RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
विकास- "पूछो..."
शीतल- "जो जो पलंगी उसका जवाब देना। सवाल मत करना प्लीज..."
विकास- "पूछो..."
शीतल- "कितना प्यार करते हो मुझसै?"
विकास- "ये कैसा सवाल हुआ जान? बहुत, बेतहा.."
शीतल- "अगर मैं तुमसे दूर हो जाऊँ तो.."
विकास- "ये कैसी बात कर रही है पागल। मैं तुम्हें दूर होने ही नहीं दूंगा.."
शीतल- "अगर मुझे कुछ हो गया तो तुम क्या करोगे?"
विकास- "क्या पागलों जैसी बातें कर रही हो, हुआ क्या है तुम्हें?"
शीतल- "जो पूछी वो बताओ ना, पलीज..."
विकास- "मैं पागल हो जाऊँगा, मर जाऊँगा। मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता जान."
शीतल- "अगर तुम्हें मुझसे दूर होकर रहना पड़े तो कैसे रहोगे?"
विकास- "ये क्या हुआ है तुम्हें?"
शीतल विकास से चिपक गई- "प्लीज जवाब दो ना..."
औरत का नंगा जिस्म मर्द पै असर करता है। भले ही शीतल विकास की बीवी थी। लेकिन उसके विकास से चिपकते ही विकास इमोशनल हो गया था शीतल के लिए। सिर्फ वसीम पे असर नहीं पड़ा था शीतल के नंगे जिस्म का।
विकास- "पागलों की तरह रहूँगा। दुनिया से बेखबर।
शीतल- "और ऐसे में बहुत साल बीत जाने के बाद किसी तरह तुम खुद को सम्हाल चुके होते हो, और काई मेरे में भी खूबसूरत लड़की अपने पति के साथ तुम्हारे आस-पास आती है, उसे देखकर तुम्हें मेरी याद दिलाती है, तो क्या करोगे?"
विकास को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
शीतल फिर से पूछी- "बोलो ना क्या करोगे?"
विकास- "कुछ नहीं करेगा। करेगा क्या, उनसे दूर रहने की कोशिश करूँगा..."
शीतल- "अगर दूर नहीं रह पाए। वो आस-पास ही रही तो। क्या उस लड़की से मेल मिलाप बढ़ाओगे?"
विकास- "कभी नहीं। मैं उनकी दुनियां क्यों बर्बाद करूगा? अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करूगा की उनसे दूर रह, और अगर नहीं रह पाया तो खुद को मिटा लेंगा..."
शीतल की आँखों में संतोष के भाव आ गये। वो फिर से विकास के गाल पे हाथ रखी और बोली- "यही चीज वसीम चाचा कर रहे हैं। वो पहले से ही अकेलेपन की वजह से अंदर ही अंदर घुट रहे थे, हमारे आने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। वो खुद को रोकने की कोशिश में खुद को मिटा रहे हैं...
विकास अच्छे से बैठ गया- "मतलब?"
शीतल भी बैठती हुई बोली- "वो बहुत समय में अकेले हैं। अब इतनं सालों के बाद में इस घर में आती हैं। इस शांत घर में रौनक छा जाती है। मेरी हँसी मेरी आवाज सब उन्हें पुराने दिनों में ले जाते हैं। मुझे में सब कुछ पता नहीं, मैं हमेशा जैसे रही वैसे ही रही। इन सब बातों से अंजान की मेरे माइर्न कपड़े, मेरी खिलखिलाहट किसी की जान ले सकते हैं। दिन-ब-दिन उनके लिए खुद को सम्हालना मुश्किल होता जाता है.'
विकास बड़े ध्यान से शीतल की बात सुन रहा था। वो सोचने लगा की "ता तुम चुदवा ली उससे। ये तो मैं जानता ही था। तेरी चूत की खुजली दिख रही थी मुझे। अरें डी, मर्द तो लण्ड हाथ में लेकर तैपार ही रहते हैं, जहाँ मस्त चूत मिले चोदने के लिए तैयार। अब मुझे क्यों बता रही है?" और विकास का लण्ड टाइट हो रहा था ये सब सोचकर। वो ऐसे बैठा की उसका लण्ड शीतल को ना दिखें।
विकास ने पूछा- "फिर? आगे बता अब की तू कैसे उसके लण्ड को अपनी चूत में ली?"
शीतल बोलना स्टार्ट को- "उन्होंने भी हमसे तो कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था अब। मुझे देखकर उनके मन के अरमान जाग गये थे, लेकिन वो नहीं चाहते की उनकी वजह से हमें कोई परेशानी हो। फिर ये बात मुझे पता चली तो मैंने कोशिश की की उनसे बातें करी, शायद उन्हें ठीक लगे, थोड़ी राहत मिले। लेकिन वो इंसान इतना महान है की मेरी लाख कोशिशों के बावजद मेरी और देखता तक नहीं। तुमने शायद नोटिस भी किया होगा की मैं हाट कपड़े पहनी तो भी, अकेले में उनके सामने गई तो भी, वो देखते भी नहीं मेरी और तो बातें क्या करेंगे? मुझे लगा भी की मैं ऐसे कपड़े पहन रही हैं या उनसे जबरदस्ती बात करने की कोशिश कर रही हैं तो कहीं वही या तुम ही मुझे गलत ना समझ लो। फिर भी मैं ऐसा की की जो भी होगा देखा जाएगा, लेकिन उनकी मदद तो हो जाएगी। लेकिन उन्हें लगता है की वो मेरे जितने करीब आएंगें उनके लिए खुद को रोकना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए वो मुझसे और दूर रहते हैं। लेकिन मैं उनकी तड़प को देख सकती हैं, महसूस कर सकती हैं..."
विकास को शीतल की बात सुनकर बद पे बुरा लगा की वो अपनी बीवी के बारे में क्या-क्या सोचने लगा था।
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