RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम फिर से बैंड पे शीतल के बगल में बैठ गया और बोतल को शीतल के पेट में ऊपर से नीचे रोल करने लगा। वसीम पूरा ख्याल रख रहा था की वो शीतल को कहीं से टच ना करें। थोड़ी देर में शीतल का दर्द थोड़ा कम हो गया।
विकास देख रहा था और अब उसका ध्यान गया की वसीम उसकी नजरों के सामने उसकी बीवी के पेंट को सहला रहा है। जब वसीम ने एक बार शीतल के पेट को दबाकर देखा की अब कैसा है यो अचानक विकास के लण्ड में हरकत हुई। उसका ककोल्ड मन जाग गया था।
विकास सोचने लगा। विकास की आँखों में जो दृश्य चल रहे थे उसमें शीतल जंगी हो चुकी थी और वसीम उसकी चूचियां चूस रहा था। शीतल का पेट दर्द कम हो गया लेकिन वो अब भी कुछ ऐसा ही चाह रही थी की वसीम उसके पेट को सहलाता रहे और चूचियों को मसले। लेकिन वसीम अपनी जगह से उठ गया और रूम से बाहर
आ गया। वसीम बिल्कुल शातिर खिलाड़ी की तरह अपनी चाल में मस्त था।
सब सोने चले गये। शीतल की एक तरह से जीत हुई थी। जैसा उसने सोचा था दोपहर में, उसने उसी तरह रंडियों की तरह की हरकत की थी क्सीम के सामने। उसने पहले ब्रा के ऊपर से फिर बिना ब्रा के टाप के ऊपर में और फिर अपनी नंगी चूचियों को वसीम से मसलबा लिया था और पेंट तो बहुत देर तक सहलाया था वसीम ने। शीतल सोच रही थी की अब वसीम चाचा को रिलैक्स लग रहा होगा। अब तो मैंने अपनी तरफ से इतना न्योता दे दिया है। शायद अब वो मेरे से बात करें, मुझे देखें। अब शर्माना घबराना बंद कीजिए वसीम चाचा, अब आपको मेरी पैंटी खराब करने की जरूरत नहीं है।
वसीम बैंड पे लेटते ही अपने लण्ड को फ्री किया और सहलाने लगा। उसकी हथेली में शीतल की नंगी चूचियों की एअन अब भी थी। उसकी आँखों के सामने शीतल की नंगी चूचियां चमक रही थीं। उफफ्फ.. आग भर गई है रांड की चूत में। अब ये पूरी तरह तैयार है और अब इसे छोड़ना होगा, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो की देर हो जाए। बस एक-दो दिन और फिर उसके बाद तो त मेंरी पालत कृतिया बनकर मेरे इशारों में नाचेंगी। वसीम अपने लण्ड को सहलाता हवा सो गया।
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