RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
"एकदम सच।”
"फिर तो मैं अभी लाती हूं।” वह खुशी से झूम उठी और जाकर फुर्ती से सूटकेस उठा लाई। सूटकेस वह बिस्तर पर उसके सामने पटकती हुई बोली “यह लो और जल्दी से मेरा तोहफा मेरे हवाले करो।”
“जो हुक्म जाने तमन्ना।” जतिन ने किसी गुलाम की तरह सिर नवाया और सूटकेस का कम्बीनेशन लॉक खोलकर उसने एक छोटा सा पैकेट निकाला, जो बेहद पतला था। मगर जो गिफ्ट पैक वाले सुंदर रैपिंग पेपर में लिपटा हुआ था।
"लो स्वीट हार्ट। अपना गिफ्ट संभालो।" वह पैकेट उसकी ओर उछालता हुआ बोला और उसने सूटकेस वापस बंद कर दिया।
संजना ने पैकेट हवा में ही लपक लिया। उसने उसे पलट कर देखा, फिर अपार खुशी का प्रदर्शन करते हुए उसे खोला।
यह देखकर वह सकपकाई कि एक डीवीडी थी।
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“य...यह तो डीवीडी कैसेट है।” उसके मुंह से स्वतः निकला।
"बहुत रोमांटिक फिल्म की कैसेट है।” जतिन से बोला “पिछले हफ्ते ही रिलीज हुई है। ऐसी शानदार लवस्टोरी तुमने पहले कभी नहीं देखी होगी।"
“अच्छा। तब तो इसे जरूर देखूगी।”
"लगाओ।"
"क्या।"
"मेरा मतलब है कि प्लेयर में लगाओ, दोनों साथ ही देखते हैं। आज मैं पूरा मूड बनाकर आया हूं।"
“फिल्म देखने का?”
“और नहीं तो क्या? वह सामने ही तो डीवीडी प्लेयर रखा है।"
संजना तनिक सकुचाई, फिर सोचती हुई टेलीविजन की ओर बढ़ गई। उसने डीवीडी प्लेयर में डीवीडी फंसाकर टीवी ऑन कर दिया और रिमोट लेकर जतिन के पास आ कर बैठ गई। जतिन टेलीविजन स्क्रीन को ही देख रहा था। कुछ पलों तक स्क्रीन पर सुनहरी प्रकाश झिलमिलाता रहा, फिर उस पर दृश्य उभरने आरंभ हो गए।
अगले पल संजना बुरी तरह चौंकी।
बल्कि यह कहना चाहिए कि उछल पड़ी। वह उसके उसी बेडरूम का दृश्य था, जिसमें वह स्वयं नजर आ रही थी। वह अकेली नहीं थी। उसके साथ सहगल भी नजर आ रहा था, जिसने उसे अपनी दोनों बांहों में उठा रखा था।
फिर उसने संजना के गुदाज जिस्म को बिस्तर पर पटक दिया। उसी बिस्तर पर, जिस पर उस वक्त उसके साथ जतिन भी बैठा था। “उई मां।” उसके हलक से घुटी-घुटी सी चीख निकल गई थी “क्या करते हो।"
“अभी कहां कुछ किया है मेरी जान।” सहगल ने भूखे भेड़िये की तरह उसके गदराये बदन को झिंझोड़ना आरंभ कर दिया “वह तो मैं अब आगे करने वाला हूं।"
संजना की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। जबकि जतिन की स्थिति में रत्तीभर फर्क नहीं आया था। वह इस तरह दिलचस्प निगाहों से वह सब देख रहा था जैसे कि पता नहीं कितनी रोमांटिक, कितनी दिलचस्प फिल्म देख रहा हो।
दृश्य आगे बढ़ते चले गए।
संजना और सहगल की बातचीत के मुकम्मल दृश्य, जिसमें कि सहगल बाकायदा उसे डिक्टेशन देता नजर आ रहा था।
एक आगामी साजिश को अमलीजामा पहनाने का डिक्टेशन।
और पूर्व में अमली जामा पहनाई जा चुकी साजिश का डिक्टेशन, जिसमें एक बार जतिन का भी जिक्र था।
संजना को काटो तो खून नहीं।
