RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल अपनी प्यासी चूत लिए रात भर करवट इधर से उधर बदलती रही।
दिन में शीतल फिर से दोपहर का इंतजार कर रही थी। अब उसके मन में कोई बंद नहीं चल रहा था। उसने खुद को समझा लिया था की क्सीम खान कई सालों से अकला है और मैंने उसकी सोई ख्वाहिशों को जगा दिया हैं, जिसे वो छिपकर मेरी पैंटी ब्रा पे उतरता है। मुझे उससे उसकी खुशी नहीं छीननी है और मैं उसके वीर्य का सूंघकर चाटकर खुश हो रही हैं। उसे नहीं पता की मुझे पता है तो दोनों अपना-अपना मजा ले रहे हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
वो अपने वक्त में एक बजे से कुछ पहले स्टोरम में जाकर छिप गई। बसीम आया और आते वक्त ही शीतल की पैंटी बा को देखता गया, जिसे शीतल ने आज और अच्छे से फैलाया हुआ था। शीतल चाहती थी की वसीम को जो सुख मिल रहा है वो अच्छे से मिलें। उसने ट्रांसपेरेंट पैटी बा को छत पे टंगा था।
रोज की तरह वसीम रूम से लुंगी गंजी में आया और शीतल की पैंटी चा को उठाकर स्टोररूम के दरवाजा के सामने खड़ा हो गया। आज शीतल काल की तरह तेज सांस नहीं ले रही थी और न ही आज उसकी धड़कन तेज थी। वसीम ने आज अपनी लुंगी को नीचे गिरा दिया और नीचे से पूरा नंगा हो गया और मूठ मारने लगा।
शीतल का मुँह खुला का खुला रह गया। वसीम के लण्ड को इतने साफ में देखकर उसकी धड़कन बढ़ गईं। 10 मिनट तक क्सीम पेंटी और ब्रा को चमता चाटता रहा और लण्ड को आगे-पीछे करता रहा।
ऐसे वीर्य गिराया की शीतल को साफ-साफ वीर्य निकलता दिख रहा था। शीतल की पूरी पैंटी गीली कर दी क्सीम ने। फिर वो अपने लंगी को पहनकर पैटी बा को टांग दिया और रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया।
वसीम के लिए भी इंतजार करना अब मुश्किल हो रहा था। वो जानता था की शीतल उसके सामने छिपकर उसके लण्ड को देख रही है, और अगर वो स्टोररूम के दरवाजे को खोल दे तो शायद शीतल खुद को चुदवाने से रोक नहीं पाए। लेकिन वो काई रिस्क नहीं लेना चाहता था। वो शीतल को पानेंट रंडी बनाना चाहता था अपनी। अपनी रखैल अपनी पालतू कुतिया बनाना चाहता था जो उसके इशारे पे नाचे। बड़े शिकार को फंसाने के लिए उसे अच्छे से चारा डालकर अच्छे से इंतजार करना होगा और वो कोई गलती नहीं करना चाहता था। वो दरवाजा के पीछे से देखने लगा।
आज वसीम के अंदर गये हुए दो मिनट भी नहीं हुए थे की शीतल स्टोर रूम से बाहर आई और अपने कपड़े समंट कर नीचे चली गई। उसने दरवाजा को अच्छे से लाक कर लिया और बाकी कपड़ों को टेबल में फेंक कर पैंटी को अपने चेहरा पे रख ली और नंगी हो गई। पैंटी में लगा बीर्य उसके चेहरा को भिगोने लगा और उसकी खुश्ब उसके सीने में भरने लगी। शीतल नंगी होकर गोज की तरह चूत में उंगली करने लगी और वीर्य को चाटने लगी।
वसीम नीचं आया था लेकिन दरवाजा बंद होने की वजह से वो वापस चला गया था। उसने सोचा की देखने के लिए इतना मेहनत क्या करना।
चूत से पानी निकालने के बाद शीतल नंगी ही सो गई और शाम तक नंगी ही अपना काम करती रही। बसीम के वीर्य की खुश्बू ने उसके अंदर की काम ज्वाला को प्रज्वल्लित कर दिया था। विकास के आने से पहले वो नहाकर फ्रेश हो गई और शाम के दावत की तैयारी करने लगी।
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