RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम बैंड पे लेटते ही अपने लण्ड को फ्री किया और सहलाने लगा। उसकी हथेली में शीतल की नंगी चूचियों की एअन अब भी थी। उसकी आँखों के सामने शीतल की नंगी चूचियां चमक रही थीं। उफफ्फ.. आग भर गई है रांड की चूत में। अब ये पूरी तरह तैयार है और अब इसे छोड़ना होगा, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो की देर हो जाए। बस एक-दो दिन और फिर उसके बाद तो त मेंरी पालत कृतिया बनकर मेरे इशारों में नाचेंगी। वसीम अपने लण्ड को सहलाता हवा सो गया।
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शीतल रोज की तरह सवेरे जाग कर घर में झाइ की और फ्रेश होकर नहाने चली गई। विकास भी रोज की तरह सो रहा था लेकिन शीतल की आहट सुनकर वसीम की आँखों से नींद उड़ चुकी थी। वसीम सोने की आक्टिंग करता हुआ शीतल पे ही नजर रखे हुए था।
थोड़ी देर में वसीम उठा ता उसे लग गया की शीतल बाथरूम में है और विकास सो रहा है। उसके लिए मौका अच्छा था। वसीम एप कर शीतल के बाथरूम में झोंक कर देखने लगा। अंदर उसकी होने वाली रांड़ पूरी नंगी थी। उसका गोरा जिश्म पानी में भीग कर चमक रहा था। सुडौल चूचियां जवानी के नशे में टाइट थी, जिसे कल वसीम ने मसला था, भले एक ही बार मसला हो। मौका ता भरपूर था उसके पास लेकिन तब सही चाल नहीं होती बो। चूची के नीचें चिकना सपाट पेंट चूत तक जिस रात में वसीम अच्छे से सहला चुका था, लेकिन मजा तब आता जब वो अपने हिसाब से पेट को सहलाते हुए चमता भी और चूची चूत भी मसलता। चूत पूरी चिकनी थी, एक भी बाल नहीं। वसीम के लण्ड के लिए सीधा चिकना रास्ता, चिकनी जांचें। शीतल शाका के नीचे थी और पानी उसके जिश्म को भिगाता हुआ नीचे उतर रहा था।
वसीम ने एक नजर विकास पे डाला, तो वो सो रहा था। वसीम ने अपने लण्ड को बाहर निकाला और सहलाने लगा। आज पहली बार उसने शीतल के नंगे जिएम को देखा था। वसीम कई बार शीतल के नाम की वीर्य गिरा चुका था। लेकिन आज वो जंगी उसके सामने थी। वसीम मूठ मारने लगा। अंदर शीतल का नहाना हो चुका था और वसीम का वीर्य गिरने वाला था। वसीम ने बाथरूम के दरवाजा में ही डार मैट्रेस के बाद नीचे टाइल्स में अपना वीर्य गिरा दिया। वीर्य बर्बाद नहीं होना चाहिए। शीतल को पता चलना चाहिए की यहाँ पे वसीम खान ने उसे नहाता देखकर फिर से अपना वीर्य गिराया है। वसीम अपने रूम में चला गया जिसमें वो रात में सोया था
और कुपकर देखने लगा।
थोड़ी देर में बाथरगम का दरवाजा खुला और शीतल नजर आई। शीतल किसी अप्सरा की तरह नजर आ रही थी। कमर के नीचे बैंधी कीम कलर की साड़ी, स्लीवलेश ब्लाउज़ और उसके बीच में सिंगल लाइन में आँचल, जिससे शीतल का एक उभर झाँक रहा था। गीले बाल इस हश्न को और बढ़ा रहे थे।
शीतल बाथरूम से निकलकर मट्रेस में पैर पॉछी और जैसे ही कदम बढ़ाई की उसका पैर वसीम के वीर्य में पड़ा। चिपचिप करते ही वो नीचे देखी तो उसे कोई चमकदार सफेद लिक्विड जमीन पे गिरा हुआ दिखा। उसकी धड़कन तेज हो गई। वो अच्छे से देखने लगी और फिर कन्फर्म होने के लिए बा बैठकर देखने लगी। उफफ्फ... तो क्या वसीम चाचा मुझे नहाता देख रहे थे? ये सोचकर शीतल शर्मा गई की वसीम ने उसे नंगी नहाता हुआ देख लिया हैं। उसे लगा की कल रात उन्होंने खुद को तो रोक लिया, इसलिए उनकी प्यास अब और बढ़ गई होगी। वो मेरे पेट को सहला तो रहे थे लेकिन मजा नहीं लिया, क्योंकी उन्होंने अपनी फीलिंग्स को दबा रखा है। कोई बात नहीं वसीम चाचा, मैं भी देखती है की आप और कितना दबाते हैं खुद को।
कल रात तो आपने मेरी चूचियों में हाथ हटा लिया था, देखती हैं की क्या-क्या हटाएंगे और खुद को कितना तड़पाएंगे? मुझसे दूर रहेंगे और छिपकर बीर्य गिराएंगे, ये कौन सी बात हई? अगर अभी भी आपका डर शर्म मुझसे खतम नहीं हुआ है तो अब होगा। अब मेरा रण्डीपना और बढ़ेगा और तब देखेंगी की आप खुद को कितना रोकते हैं, और कैसे रोकते हैं? लेकिन एक बात तो तय है की आप बहुत महान इंसान हैं। इतने में तो कोई भी मर्द अब तक बिक गया होता मेरे ऊपर। इसलिए अब मुझे भी जिद होती जा रही है आपको खोलने की।
शीतल उंगली से वीर्य को उठाई और उठाते हुए मुँह में चाटने लगी। वो फिर से ऐसा की और जब उसका मन नहीं भरा तो बो जमीन को चाटकर बीर्य चाटने लगी। उसकी चूत गीली होती जा रही थी। वो जब झुक कर बीर्य चाट रही थी तो उसके मंगलसूत्र पे भी वसीम का वीर्य लग गया था। जब सारा वीर्य चाटने के बाद बा खड़ी हुई तो उसका ध्यान मंगलसूत्र में लगे वीर्य में गया, जो ब्लाउज़ के ऊपर भी थोड़ा सा लग गया था। उसके सुहाग की निशानी में किसी और का वीर्य लगा है, ये सोच में उसे अंदर से पूरी तरह गोला कर दिया। वो मंगलसूत्र को साफ नहीं की। उसने सोचा की पटी ब्रा तो बहुत बार वीर्य में भरी थी, आज मंगलसूत्र को भी वीर्य लगा ही रहने देती हैं।
वसीम शीतल को अपने रूम में देख रहा था और शीतल की हालत देखकर उसे खुद में गर्व हआ की अब शीतल मन से उसकी रांड़ बन चुकी है, और अब बस उसके तन पे कब्जा करना बाकी है। वसीम ने अपने लण्ड का अइजस्ट किया और बेड में लेट गया।
शीतल रूम में आकर चेहरे में क्रीम लगाई और फिर आँखों में काजल और होठों में लिप-उलास। ये उसका रोज का नियम था। उसने सिर की डिब्बी को हाथ में लिया और अपनी माँग में भरने जा रही थी की उसे कुछ ख्याल आया। वो अपने मंगलसूत्र पे लगी वीर्य को उंगली में लगाई और अपनी मौंग में भर ली। आह्ह... पता नहीं क्या हुआ लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने पूरे मंगलसूत्र के वीर्य को अपनी माँग में भर लिया और फिर सिंदूर लगा ली। सिदर शीतल की मांग में लगे वीर्य से चिपक गया। शीतल माथे में लाल कुमकुम लगा ली।
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