RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल वसीम के बारे में सोचना ही नहीं चाह रही थी। वो साची की जितना साचेंगी उतना परेशान होऊँगी। वा अपने कम में बिजी रही। आज सनडे था तो वसीम भी घर में ही था।
शीतल अपने कपड़ों को सूखने देने भी छत में नहीं जा रही थी। फिर काफी हिम्मत करते हए वो छत पे गई की वो भी मुझे नहीं देखते और में भी उन्हें नहीं देंखंगी। वो बाकी कपड़े तो सूखने डाल दी लेकिन अपनी पैटी वा को रूम में ही रखी।
विकास ने भी शीतल से इस टापिक पे चर्चा नहीं की। वो भी बाकी दिन की तरह ही नामल रहा। वो प्रेस तो नहीं कर सकता था शीतल को की वा वसीम से चुदवा ले।
वसीम आज दिन भर घर पे ही था। उसने शीतल को कपड़े रखते हुए देखा था, और ये भी देखा था की आज उसने पैटी ब्रा को सूखने नहीं डाला है। लेकिन वो परेशान नहीं हुआ। बहुत शातिर था वसीम इस मामले में। उसे पता था की मुझे इन लोगों को घर नहीं खाली करने देना है बस। यहाँ रहेंगी शीतल तो उसकी रंडी बनेंगी ही। फिर भी उसके मन में ये ख्याल आया की कहीं वो ज्यादा तो नहीं कर दे रहा कुछ? उसे शीतल को चोद तो लेना ही चाहिए था।
वसीम काफी सोच विचार कर रहा था और सोचते हए ही उसने अपनी गर्दन को झटका दिया- "ना, छप-छपाकर क्या चोदना? शीतल को चोदना है तो मजे से चोदना है। अपने हिसाब से चोदना है। ये नहीं की हड़बड़ी में चोदा और फिर भागना पड़े। क्या होगा, कुछ दिन और इंतजार करना होगा। लेकिन एक बात तो तय है की रांड़ को इस लण्ड के नीचे आना तो होगा ही। अब जब वो इतना कुछ कर चुकी हैं तो आगे भी करेंगी हो?"
वसीम आज इसीलिए दिन भर घर में रहा की उसे शीतल की हलचल पता चल सके, और अगर वो लोग घर चेंज करने की बात करें तो उन्हें रोक सके।
रात को सोने के वक़्त विकास ने शीतल से पूछा "इतनी परेशान क्यों हो? क्या सोच रही हो?"
शीतल- "कुछ नहीं... बोलती हुई दूसरे करवट हो गई।
विकास उसके पास आया और कंधे पे हाथ रखता हुभा प्यार से उसे समझते हुए बोला- "जो फैसला करो, उसमें कायम रहो। उसके बाद सोचने की जरूरत नहीं है। सब कुछ ऊपर वाले के हाथ में छोड़ दो। इतना याद रखो की मैं हमेशा तुम्हारे साथ हैं.." शीतल सीधी लेट गई। वो काफी इमोशनल हो रही थी। क्योंकी उसके मन में ये था की बो वसीम के पास नंगी होकर अपने पति को धोखा दी है।
विकास ने उसके गाल को सहलाया और बोला- "अब मत सोचो ये सब कुछ.."
शीतल विकास की तरफ घूम गई और उससे चिपक गईं। शीतल मन में बोली- "आई लोब यू विकास। मैं तुम्हारी हूँ और हमेशा तुम्हारी ही रहूंगी?"
विकास ने भी उसे खुद से चिपका लिया। दोनों आँखें बंद किए एक दूसरे को बाँहो. में पकड़े सो रहे थे। थोड़ी देर बाद विकास ने शीतल से पूछा- "तुम्हें वसीम चाचा की परेशानी के बारे में कब पता चला?"
शीतल ने आँखें खोली और विकास को देखकर बोली- "पहले बालो की तुम मुझे गलत नहीं समझागे?"
विकास- "तुम्हें लगता है की मैं तुम्हें गलत समझंगा। जब इतनी बड़ी बात में मैं तुम्हारे साथ रहा तो?"
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