RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल का बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन ये नहीं समझ में आया की ये आखिर है क्या? ना तो वो कभी अपने पति का लण्ड चूसी थी, और न ही विकास में कभी उसे ऐसा कहा था। विकास भी शीतल की चूत को कभी चाटा नहीं था। शीतल अभी तक कभी ठीक से पार्न भी नहीं देखी थी। दो-चार बार उसकी सहेलियों ने उसे दिखाया था, लेकिन थोड़ा सा देखकर वो मना कर देती थी और कहती थी की- "छीः तुम लोग ये क्या गंदी चीज देख रही हो?"
शीतल के मन में उस खुश्बू के टेस्ट की याद बस चुकी थी। वो पैंटी ब्रा को सुबह भी सूंघ कर देखी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। शीतल अब बस शाम का इंतजार कर रही थी ताकी वो फिर से उस खुश्बू को अपने सीने में ले सके।
अगले दिन शीतल थोड़ा और जल्दी कपड़े को छत से ले आई। उसकी पैंटी पूरी तरह गीली थी और उसपे गाढ़ा सफेद लिक्विड लगा हुआ था, जिसे देखकर उसका दिमाग सन्न रह गया की ये तो वीर्य है किसी का। उसकी शादी को 6 महीने हो चुके थे और वो अब वीर्य के कलर को तो जानती ही थी। पहले तो उसका मन घृणा से भर गया और उसे गुस्सा भी बहुत आया की कौन है वो कमीना गंदा इंसान जो इस तरह की नीच हरकत कर रहा है? लेकिन इसकी खुशबू उसे बहुत अच्छी लगी थी तो वो वीर्य को फिर से सूंघने लगी और फिर मदहोश होकर उसे अपनी जीभ से भी सटा ली। फिर वो तुरंत ही अपनी जीभ हटा ली, लेकिन अब उसपे अजीब सा खुमार चढ़ चुका था, तो वो उसे धीरे-धीरे सूंघते हुए पूरी तरह चाटकर साफ कर ली। उसे पहले भी बहुत मजा आया था, लेकिन आज ये सोचकर उसकी चूत गीली हो गई की वो किसी अंजान आदमी का वीर्य सूंघ और चाट रही है जो उसने अपने पति के साथ भी नहीं किया है।
शीतल के दिमाग में यही सब चलता रहा।
शीतल ने आज बैड पहली दफा पहल की और विकास से अपनी चुदाई करवाई। लेकिन आज पहली बार उसे लगा की जितना मजा आना चाहिए था वो नहीं आया। उसे लगा की बिकास को और अंदर तक डालना चाहिए था। उसे लगा की विकास को और देर तक उसकी चूत को चोदना चाहिए था। लेकिन वो कह ना सकी और करवट बदलकर उस बीर्य की खुश्बू को याद करती सो गई।
अगले दिन सनडे था और विकास घर पे ही था और वसीम चाचा कहीं बाहर गये हुए थे। आज शीतल जब अपने कपड़े लेकर आई तो उसकी पैटी ऐसे ही रह गई थी और शीतल प्यासी ही रह गई आज उस खुश्बू के लिए। उसका मूड आफ हो गया।
विकास ने पूछा भी- "क्यों, क्या हआ अचानक उदास हो गई?"
लेकिन शीतल कुछ जवाब नहीं दी। रात में शीतल फिर से चुदवाना चाहती थी, क्योंकी कल उसकी प्यास बुझी नहीं थी। लेकिन अपने संस्कारों और शर्मो -हया की बजह से वो बिकास के सामने इजहार नहीं कर पाईं। विकास अपनी प्यासी बीबी को मैं ही छोड़कर सो चुका था।
अब शीतल उस खुश्बू और टेस्ट के लिए पागल होने लगी थी। आज शीतल दोपहर में छत पे जाकर सीढ़ी के बगल में बने स्टोरम में जाकर छिप गई और देखने लगी की क्या होता है। कौन है जो अपना वीर्य मेरी पैंटी में गिरा कर चला जाता है?
थोड़ी देर में एक बजते ही वसीम खान अपने घर आया और अपने रूम में चला गया। अपने रूम में जाते वक़्त उसने शीतल की पैटी बा को देखा जा आज शीतल ज्यादा अच्छे से फैलाकर टांगी थी। शीतल के दिमाग में अभी तक वसीम खान का ख्याल नहीं आया था की ये ऐसा कर रहा होगा।
|