RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम ने एक पल के लिए शीतल के होठों को छोड़ा और फिर से चूसने लगा। वो शीतल की जीभ को चूस रहा था। ये सब नया अनुभव था शीतल के लिए और उसका जिम पिघलता जा रहा था।
वसीम ने शीतल के होठों को छोड़ा और गाल गर्दन पे किस करता हुआ बोला- "हाँ शीतल... मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ, तुम्हें छूना चाहता हूँ, चूमना चाहता हूँ, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, मसलना चाहता हूँ, चाहता हूँ की वैसे चोदूं जैसे एक बडी को चोदा जाता है लेकिन कोई गलत नहीं करना चाहता.."
शीतल भरपर साथ दे रही थी वसीम का। उसने अपनी साड़ी की गाँठ को खोल दिया तो साड़ी नीचे गिर पड़ी। शीतल ने पेंटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और वा भी शीतल के कदमों में जा गिरी। 23 साल की शीतल अब पैटी और ब्लाउज़ में थी और 50 साल का वसीम सिर्फ गजी में।
शीतल- "तो देखिए ना, चूमिए, चूसिए, मसलिए, चोदिए मुझे। रंडी की तरह चोदना चाहते हैं तो रडी की तरह चोदिए। मैं आपके लिए रंडी बनने को भी तैयार हैं। आपसे बात करने के लिए और आपको दिखाने के लिए रंडी बनी ही तो घूमती हैं आजकल आपके आगे-पीछ... कहकर शीतल अपने ब्लाउज़ का हक खोलने लगी।
शीतल खुद से अपने कपड़े इसलिए उतार रही थी की वसीम को शमिंदगी का सामना ना करना पड़े। वसीम को ये ना लगे की उसने गलत किया है। शीतल बल्लाउज़ का हक खोल दी और अब उसकी बा चूचियों को कैद किए दिख रही थी। शीतल वसीम के लण्ड को हाथ में लेना चाहती थी लॉकन वो ऐसा कर नहीं पाई। उसे शर्म आ रही थी।
वसीम फिर से शीतल के होंठ चूम रहा था और शीतल के ब्लाउज़ और ब्रा को ऊपर उठा दिया और बाहर आ चुकी नंगी चूचियों को मसलने लगा। दोनों को करेंट जैसा लगा। वसीम कस के चूचियों को मसलने लगा।
शीतल आहह ... करती हुई वसीम के लण्ड को पकड़ ली- "उफफ्फ.. देखने में जितना बड़ा लगता है ये तो उससे बहुत बड़ा है। ये चूत में जा पाएगा क्या?"
वसीम ने शीतल को खड़े-खड़े ही गोद में उठा लिया और बैंड में गिरा दिया। शीतल बैंड पै सीधी लेट गई और वसीम ने भी अपनी गंजी को उतार दिया और शीतल के ऊपर लेट गया। वो शीतल की चूची चूसता हआ उसके गारे चिकने बदन को सहला रहा था। उसने शीतल के ब्रा के हक को खोल दिया और बाउज़ ब्रा को उतार दिया। शीतल अब ऊपर से नंगी थी। वसीम शीतल के पेट जाँघ को सहला रहा था और चूचियों को चस और मसल रहा था। वसीम ने शीतल की पैंटी को भी नीचे खींच लिया तो शीतल ने कमर उठाकर वसीम की हेल्प कर दी। शीतल की पैटी भी उतर गई और उसे भी वसीम ने नीचे फेंक दिया। शीतल और वसीम पूरी तरह नंगे थे और वसीम पीतल के दोनों पैरों के बीच ने बैठकर उसकी चिकनी रसीली चूत को चाट रहा था। वसीम दोनों हाथों से शीतल की चूत को फैला रहा था और जीभ को ऐद के अंदर डालकर चूस रहा था।
वसीम- "आहह.. मेरी रानी, क्या रसीली चूत है तेरी, क्या खुश्बू है, आह्ह... मजा आ जाएगा इसे चादकर मेरी चंडी."
शीतल को बहुत मजा आ रहा था। ये सब पहली बार हो रहा था उसके साथ। वो अपनी कमर उठाकर वसीम का चेहरा अपनी चूत में दबा रही थी। वसीम की उंगली चूत के अंदर थी और उसने अपनी उंगली में गरम पानी की धार को महसूस किया। रंडी शीतल झड़ चुकी थी। शीतल हौंफ रही थी।
अब शीतल की बारी थी। वो उठी और वसीम को बेड पे लिटा दी और उसकी छाती का चूमती हुई पेट और जाँघ को सहलाने लगी। फिर शीतल ने वसीम के लण्ड को फिर से हाथ में ले लिया। अब वो लण्ड को देख भी रही थी और महला भी रही थी। वसीम के लण्ड के आगे विकास का लण्ड सच में बच्चा था। शीतल लण्ड में हाथ आगे पीछे कर रही थी और कटें हुए स्किन को और चमकते हुए सुपाड़े को देख रही थी।
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