RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
चूत से पानी निकालने के बाद शीतल नंगी ही सो गई और शाम तक नंगी ही अपना काम करती रही। बसीम के वीर्य की खुश्बू ने उसके अंदर की काम ज्वाला को प्रज्वल्लित कर दिया था। विकास के आने से पहले वो नहाकर फ्रेश हो गई और शाम के दावत की तैयारी करने लगी।
शाम में विकास आया तो पता चला की उसने वसीम को अब तक इन्वाइट ही नहीं किया है। शीतल उससे झगड़ने लगी की मैं इतनी तैयारी कर रही हैं और तुमने गेस्ट को इन्वाइट ही नहीं किया। विकास ने तुरंत ही वसीम खान को काल किया। बिकास सोचने पे मजबूर हो गया की शीतल आजकल बसीम में कुछ ज्यादा ही इंटरेस्ट ले रही है। कहीं सच में दोनों के बीच कुछ है तो नहीं? उसके दिमाग में बहुत कुछ चलने लगा और उसके लण्ड में हलचल होने लगी की उसकी 23 साल की जवान और बेहद हसीन बीवी एक 50-55 साल के गैर मदं के चक्कर में है।
वसीम खान के पास विकास का फोन आया की आपका आज रात का खाना हमारे घर में ही होगा। वसीम में दाबत कबूल किया और मुश्करा उठा। अब वो दिन दूर नहीं था जब शीतल जैसी मस्त हसीन औरत उसके लण्ड के नीचे होने वाली थी। बसीम के मन में आगे का पूरा प्लान बन रहा था। उसका शिकार अब उसके पंजे से ज्यादा दूर नहीं था।
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शीतल में वसीम को डिनर पर बुलाया शीतल में बसीम पे दया दिखाते हुए मैं दावत रखी थी की वो अकेले रहते हैं इतने सालों से और खाना भी खुद बनाते हैं, तो हम हफ्ते में एक बार तो उन्हें अपने यहाँ खिला ही सकते हैं। शीतल की सोच अब बन गई थी की उनके मन में मेरे लिए अरमान हैं, तो मैं उन्हें पता नहीं लगने दूंगी की मुझे पता है और उनकी हेल्प करेंगी। उन्हें मुझे देखना पसंद है तो वो घर आएंगे तो अच्छे से देख सकेंगे, खुलकर बातें कर सकेंगे। इस तरह उन्हें शायद आराम मिले।
शीतल को क्या पता था की जो बीमारी वसीम को है में उसका इलाज नहीं है, बल्कि उस मर्ज को और आगे बढ़ाने का उपाय है। शायद पता भी हो लेकिन उसने अपने मन को यही समझा लिया था की वो इस तरह वसीम की मदद कर रही है।
विकास भी राजी था की सही बात है, कभी कभार तो हमें वसीम चाचा को लंच या डिनर तो कराना ही चाहिए। विकास भी खाना बनाने में अपनी बीवी की मदद कर रहा था। शीतल बहुत अच्छी साड़ी पहनी थी और बड़े प्यार से सारा खाना बनाया था। उसकी ये साड़ी भी डिजाइनर ही थी जिसमें क्लीवेज और पीठ दिख रही थी। शीतल लो-वेस्ट साड़ी ही पहनी थी। साड़ी का आँचल ट्रांसपेरेंट था जिससे शीतल की नाभि और क्लीवेज साफ दिख रही थी। हालाँकी ये कोई नई बात नहीं थी। शीतल हमेशा ऐसे ही कपड़े पहनती थी।
फिर भी विकास में मजाक में शीतल से कहा- "आज तो वसीम चाचा पे तुम बिजलियां गिराने वाली हो..."
शीतल भी मुश्करा दी। उसका इरादा तो यही था।
वसीम खान अपने बढ़त पे घर आ गया और फ्रेश होकर विकास के घर आ गया। वसीम में सफेद कुर्ता पाजामा पहना था। दरवाजा पे नाक करते ही शीतल दौड़कर दरवाजा खोली। विकास टीवी देख रहा था और जितनी देर में बो उठता तब तक शीतल दरवाजा खोल चुकी थी।
वसीम के ऊपर दरवाजा खुलते ही जैसे बिजली गिर पड़ी। शीतल को देखकर उसके जिम में सिहरन हो गई। बसीम ने शीतल को जब भी देखा था तो दूर से देखा था। इतने करीब से ये पहला मौका था उस हश्न का दीदार करने का। शीतल भी बिजली गिराने को तैयार ही थी।
ट्रांसपेरेंट साड़ी के अंदर से झांकता गोरा चिकना कमसिन बदन, माँग में सिदर, माथे में लाल बिंदी, आँखों में काजल, होठों पे मरून लिपस्टिक, गले में एक चैन क्लीवेज तक और मंगलसूत्र ब्लाउज़ के ऊपर, कसे हुए ब्लाउज़ के ऊपर से झांकती हुई चूचियां, गोरा चिकना पेट नाभि के नीचे तक, दोनों हाथों में पूरी चूड़ियां और पैरों में पायल। शीतल साक्षात अप्सरा लग रही थी। वसीम उसे देखता ही रह गया। उसे इस तरह की उम्मीद नहीं थी। उसका मन हआ की अभी ही शीतल को बाहों में भर ले और उसे चूमना स्टार्ट कर दे।
शीतल जब मुश्कराती हई खनकती आवाज में- "आइए ना चाचाजी." बोलती हई दरवाजे के आगे से हटी तब वसीम झटके से होश में आया।
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