RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
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वसीम शांत सा लेटा हुआ था। उसकी चाल का अगला कदम आ गया था। लेकिन वो लालच में रुका हुआ था की शीतल उसके लण्ड को मुँह में लेगी।
शीतल ने सुपाड़े पे किस की तो उसे वही खाब आई, जिसकी वो दीवानी थी। शीतल उस खुश्ब को असरे से सूंघते हुए सुपाड़े पे जीभ लगाई और चाटी। शीतल को अपना मुँह बड़ा सा खोलना पड़ा और वो वसीम के मसल लण्ड के सुपाई को मुँह में लेकर चूसने लगी।
जितना मजा शीतल का आ रहा था, उससे ज्यादा मजा वसीम का आ रहा था। लेकिन अब वक्त आ गया था
शीतल को रोकने का। वसीम ने शीतल को खुद से अलग किया और खड़ा हो गया।
शीतल चकित सी उसे देखती रही की उससे कुछ गलती हो गई क्या?
वसीम ने अपनी लुंगी को लपेट लिया और गंजी पहनता हुआ शीतल को बोला- "शीतल तुम जाओ यहाँ से। ये गलत है और में ये नहीं कर सकता। अपने कपड़े पहनो और चली जाओं यहाँ से, प्लीज..."
शीतल अभी भी चकित ही थी- "क्या हआ वसीम चाचा। मुझसे कुछ गलती हो गई बया? पहली बार लण्ड चूस रही हैं, इसलिए ठीक से चूसना नहीं आया होगा। अब मैं ठीक में करेंगी। आइए वसीम दूसरी तरफ मुँह करके खड़ा था जैसे वो शीतल के नंगे बदन को देखना नहीं चाहता हो। उसकी तरफ बिना देखें हर वसीम बोला- "नहीं शीतल, तुम अच्छे से चूस रही थी। कोई गलती नहीं की तुमनें। लेकिन मैं गलत कर सकता। जितना मैंने किया उसके लिए मुझे माफ कर देना। तुम किसी और की अमानत हो। बीवी हो किसी और की। मैं दूसरे की बीवी के साथ छिपकर ऐसा नहीं कर सकता। ये बहुत बड़ा गुनाह है। तुम जाओ यहाँ से..."
शीतल चिड़चिड़ा गई की उसके जैसी खूबसूरत औरत उसके सामने खुद को पेश कर रही है और ये पागल इंसान मना कर रहा है। शीतल का नंगा जिस्म पूरी तरह गरम था और वो अपनी चूत में वसीम का लण्ड लेने का इंतेजार कर रही थी और ये पागल वसीम फिर से पुराने राग को गाने लगा था।
शीतल बैंड से उठकर वसीम की तरफ आगे बढ़ने लगी। लेकिन क्सीम ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया। वो शीतल की तरफ देख भी नहीं रहा था।
शीतल खड़ी हो गई और उसे समझने के अंदाज में बोली- "आप कुछ गलत नहीं कर रहे वसीम चाचा। मैं खुद आपके पास आई, आपके बदन में सटी, खुद अपने कपड़े उतारी। आपने कोई गलत काम नहीं किया। मैं किसी और की बीवी हैं तो क्या हआ, आपके लिए बस एक रंडी हैं। आप किसी और के बीबी को नहीं, एक रंडी के जिश्म को चूम रहे थे, आप बिकास की बीवी शीतल शर्मा को नहीं, अपनी शीतल रंडी को चाँदिए। इसमें कुछ गलत नहीं है। आपकी कोई गलती नहीं है."
शीतल का जवाब तो लाजवाब था लेकिन अभी वसीम शीतल को चोदने वाला नहीं था। अगर उसने अभी शीतल को चोद लिया तो इसका मतलब उसे छुप-छुपकर शीतल के जिश्म के मजे लेने होंगे। लेकिन वो तो शीतल को अपनी पालतू कुतिया बनाना चाहता था। और इसके लिए शीतल का प्यासी रहना ज़रूरी था।
वसीम बिना शीतल की तरफ देखें ही बोला- "तुम कुछ भी बोलो, लेकिन हम दोनों जानते हैं की ये गुनाह है। तुम अपने पति से छिपकर मेरे से चुदवाओगी तो वो भी गुनाह है। मैं तुम्हारे पति से छिपकर तुम्हें चोद्गा ये गुनाह है। इसलिए मुझे मेरे हाल में छोड़ दो और जाओ। अपने कपड़े पहन लो और मुझे माफ कर दो जो मैंने किया तुम्हारे साथ। ये मेरी गलती थी की मैंने तुम्हारी पटी बा को हाथ में लिया और तुम्हें सोच करके उसमे बीर्य गिराया। ये सच है की इस तरह मैं खुद को हल्का महसूस करता था, लेकिन ये मेरी गलती थी जो आगे से नहीं होगी। प्लीज तुम जाओ..."
शीतल फिर बोली- "एक जवान औरत को नंगी करके प्यासी छोड़ देना भी गुनाह है। अब आपको मुझे चोदना ही होगा..."
वसीम ने कहा- "मुझसे गलती हुई, मुझे माफ कर दो, लेकिन अब मुझसे और गुनाह मत करवाओ.."
शीतल समझ रही थी की वसीम की नजर में ये गलत है, पाप है। उसने खुद पे काबू पा लिया है। अब वो और तड़पेगा। इतना कुछ कर लेने के बाद वो बिना चोदे मुझे यहाँ से भेज तो देगा, लेकिन फिर पागल हो जाएगा। शीतल फिर कुछ बोलने जा रही थी लेकिन वसीम ने उसे मना कर दिया। शीतल जैसी सुंदरी पा समर्पण के
साथ नंगी खड़ी थी, लेकिन वसीम उसे मना कर रहा था। ये बीम की महानता थी शीतल की नजरों में। लेकिन वसीम के लिए ये एक चाल थी। बड़े फायदे के लिए छोटे नुकसान टाइप का।
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