RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल फिर बोलना स्टार्ट की- "वसीम चाचा सच में बहुत महान हैं। कहीं तुम भी मुझे गलत मत समझ लो, लेकिन जब में उनसे पूछी की आप मुझसे बात क्यों नहीं करते, करते तो शायद आपको राहत मिलती."
वसीम चाचा बोले- "तुमसे दूर रहता हूँ तब तो इतना मुश्किल है जीना, अगर बातें करी या देखू तो शायद खुद को रोक ना पाऊँ और तुम्हें पकड़ ही लें...
मैं बोली भी की. "ता पकड़ लेते..."
वसीम चाचा बोले- "मैं किसी के साथ गलत नहीं कर सकता.."
विकास सोचने लगा की शीतल सही कह रही है। ये तो मैंने खुद देखा है की शीतल की कोशिशों के बाद भी वसीम चाचा उसकी तरफ देखते भी नहीं थे। मेरी बीवी होने के बावजद मेरी आँखें फटी रह जाती थी, लेकिन वो नहीं देखते थे। मैं भी कितना पागल हैं जो क्या-क्या सोचने लगा था। ओहह... शीतल तुम कितनी अच्छी हो।
आई लोव यू। खामखा मैं तुमपे शक कर रहा था और बुरा सोच रहा था। तुम तो किसी की मदद कर रही थी?
फिर विकास ने शीतल से पूछा- "तो अब... अब क्या चाहती हो तुम?"
शीतल- "मैं उनकी मदद करना चाहती हैं। ये सब मेरी वजह से हुआ है। या ता कहीं और घर ले लो, जिससे हम उनसे दूर हो जाएं तो फिर उन्हें ठीक लगेगा या जैसा भी लगेगा मेरे सामने तो नहीं होगा। और नहीं तो फिर कुछ ऐसा करो की हम उनकी मदद कर पाएं। मैं किसी भी तरह उनकी मदद करना चाहती हैं। मैं नहीं चाहती
की कोई मेरी वजह से तड़पता रहे.." कहकर शीतल विकास की गोद में जा गिरी और उसके कंधे पे सिर रख दी।
विकास शीतल को सहलाता हुआ बोला- "इतनी जल्दी घर टूटना आसान नहीं है। और वैसे भी अगर तुमनें उनकी साई तमन्नाओं को जगाया है तो तुम्हारे दूर जाने से भी वा कम नहीं होगा। हाँ ये अलग बात है की तुम्हारी नजरों के सामने नहीं होगा। अब ये बताओं की किस तरह उनकी मदद करना चाहती हो?"
शीतल- "किसी भी तरह। मैं नहीं चाहती की मेरी वजह से कोई इंसान तड़प..."
क्या लगता है की तमसे बात कर लेने से उनकी घटन कम हो जाएगी? जान तमने उनकी बीवी की यादों को जगाया है। सही कहा है उन्होंने, बात करने के बाद उनके अरमान और जागेंगे। उनके लिए खुद को गोकना और मुश्किल हो जाएगा.."
शीतल- "तो में कुछ भी करूंगी लेकिन उन्हें घुट-घुटकर जीने नहीं दूँगी.."
विकास ने शीतल के सिर को कंधे से उठाया और उसकी आँखों में झाँकता हुआ बोला- "तो फिर एक ही उपाय है। तुम्हें अपना जिश्म उसे सौपना होगा। वसीम चाचा के साथ सेक्स करना होगा.." और बोलते-बोलते विकास का लण्ड टाइट हो गया।
शीतल कुछ नहीं बोली। मन ही मन वो सोची- "बाकी सारे उपाय करके मैं देख चुकी हैं और यही आखिरी उपाय है की मैं वसीम चाचा से चुदवाऊँ। वो मेरे जिस्म को चंडी की तरह रौंद डाले, मसल डालें, मैं तैयार हैं इसके लिए। लेकिन उस देवता समान महान इंसान को तुम्हारी मंजूरी चाहिए। अगर हर इंसान उनकी तरह खुद पे काबू पाना सिख जाए तो ये नियां स्वर्ग बन जाए?"
विकास फिर बोला "बोलो, यही एकलौता उपाय है की तुम उससे उसकी मर्जी के हिसाब से चुदवा लो। तभी वो राहत महसूस कर पाएगा..."
शीतल थोड़ी देर चुप रही फिर बोली- "मैं क्या करेंग। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा। अगर उन्हें कुछ हो गया या कुछ कर लिया तो ये पूरी तरह से मेरा गुनाह होगा.."
विकास भी थोड़ी देर चुप रहा। उसका लण्ड टाइट होने लगा। वो एक लम्बी सांस लिया और बोला- "अगर तुम उसे अपना जिस्म सौंपने के लिए तैयार हो तो मैं तुम्हारे साथ हैं। मुझे अपनी बीबी पे भरोसा है। अगर तुम्हारे चुदवा लेने से वसीम चाचा जैसा महान इंसान अपनी जिंदगी फिर से जी सकता है, तो मुझे कोई एतराज नहीं। मुझे खुशी है की तुम अपना तन देकर भी किसी की मदद करना चाह रही हो। तुम मेरी पमिशन से ये कर रही हो ता में हर कदम पें तुम्हारे साथ हूँ.."
