RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल- "प्लीज विकास, ऐसे मत कहो। मैं पहले ही कह चुकी है की मुझे गलत मत समझना। मेरा इंटेन्शन सिर्फ उनकी मदद करना था। लेकिन फिर भी मुझे लगा की ये गलत है तो तुम्हारे पमिशन के बाद मैं खुद को रोक ली..."
विकास. "तुम्हें पता है मैंने तुम्हें पर्मिशन क्यों दी थी? क्योंकी तुम वसीम चाचा की मदद करना चाहती थी और सच में बा देकता समान आदमी परेशान हैं। लेकिन अब तो तुमनें उसकी परेशानी और बढ़ा दी..."
शीतल- "कैसे?"
विकास- "तुम्हें देखकर उसके अरमान जागे। उसने खुद को रोकने की बहुत कोशिश की और जब कामयाब नहीं हो पाया तो तुम्हारी पटी बा को हाथ में लेकर और वीर्य गिराकर शांत कर पाया खुद का। फिर तुमने उससे बात करने की ओट खुद को दिखाने की कोशिश की। बेचारे वसीम चाचा की मुश्किल और बढ़ गई होगी। अब तुम उन्हें भी नंगा कर चुकी हो और खुद भी नंगी होकर उनके गले लगकर लिप-किस कर चुकी हो। इतना कुछ होने के बाद अब तुम अचानक ये फैसला करती हो की तुम उनसे दूर रहोगी, और अब तुम अपनी पैटी बा को भी छत पे नहीं डालागी, तो सोचा की अब उस इंसान की मुश्किल कितनी बढ़ गई होगी?"
शीतल कुछ नहीं बोली।
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विकास फिर बोला, "वो तो पहले ही परेशान था। अब तो बो शीतल शर्मा के बस भरे होठों का और रसीली चूचियों का टेस्ट भी कर चुका है। नंगी होकर बाहों में उसके नंगे जिश्म में जा सटी हो तुम। भूखें शेर को खून चटा दिया और फिर सब कुछ बंद। अब तो वो पागल हो रहा होगा.."
शीतल- "अब जो भी हो वो उसकी किश्मत? लेकिन मैं इसके लिए उसे अपना जिश्म नहीं दे सकती। मैं किसी गैर-मर्द से चुदबा नहीं सकती। मैं तुम्हारी बीवी हैं, सिर्फ तुम्हारी। किसी और की कुछ नहीं.."
विकास- "अब ये तुम समझो। में तुम्हारा फैसला है। तुम उसकी मदद करो या ना करो। मुझे तो उसकी तकलीफ के बारे में पता भी नहीं है, और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मैंने बस इतना कहा है की वो अब ज्यादा तकलीफ में होगा..."
शीतल- "मुझे अब ये सब कुछ नहीं सोचना। सोने दो मुझे..' बोलकर शीतल करवट लेकर सोने लगी और विकास भी उसे पकड़कर सो गया।
शीतल सुबह सोकर जागी तो वो विकास की बात सोचने लगी? सही तो कहते हैं विकास। भखें शेर के मुँह में खून लगा दी मैं। लेकिन किसी की मदद के नाम पे किसी और से चुदवाया तो नहीं जा सकता। मैं अभी भी उनकी मदद करना चाहती हैं लेकिन बिना चुदवाए। अगर वसीम चाचा चाहें तो मुझे नंगी देख सकते हैं। वैसे भी वो मुझे नंगी देख ही चुके हैं, यहाँ उपकर बाथरूम में, इसलिए तो वहीं मैं नंगी हो गई थी। वो चाहें तो मैं उनसे खुलकर बात भी कर सकती हैं। अगर वा बालेंगे तो रंडियों टाइप बात भी कर लेंगी। लेकिन उना और चोदना नहीं होगा अब। इससे ज्यादा में आपकी मदद नहीं कर सकती वसीम चाचा?
