेश जी को प्रणाम,
अपने इष्ट को प्रणाम


ये शकुतला नाटक संस्कृत और प्राकृत भाषा के बाहर सारे श्लोको और बहुत से छंदो का हिंदी अनुवाद लिए हुए हैं। प्रभु से प्राथना है इसे निर्विघ्न और कुशलता पूर्वक पूरा करने के लिए सद्बुद्धि और सहायता करे, सबका मंगल हो .


जारी रहेगी
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RE: महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में - by deeppreeti - 05-25-2021, 03:59 PM

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