शीतल खुश होती हई विकास के माथे को चूम ली- "क्या सच? मुझे पता था आप मेरा यकीन करेंगे। आप समझेंगे मुझे। ये बहुत बड़ी बात है विकास। आप भी बहुत महान हैं..."
विकास ने भी शीतल के माथे पे किस किया, और बोला- "महान मैं नहीं तुम हो। तुम अगर मुझे बिना बताए वसीम चाचा से चुदवा लेती तो मुझे तो पता भी नहीं चलता कुछ। लेकिन तुमने मुझसे सलाह ली, में पमिशन ली ये बड़ी बात है..."
शीतल बोली- "मैं तो ये सोच रही थी की अगर मैं किसी इंसान को एक बार खुद को दे दं, और इससे उसकी जिंदगी बदल जाए तो मुझे में करना चाहिए। अगर मैं अपना जिशम देकर उनकी खोई खुशियां वापस ला पाऊँ तो मुझे खुशी होगी.."
विकास साचने लगा की- "अगर ये बिना मुझे बताए वसीम से चुदवा लेती ता में क्या करता? मैं तो सोच भी
चुका था की दोनों खूब चुद रहे होंगे। तो अब मेरी 23 साल की जवान खूबसूरत हिंदू बीवी 50 साल के बूढ़े मोटे काले से चुदगी.."
शीतल बेड से उत्तरकर बाथरूम जा चुकी थी और विकास अपने टाइट लण्ड को सहलाने लगा था। अब भला विकास को कौन समझाए की शीतल गई तो भी बिना उसके पमिशन के ही चुदबाने। और चुद भी गई होती अगर वसीम ने बड़े शिकार के लिए छोटी कुर्बानी ना दी होती तो।
शीतल बाथरूम में सोचने लगी की- "अब कहाँ बचकर जाओगे वसीम चाचा। अब तो आपको मुझे चोदना ही होगा। बहुत वीर्य बहाया है आपने मेरी पैंटी ब्रा पे, अब तो मेरी चूत में बहाना ही होगा?"
शीतल बाथरूम से आई और नंगी ही सोने लगी। उसकी चूत में चीटियां चल रही थी। विकास ने उसे चोदकर उसकी प्यास को और बढ़ा दिया था। लेकिन विकास में चुदवाना उसकी मजबूरी थी, नहीं तो विकास से वो वसीम से चुदवाने की पर्मिशन नहीं ले पाती। अपने पति को इस बात के लिए मनाना की में किसी और मर्द से चुदवाना चाहती हैं, मामूली काम नहीं था। लेकिन में वसीम के वीर्य का जादू ही था जो शीतल इस काम को भी कर ली। अब शीतल अपने पति की पमिशन लेकर वसीम से चुदवाने बाली थी।
शीतल सोच रही थी- अब तो वसीम चाचा मना नहीं कर पाएंगे। हाय मेरा तो मन कर रहा है की मैं अभी ही इसी तरह उनके रूम में चली जाऊँ। वो तो मुझे नंगी देखते ही बिफर पड़ेंगे और जाने को कहेंगे। फिर मैं हँसती हुई विकास को आवाज दूँगी और विकास कहेगा की वसीम चाचा आप मेरी बीवी को चोदिए। अब ये मेरी बीवी नहीं आपकी रंडी है। फिर मैं वसीम चाचा से लिपट जाऊँगी और तब तो वो मुझे चोदेंगे ही। उफफ्फ... अब उनका बड़ा सा लण्ड मेरी चूत में जाएगा। आह्ह... वसीम चाचा, फाड़ डालना मेरी चूत को अपने मसल लण्ड में। रौद्ध डालना मुझे, कोई रहम मत करना आपनी रंडी पे। जो जो करना हो सब करना। कोई अरमान बाकी मत रखना... शीतल सोचती जा रही थी और उसकी चूत गीली हो गई थी।
शीतल फिर से बाथरूम गई और अच्छे से बैठकर चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगी। उसका जिश्म जल रहा था। शीतल अपनी चूत से पानी निकाल ली। वो थोड़ी देर वहीं बैठी रही। फिर साम नार्मल हाने पे बेड पे आई।
लेटे-लेटे वो सोचने लगी की. "यं क्या हो गया है मुझे? क्या मैं वसीम चाचा से चुदवाने के लिए परेशान हैं। मैं तो उनकी पोशानी देखकर उनकी मदद करना चाहती थी। लेकिन ये क्या हो गया है मुझे जो में चुदबाने के लिए परेशान हो रही हैं। क्या सच में मैं रंडी बन गई हैं। हो, तभी तो में ऐसे कर रही हैं। किसी की मदद के लिए कोई रूपया पैसा देता है, या और कुछ करता है, लेकिन रंडी बनकर चुदवाने नहीं लगता।
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