महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में
06-01-2021, 05:36 PM,
#10
RE: महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में
अभिज्ञान शाकुन्तला नाटक

अपडेट 04

प्रथम अंक



(तदन्तर शिष्यों के साथ तपस्वी प्रवेश करता हे)

तपस्वी- (हाथ उठाकर) हे राजन्‌, यह आश्रम का मृग हे, कृपया इसे मत मारिये, मत मारिये।

इस कोमल मृग के शरीर पर रुई के ढेर पर अग्नि के समान, यह बाण न चलाइये, न चलाइये। हाय! कहाँ इस बेचारे हिरणो का अत्यन्त चञ्चल जीवन। (जिस प्रकार रुई के ढेर पर अग्नि छोडना उचित नहीं है उसी प्रकार हिरन पर बाण छोडना भी उचित नहीं हैं।) और कहाँ आप के तीक्ष्ण प्रहार करने वाले वज्र के समान कठोर बाण? बज्र जैसे बाण वाले के लिये हरिण जैसे कमजोर पशु को मारना सर्वथा शोभां नहीं देता हे।

इसलिये राजन्‌! धनुष पर अच्छी प्रकार चढ़ाये गये बाण को उतार लीजिये। हे राजन! ये शास्त्र दुखियो की रक्षा करने के लिए उपयोग कीजिये और निरपराध पर प्रहार करने के लिये नहीं।

राजा—यह बाण धनुष पर से उतार लिया है। (राजा कथनानुसार करते है अर्थात्‌ बाण को धनुष से उतार लेते हें ।)

तपस्वी-पुरुवंश के दीपक आपं के लिये यह उचित ही है।

जिसका पुरु के वंश में जन्म हुआ हे, उसका तपस्वी के कहने से बाण को धनुष से उतारना अत्यन्त उचित हे। आप इसी प्रकारं के गुणों से युक्त चक्रवर्ती पुत्र को प्राप्त करें। -तपासवु ने आशीर्वाद दिया।

अन्य दोनों तपस्वी—अपने-अपने हाथों को उठाकर कहते है-अवश्य ही आप चक्रवती पुत्र प्राप्त करे।



राजा— (प्रणाम करते हुए) (आप ब्राह्मणों का वचन मेने स्वीकार कर लिया।

तपस्वी—हे राजन्‌, हम लोग । समिधा लाने के लिये निकले हये हे। यह सामने ही मालिनी नदी के तट पर कुलपति कण्ठ का आश्रम दिखायी पड़ रहा हे। यदि आपके अन्य कार्य में विलम्ब न हो तो आश्रम में जाकर अतिथिजनों के योग्य सत्कार को स्वीकार कीजिये, ओर उस जगह तपस्वियों को निर्विघ्न रमणीय यज्ञादि क्रियाओं को संपन्न करते देखकर, आप भी यह जान लेंगे "धनुष की डोरी की रगड़ से उत्पन्न चिह के द्वारा अलंकृत मेरी भुजा से कितने सत्पुरूषों की रक्षा होती हे"।

राजा—क्या कुलपति यहाँ आश्रम मेँ विद्यमान हे या नहीं ?

तपस्वी—अभी अपनी पुत्री शकुन्तला को अतिथि-सत्कार के लिये नियुक्त करके, शकुन्तला के प्रतिकूल भाग्य को शान्त करने के लिये सोमतीर्थं गये है।

राजा—अच्छा, फिर मैं उसी (कुलपति की पुत्री) का ही दर्शन करूगा। वही मेरी (महषिं कण्ठ के प्रति) भक्ति और श्रद्धा को जानकरं महर्षि कण्ठ को बता देगी।


जारी रहेगी
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RE: महाकवि कालिदास द्वारा रचा गया महाकाव्य अभिज्ञानशाकुन्तल - हिंदी में - by deeppreeti - 06-01-2021, 05:36 PM

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