RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
"ह...हां...।” उसने हिचकिचाते हुए स्वीकार किया “मैंने अपने चेहरे पर प्लास्टिक सर्जरी करा रखी है मैडम, इससे मैं इंकार नहीं कर सकती। लेकिन अगर आपको लगता है कि मैंने दुनिया से अपना असली चेहरा छुपाने के लिए अपने चेहरे की सर्जरी कराई है तो आप गलत सोच रही हैं। चेहरे की सर्जरी की इसके अलावा और भी बहुत सी वजह होती हैं।"
“किसी ने तुम्हारे ऊपर तेजाब फेंक दिया था?"
“जी नहीं।” प्राची ने बताया “मुझे चेचक हो गई थी, और चेचक के दागों ने मेरे खूबसूरत चेहरे को इस कदर बदसूरत बना दिया था कि आइना देखकर मैं खुद से ही डरने लगी थी। और यह तो आपको मालूम होगा कि चेचक के दागों को मिटाने वाली कोई दवा अभी दुनिया में नहीं बनी। उसका केवल एक स्थायी समाधान था जो कि कास्मेटिक सर्जरी थी। इसीलिए मैंने अपने चेहरे पर सर्जरी करा ली।"
“क्या तुम सच कह रही हो प्राची?" नैना ने संदेह भरी निगाहों से उसे देखकर पूछा “क्या सचमुच चेचक के दाग मिटाने के लिए तुमने सर्जरी कराई है?"
“जी चाहे तो यकीन कर लीजिए, मैडम। मैं आपसे झूठ बोलने की हिमाकत नहीं कर सकती।"
लेकिन नैना के चेहरे पर विश्वास के भाव न आए। वह अपलक प्राची को देखती रही।
प्राची जरा भी विचलित हुए बिना उसकी आंखों में देखती रही। नैना ने अपनी नजरें हटा लीं तो प्राची की निगाहें भी स्वतः ही झुक गईं।
तभी केबिन का दरवाजा खोलकर एक लड़का अंदर दाखिल हुआ। नैना के साथ ही प्राची की निगाह भी लड़के की ओर उठ गई।
“इंस्पेक्टर मदारी आए हैं मैडम।” लड़का नैना की ओर मुखातिब होकर अदब से बोला “आपसे फौरन मिलना चाहते हैं।"
नैना मन ही मन चौंक पड़ी। लेकिन उसने अपना चौंकना उजागर नहीं होने दिया।
उस खबर ने प्राची को भी चौंकाया था। उसकी और नैना की आंखें एक पल के लिए मिलीं।
“उसे आने दो।” फिर नैना प्राची से निगाह हटाकर लड़के से बोली। लड़के ने सहमति में सिर हिलाया। फिर वह वहां से चला गया। नैना एकाएक फिक्रमंद नजर आने लगी थी।
“रीनी तुम।” बुरी तरह हकबकाए संदीप के मुंह से कितनी ही देर के बाद निकला था। उसकी आंखें रीनी और उसके हाथ में मौजूद रिवॉल्वर को देखकर फट पड़ी थीं।
"क्यों हरामजादे।” रणचंडी बनी रीनी जख्मी नागिन की तरह फुफकारी और उसने अपने हाथ में मौजूद रिवॉल्वर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। उसके चेहरे पर नफरत के साथ व्यंग के भाव भी आ गए थे “अपनी मौत को सामने देखकर होश उड़ गए न?"
