RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम ने उसे पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया और वसीम का हाथ शीतल की चूचियों पे दब गया। शीतल का रोम रोम सिहर गया। बसीम का पूरा हाथ शीतल की चूचियों की गोलाई को दबा गया था। शीतल साड़ी फैकय कहती हुई खड़ी हो गईं। भले ही उसकी चूची दब गई थी, लेकिन उसने पानी नहीं गिरने दिया था, जग उत्लास से। वसीम ने ये जानबूझ कर नहीं किया था लेकिन उसके पूरे हाथ में शीतल की बिना बा की चूची आ गई थी। वसीम को बहुत मजा आया था।
हालाँकी शीतल का प्लान सफल रहा था और आखिरकार, वो अपनी चूची वसीम से मसलवा ही ली थी फिर भी उसे शर्म आ ही गई। शीतल नजरें झुकाए हए वसीम को पानी दी और फिर किचन में चली गई। वसीम अपने हाथ पेशीतल की चूचियों को महसस करता रहा और शीतल अपनी चूची पे वसीम का सख्त हाथ।
तभी लाइट कट गई। अंदर सबको गर्मी लगने लगी तो विकास ने ही कहा- "छत में चलते हैं."
सब छत पे टहलने लगे और शीतल वसीम के आस-पास ऐसे चक्कर काटने लगी की जिससे किसी तरह एक और बार अपने बदन को वसीम के बदन में सटा पाए। शीतल और वसीम उसी जगह पे थे जहाँ वसीम शीतल की पैंटी ब्रा पे अपना वीर्य गिराता था।
छत में अंधेरा था। विकास अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था और वसीम से बात कर रहा था। शीतल का मौका नहीं मिल रहा था। तभी विकास में मोबाइल में एक वीडियो प्ले किया और वसीम को दिखाने लगा। शीतल भी वसीम के साइड से आकर वीडियो देखने लगी। ये सबसे अच्छा मौका था।
शीतल वसीम के बदन में चिपक गई। उसकी गोल-गोल मुलायम चूचियां वसीम के बाज़ में दब रही थी। शीतल को बड़ा सुकून मिल रहा था। अब शायद वसीम थोड़ा रिलैक्स हो पाएंगे। लेकिन वसीम ने वीडियो देखते हुए ही अपने जिश्म को थोड़ा आगे किया तो शीतल भी आगे हई। वसीम बीडियो देखता हआ हसने लगा और थोड़ा और आगें हुआ। शीतल अब इससे आगे नहीं हो सकती थी। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था
थोड़ी देर में सब सोने चले गये, लेकिन शीतल की आँखों में नींद नहीं थी। वो समझ नहीं पा रही थी की क्या ? वो अपनी चचियों पे वसीम का सख्त हाथ महसस कर रही थी और चाह रही थी की क्सीम अच्छे से आकर उसकी चूचियां मसल डाले। लेकिन वसीम ता इतना शरीफ है की देखता तक नहीं, लेकिन इतना प्यासा है की पैटी पे अपना वीर्य बर्बाद कर रहा है। उसे गुस्सा आ रहा था की जब अंदर से इतने बेचैन हो तो कुछ करो। इतना हिंट दे रही हैं, इतनी तरह से कोशिश कर रही हैं फिर भी कोई असर होता ही नहीं जनाब में। अब क्या करण? सीधा-सीधा जाकर बोल दूं की चाद लो मुझे। ये वीर्य मेरी पेंटी में नहीं मेरी चूत में डालो। लगता है यही सुनकर मानेंगे वसीम चाचा।
शीतल वसीम के खयालों में खोई थी तभी विकास उसकी तरफ करवट बदला और उसकी चूची में हाथ रखता हआ बोला- "ब्रा क्यों खोल दी?"
शीतल थोड़ा घबरा गई लेकिन तुरंत बाली- "बहुत गमी लग रही थी और पेट भी टाइट लग रहा था ता खोल दी। तब थोड़ा रिलैक्स हुई..."
विकास उसकी चूचियों को बाहर निकालकर मसलने लगा तो शीतल विकास का हाथ हटा दी और उसे मना कर दी की तबीयत ठीक नहीं लग रही। शीतल चाहती थी की अभी बसीम आकर उसकी चूचियों को मसलता तो ज्यादा मजा आता।
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विकास करवट बदलकर सोने की आक्टिंग करने लगा। उसे लगा की उसके सोने के बाद शायद शीतल और वसीम चदाई करें। वसीम को नींद नहीं आ रही थी और वो शीतल की चदाई के सपने देख रहा था।
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