उसका चेहरा पीला जर्द पड़ गया। उसके बाद आगे अभिसार का नजरें झुका देने वाला दृश्य था। उसी बिस्तर पर अपने बाप की उम्र के आदमी के साथ कलाबाजियां खिलाए जाने वाला गरमागरम नजारा! संजना का धैर्य जवाब दे गया। इससे ज्यादा देखने का ताब वह अपने अंदर न ला सकी थी।
उसने रिमोट उठाकर टेलीविजन ऑफ कर दिया और एक झटके से उठ बैठी।
उसकी सांसें धौंकनी की तरह चलने लगी थीं। चेहरे की यौवन झलकाती सुर्जी पलक झपकते गायब हो गई थी। ऐसा लगता था कि जैसे कि चेहरे से खून की आखिरी बूंद भी निचोड़ ली गई हो।
जबकि जतिन की स्थिति में जरा सा भी फर्क नहीं आया था। “अ...अरे यह क्या स्वीटहार्ट!” उसने अचानक फिर इस तरह शिकायती नजरों से संजना को देखा, जैसे कि उसने किसी खेल में मग्न होते बच्चे का खिलौना छीनकर तोड़ दिया हो "तुमने बंद क्यों कर दिया? कितनी गजब की रोमांटिक फिल्म चल रही थी।"
“त..तो यह बात है?" वह जतिन को अपलक घूरती हुई इस बार एकदम से बदले स्वर में बोली “म..मेरी जासूसी के लिए तुमने यहां स्पाई कैमरे लगा रखे हैं।”
“क्या करता जाने तमन्ना। माशूका जब ऐसी हरजाई हो तो करना पड़ता है। वैसे...हरजाई या हरामजादी में कोई फर्क होता है क्या?”
“क...कब से कर रहे हो तुम मेरी जासूसी?"
तब जतिन का धैर्य जवाब दे गया। वह उछलकर बिस्तर से खड़ा हो गया।
उसकी आंखों में एकाएक शोले भड़कने लगे थे। चेहरे के जर्रे-जर्रे पर नफरत उमड़ आई थी।
"हरामजादी, कमीनी...।” उसके अंदर का बांध तब जैसे टूट गया “तुझे तवायफ कहना तो तवायफ का अपमान करना होगा। वह कम से किसी के जज्बातों से तो नहीं खेलती अपनी कीमत लेकर उसका चेहरा भी भूल जाती है। उस सजायाफ्ता के साथ सरेआम हवस का खेल खेलते हुए तो मैंने तुझे बेनकाब कर दिया। कितने दिनों से उससे फिट है, बहुत ज्यादा वक्त तो नहीं हुआ उसे जेल से छूटे हुए। जब वह जेल में था तो क्या जेल में जाकर उसका पहलू गर्म करती थी? या फिर जब वह पेरोल पर बाहर आता था तो उसकी हवस शांत किया करती थी?"
“श...शटअप जतिन।"
“वह तुझे उस किलर के बिस्तर पर परोसने को कह रहा था, उसके अलावा आज तक और कितनों के बिस्तर की परिक्रमा कर चुकी है। स्कोर दर्जन से ऊपर है या अभी बेहयाई की हद बाकी है?”
“म...मेरी बात सुनो जतिन। प्लीज।”
“क्या बचा है अब तेरे पास कहने के लिए जलील औरत।
और किस हक से तू समझती है कि तू मुझसे कुछ कह सकती है?"
"ज...जतिन..."
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“ऊपर वाले का करम है तुझ पर, कितना हसीन जिस्म दिया उसने तुझे। अगर तूने इसकी पवित्रता और इसका मान रखा होता तो शायद तू जरूर सौ साल तक जीने वाली थी पचास साल तक अपने शरीर का सुख भोगने वाली थी। क्या फायदा हुआ। इतनी जल्दी वक्त पूरा हो गया।"
"क....क्या मतलब?” वह तीखे स्वर में बोली।
"अभी नहीं समझी।"
"न...नहीं।"
"तो समझ जा।" वह एकाएक बाज की तरह झपटा और फिर उसने संजना की सुराहीदार गरदन को अपने दोनों हाथों में जकड़ लिया।
संजना बुरी तरह हड़बड़ा गई।
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