RE: Kamukta Story घर की मुर्गियाँ
अंजली समीर से- “अच्छा तो ये बात थी की तूने पहले से ही दिव्या को पसंद किया हुआ था?"
समीर- नहीं मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं।
अंजली- “मैं तेरी माँ हूँ मुझे मत चला..” और सबको हँसी आ जाती है।
अंजली- विजय भाई साहब से भी बता दो।
अजय- अभी काल करता हूँ।
अजय- हेलो विजय?
विजय- हेलो।
अजय- हमने समीर का रिश्ता तय कर दिया है। सुबह लड़की देखने जयपुर जाना है। तैयार रहना सबको चलना
विजय- यार मैं तो नहीं जा पाऊँगा। ऐसा कर अपनी भाभी और टीना को ले जाना।
अजय- ठीक है उनसे बोल देना सुबह 6:00 बजे निकलना है।
विजय- ओके बोल दूंगा।
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रात के 10:00 बज थे। अंजली और अजय अपने रूम में सो चके थे। नेहा को नींद नहीं आ रही थी। नेहा ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके, और एक छोटी से पारदर्शी नाइटी पहनकर समीर के रूम की तरफ चल दी। नेहा बहुत धीरे-धीरे समीर के रूम में पहुँची, मगर दरवाजा अंदर से बंद था। नेहा ने दरवाजा धीरे से खटखटाया।
समीर- कौन है?
नेहा- भइया मैं हूँ, दरवाजा खोलो।।
समीर ने दरवाजा खोला- “क्या बात है नेहा, और ये सब क्या है?"
नेहा- पहले अंदर तो आने दो भइया?
समीर- “देख आज तू अपने ही रूम में सो जा हमें सुबह जयपुर भी निकलना है। तू फिर किसी दिन सो जाना मेरे पास.."
मुझे नींद भी नहीं आ रही.." और
नेहा- “अच्छा जी सो जाऊँगी... मगर थोड़ी देर आपसे बातें तो कर । नेहा अंदर आकर समीर के बेड पर बैठ गई।
समीर- क्या बात करनी है मेरी बहना को?
नेहा- भइया, आपको दिव्या से कब और कैसे प्यार हुआ? आपकी लोव स्टोरी सुननी है मुझे।
समीर- बस मुझे तो पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया था। मेरे दिल से ये आवाज आई की ये ही वो लड़की है, जो मेरी हमसफर बनेगी।
नेहा- वाउ भइया इंटरेस्टिंग... आगे बताओ, फिर क्या हुआ?
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