“न...नहीं रीनी।” संदीप जल्दी से खुद को संभालता हुआ बोला "कोई बेवकूफी मत करना। अ...अपना यह रिवॉल्वर नीचे कर लो और पहले मेरी बात सुनो।"
“अब बचा ही क्या है तेरे पास, मुझे सुनाने के लिए कमीने।" रीनी शोले बरसाती निगाहों से संदीप को देखती हुई बोली “सब कुछ तो मैं सुन चुकी हूं। और आज पहली बार मुझे अहसास हुआ कि तुमसे रिश्ता जोड़कर मैंने कितनी भयानक गलती की है। यह तो केवल मैं ही थी, जो तेरे प्यार की दीवानी थी और जिसके लिए मैंने अपने पापा को भी विवश कर दिया। मगर तूने तो कभी मुझे प्यार किया ही नहीं था। तूने तो केवल मेरी दौलत से प्यार किया था और तेरी सारी दीवानगी तो उस कमीनी कोमल के लिए है, जो तेरी पहली बीवी थी और जिसके पास तू फिर वापस जाना चाहता है।"
“ए..ऐसा कुछ भी नहीं है रीनी। मैं...।"
“तू भौंक नहीं कुत्ते केवल मेरी बात सुन ।” रीनी ने उसे बोलने नहीं दिया था। वह अपने अंदर की आग उगलती चली गई “मेरे पापा की मौत का सामान भले ही तूने किया है, लेकिन पापा की मौत की असली जिम्मेदार मैं हूं। लेकिन तू घबरा क्यों रहा है, मेरी मौत का सामान भी तो तूने कर ही दिया है। कितनी मजे की बात है, पहले जिसे मेरे पापा की हत्या की सुपारी दी, अब उसे ही उनकी बेटी की भी सुपारी दे डाली। अब उसे किसी और की सुपारी भी देने जा रहा है। न...न...न, कोई चालाकी दिखाने की कोशिश मत करना जलील आदमी वरना वक्त से पहले ही रुख्सत हो जाएगा।"
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संदीप जहां का तहां जड़ हो गया। उसका चेहरा पीला जर्द पड़ गया था। रीनी सचमुच उस घड़ी रणचंडी बनी हुई थी। उसका जुनून इस बात का गवाह था कि वह जो कुछ भी कह रही थी, उसे करने में जरा भी नहीं हिचकने वाली थी। संदीप मन ही मन उस घड़ी को कोस रहा था जबकि उसने कोमल को फोन लगाया था और भावुक होकर उसे फोन पर ही सब कुछ बता दिया था। उस वक्त वह आखिर क्यों भूल गया था कि वह रीनी का ही घर था और रीनी कभी भी उसके कमरे में आ सकती थी।
लेकिन अब खुद को कोसने से कुछ नहीं होने वाला था। हौसला तो उसे दिखाना ही था, वरना वह रणचंडी बनी रीनी उसे किसी भी सूरत में जीवित नहीं छोड़ने वाली थी।
“म...मेरा कोई चालाकी दिखाने का इरादा नहीं है रीनी।" प्रत्यक्षतः वह अपने लहजे को सुसंयत बनाये रखने का प्रयास करता हुआ बोला उसका इरादा अब रीनी को बातों में उलझाने का था ताकि उसे पासा पलटने का मौका मिल पाता। उसने कहा “म...मगर मैं फिर कहता हूं, जो कुछ तुमने सुना, वह सच नहीं है, सच तो कुछ और ही है। तुम मुझे एक मौका तो दो मैं तुम्हारी सारी गलतफहमी दूर कर दूंगा।"
"क्यों नहीं।” रीनी दांत किटकिटाती हुई बोली। उसकी उसकी अंगुली रिवॉल्वर के ट्रिगर पर सख्ती से कस गई थी “तू एक मौका देने की क्या बात करता है, मैं तुझे बेशुमार मौके देती हूं।" फिर उसने बिना किसी पूर्व चेतावनी के अचानक रिवॉल्वर का ट्रिगर दबा दिया “यह ले।"
पिट...पिट...!
उसके साइलेंसर युक्त बेआवाज रिवॉल्वर ने दो शोले उगले, जिनका निशाना संदीप था।
मगर मासूम रीनी नहीं जानती थी सामने खड़ा इंसान गजब का शातिर था। वह बेहद फुर्ती से एक तरफ को झुक गया था और रीनी के निशाने को उसने बड़ी खूबसूरती से डॉज दे दिया था।
दोनों गोलियां सनसनाती हुई संदीप के सिर के ऊपर से गुजर गयी थीं तथा पीछे दीवार में जाकर धंस गई थीं।
जब यह बात रीनी की समझ में आयी तो वह बुरी तरह हड़बड़ा गई। उसका क्रोध दोबाला हो गया। उसने तमतमाते हुए पुनः रिवॉल्वर सीधा किया, लेकिन इससे पहले कि वह दोबारा संदीप को निशाना बना पाती, संदीप ने झपटकर उसके चेहरे पर एक करारा घूसा रसीद कर दिया।
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