RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम- "औन्न... हाँन..' बोलता हुआ अंदर आया।
शीतल अंदर जाती हुई विकास को आवाज लगाई- "उठिए ना, देखिए वसीम चाचा आए हैं, आप कब से टीबी हो देख रहे हैं...
वसीम पीछे से शीतल की चमकती पीठ और कमर में हो रही थिरकन का मजा ले रहा था।
विकास तब तक वसीम का स्वागत करने के लिए उठ चुका था और वसीम को बोला- "आइए अंकल, बैठिए, कैसे
बसीम अब सम्हल चुका था और- "सब बदिया। आप सुनाइए?" बोलता हआ सोफे पे बैठ गया।
विकास और वसीम बातें करने लगे। तब तक शीतल किचेन से एक ट्रे में पानी और कोल्ड-इिंक उलास में ले आई
और बसीम को बड़े अदब से सर्व की। शीतल के झुकते ही उसकी चूचियां ब्लाउज़ से बाहर निकल जाने को आतुर हो जाती थी। वसीम और विकास ने कोल्ड ड्रिंक और पानी ले लिया तो फिर शीतल किचेन की तरफ वापस चल दी।
वसीम का मन हुआ की कोल्ड ड्रिंक लेते वक्त शीतल के ब्लाउज़ में झाँके या जब वो वापस जा रही थी तो उसकी गाण्ड की हलचल को देखें। लेकिन ऐसा करना उसकी चाल का हिस्सा नहीं था। उसने बड़ी मुश्किल से खुद पे काबू किया और ऐसे रिएक्ट किया जैसे कुछ हो ही जा रहा हो।
शीतल भी एक ग्लास में कोल्ड ड्रिंक लेकर बाहर आ गई और सामने बैठकर उस बातचीत का हिस्सा बनने की कोशिश करने लगी। उसका मकसद बस यही था की वो वसीम की नजरों के सामने रहैं, ताकी वसीम शीतल को अच्छे से देख पाए।
लेकिन वसीम ना तो शीतल की तरफ देख रहा था और ना ही उससे बात कर रहा था।
थोड़ी देर बाद शीतल उठी और बड़े प्यार से उसे खाना सर्व की। वसीम और विकास साथ में खाना खाए। शीतल जानबूझ कर वसीम के सामने ज्यादा और देर तक झकती थी ताकी वसीम उसके जिश्म को देख सकें।
वसीम बिल्कुल शरीफ बंदे की तरह बैठ रहा और शीतल पे एक नजर डालने के बाद उसने शीतल की तरफ देखा भी नहीं। लेकिन विकास का ध्यान बस शीतल पे ही था। शीतल एक तो वैसे ही इतनी खूबसूरत थी और उसमें ये साड़ी और फुल मेकप में वो कयामत ढा रही थी।
वसीम के लिए खुद को रोके रखना बहुत ही मुश्किल था लेकिन अगर शिकार को अच्छे से दबोचना है तो सही बक़त का इंतजार करना चाहिए ये सोचते हुए वो खुद पे काबू किए रहा।
विकास और बसीम में कई तरह की बातें होती रही और धीरे-धीरे बात वसीम के जिंदगी में आ गई और बसीम ने बताया की अपनी बेगम के इंतकाल के बाद उसने दुबारा निकाह नहीं किया।
विकास ने पूछ लिया- "इतना लंबा वक्त हो गया तो कभी शारीरिक कमी महसूस नहीं हुई.."
वसीम बस हँस पड़ा। उसने बताया की दो-तीन औरतों के साथ निकाह की बात चली लेकिन हर बार बात बिगड़ जाती थी। उसकी सारी कहानियों का सार यह था की उसने कभी किसी के साथ चीटिंग या बेईमानी नहीं की और हर औरत के साथ वो साफ और स्पष्ट तरीके से पेश आया था। लेकिन उन औरतों ने ही वसीम को चीट किया था।
विकास का ककोल्ड मन जागर्ने लगा और उसे लगा की उसकी बीवी इस तरह सजकर एक मुस्लिम मर्द के सामने खुद को पेश कर रही है। विकास का लण्ड अंदर टाइट हो चला।
वसीम थोड़ी देर बाद अपने कमरे में चला गया।
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