RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम के लिए ये पहला मौका था जब उसने शीतल के बदन का स्पर्श किया। उसकी लण्ड सनसनाता हआ टाइट हो गया। वसीम में कोई रिएक्सन नहीं दिया लेकिन अपनी पीठ पे शीतल की गुदज चूचियों की छुअन को अभी तक महसूस कर रहा था।
शीतल को वसीम की तरफ से कोई रिएक्सन ना आता देखकर गुस्मा भी आया। फर शीतल को लगा की ब्रा पहने होने की वजह से हो सकता है की वसीम को पता ही ना चला हो। वो अपने बेडरूम में गई और टाप को उतार कर ब्रा को उतार दी और आलिमरा में रख दी और बिना ब्रा के बाहर आ गई। टाप के ऊपर का बटन अभी भी खुला ही रखा था उसने। परै रण्डीपने के मह में आ गई थी शीतल। अब उसने सोच लिया था की वसीम को मनाना है ताकी वो शीतल के साथ फ्रैंक हो सके।
वसीम सोफे पे जाकर बैठ गया और रिएक्सन तो उसपे ऐसा हुआ था की उसका लण्ड अब तक टाइट ही था। वो तो आज आया ही इसलिए था की माहौल पता कर सके शीतल के मन का। दोपहर में शीतल नहीं आई थी । इसलिए वो परेशान हो उठा था लेकिन यहाँ शीतल की आग को देख कर वो निश्चित हो गया। उसे कुछ करने की जरूरत नहीं थी और उसका प्लान सही दिशा में जा रहा था।
विकास भी अब हाथ धोकर वहीं सोफे पे आ गया।
लण्ड टाइट हो चुका था और वो जान गया था की अब वो जब चाहे इस चिड़िया को पटक कर खा सकता है। लेकिन उसे कोई हड़बड़ी नहीं थी और वो बड़ा खेल खेलना चाह रहा था। उसने एक नजर में ताड़ लिए की शीतल ब्रा के बिना घूम रही है। उसका भी जी चाह रहा था की अब शीतल को चोद डालें।
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एक मई के लिए तो फेसबुक पे लड़की की दोस्त रिक्वेस्ट रिजेक्ट करना मुश्किल कम होता है और यहाँ तो वसीम सामने परोसा हआ मीट रिजेक्ट कर रहा था। वसीम शीतल के दिमाग को इस अवस्था में ले आना चाहता था जिसमें वो उसकी हर बात माने। किसी भी कीमत पे वसीम को ना छोड़ पाए, चाहे और सब कुछ छोड़ना पड़े। इसके लिए बहुत धैर्य की जरूरत थी और वसीम इसीलिए खुद में काबू किए हुए बैठा था।
विकास में भी ये नोटिस किया की उसकी बीवी ने ब्रा को उतार दिया है। वो सोचने लगा की कैसी है शीतल जो इस बर्ट मर्द के लिए पागल है? और कैसा है ये बसीम जो इस चिंगारी से खुद को बचाए हए है? उसने सोचा की शायद मेरी वजह से बीम घबरा रहा है या शीतल खुलकर कुछ नहीं कर पा रही है। उसने सोचा की मैं थोड़ा दर होकर इन लोगों की मदद कर देता है ताकी मेरी रंडी बीवी अपने आशिक से चुद पाए।
विकास और बसीम वहीं बातें कर रहे थे और शीतल किचेन की सफाई कर रही थी। थोड़ी देर बाद वसीम ने शीतल से पानी माँगा। क्मीम सोफे पे बैठ था। विकास उसी वक़्त फोन पे किसी से बात करता हुआ उठा और रूम में जाकर बात करने लगा। शीतल पानी लेकर आई। उसके एक हाथ में जग और एक हाथ में उलास था। वो कुछ ऐसे लड़खड़ाई की वसीम की तरफ दोनों हाथ फैलाकर गिरने लगी।
वसीम ने उसे पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया और वसीम का हाथ शीतल की चूचियों पे दब गया। शीतल का रोम रोम सिहर गया। बसीम का पूरा हाथ शीतल की चूचियों की गोलाई को दबा गया था। शीतल साड़ी फैकय कहती हुई खड़ी हो गईं। भले ही उसकी चूची दब गई थी, लेकिन उसने पानी नहीं गिरने दिया था, जग उत्लास से। वसीम ने ये जानबूझ कर नहीं किया था लेकिन उसके पूरे हाथ में शीतल की बिना बा की चूची आ गई थी। वसीम को बहुत मजा आया था।
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