शीतल नहाकर पूजा करके विकास को जगाई। शीतल गंजी कपड़ा के एक नाइटगाउन में थी। अंदर वो टी-शर्ट बा और पैंटी में थी, तो वा की धारियां नाइटी में नहीं दिख रही थी और उसकी दोनों चूचियां पूरी तरह से दो अलग अलग गोल बाल जैसी दिख रही थीं। विकास चाय पीता हआ शीतल को देख रहा था। उसने शीतल की चूचियों की तरफ इशारा किया और मश्का दिया। शीतल शर्मा गई।
विकास हँसता हुआ बोला- "वसीम चाचा तो क्या, मैं इन गोलाईयों को देख कर खुद को रोक नहीं पा रहा। पता नहीं उनकी बया हालत होगी?"
शीतल भी हँस दी और किचेन में चली गई।
विकास आफिस जा रहा था तो शीतल भी उसे छोड़ने घर के मुख्य दरवाजे तक आई थी। विकास के जाने के बाद वो वापस आ रही थी तभी वसीम नीचे उतर रहा था। शीतल सीधे अपने घर के अंदर आना चाह रही थी, लेकिन पता नहीं क्या हुआ की उसके कदम जैसे ठिठक गये। वो वसीम को देख रही थी लेकिन एक बार देखने के बाद वसीम ने शीतल पे नजर भी नहीं डाला और बाहर चला गया।
11:00 बजे शीतल के पास विकास का काल आया की वो अपने चपरासी मकसूद को भेज रहा है डाइनिंग हाल का फैन लगाने के लिए। मकसद भी लगभग 50 साल का ही था। लेकिन वो आवरेज कद और फिगर का था। वो जब भी शीतल को देखता था तो ऐसे जैसे आँखों में ही शीतल को चोद रहा हो। हालौकी शीतल के लिए ये आम बात थी, लेकिन फिर भी मकसद की नजर उसके जिस्म में चुभती थी। शीतल को बो दिन याद आ गया जब वो यहीं शिफ्ट कर रही थी। वो साड़ी में थी और मकसूद उसे खा जाने वाली नजरों से देख रहा था। शीतल अपने बदन को छिपाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन साड़ी में जिश्म छिपता कहाँ है? एक जगह टकती तो दूसरी जगह दिखने लगता।
शीतल जब वो झकती तो मकसूद अपनी आँखों में उसकी झलती चूचियों को देखने लगता। उसकी फटी आँखें और खला मैंह देखकर ही किसी को भी लग जाता था की ये अपने मन में शीतल को लेकर क्या-क्या सोच रहा होगा? मकसूद दो-तीन बार और आ चुका है घर में और अगर उसका बस चले तो शीतल लो पटक-पटक कर चोदें।
शीतल सोच रही थी को कपड़े बद्दल लेती हूँ की तब तक दरवाजा पे नाक हुआ। शीतल समझ गई की मकसूद हो होगा। उसने डोर-आई से बाहर देखा तो दरवाजे पे 45-50 साल का एक 5.5 इंचुका आवरेज फिगर का इंसान मैंह में पान चबता हआ खड़ा था। शीतल को उसके पान खाने से बहत आलर्जी थी। पता नहीं इसे क्यों भेज देते हैं? जाहिल इसान। अब जितनी देर तक रहेगा अपनी हक्त भरी नजरों से घूरता रहेगा मुझं। शीतल गुस्से में पूछी- "कौन है.."
मममकसूद बोला- "मैडम मैं हूँ, मकसूद, साहब ने भेजा है."
शीतल दरवाजा खोल दी। वही हआ जो शीतल सोच रही थी।
मकसूद उससे कुछ ना कुछ बातें करता रहा और कभी पानी माँगता रहा, तो कभी कोई और सामान। वो नाइटी के अंदर से शीतल की कल्पना करता रहा, और जब भी मौका मिल रहा था उसकी क्लीवेज में झाँक रहा था। दोनों चूचियों को देखकर उसका मन और ललचा रहा था। शीतल आ जा रही थी और वो शीतल की गाण्ड को हिलता-इलता देखता रहा। थोड़ी देर बाद वो फैल लगाकर चला गया।
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