RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल- "आह्ह... वसीम चाचा, ये नजायज रिस्ता कैसे है? जब मैं खुद आपसे चोदने को कह रही है। विकास को मैं बता चुकी हूँ आपके बारे में और उन्होंने मुझे कह दिया है की मैं आपसे चुदवा सकती हूँ.'
वसीम- "नहीं, मुझे यकीन नहीं हो रहा की वो तुम्हें मुझसे चुदवाने बोल दिया है..."
शीतल वसीम के लण्ड को बाहर कर चुकी थी और हाथ में लेकर सहलाती हां बोली- "मैं सच कह रही हैं। लेकिन आप मुझे चोदना ही नहीं चाहतं और मैं भी सोची की मेरे जिश्म पे मेरे पति का हक है तो वो आपको क्यों दूर लेकिन आप जब भी मुझे चोदना चाहूँ मेरा जिस्म आपका है। मैं आपके लिए हमेशा तैयार हैं..."
वसीम- "तुम झूठ बोल रही हो ना, सिर्फ मेरा दिल रखने के लिए। ताकी मैं तुममें भरोसा करके तुम्हें चोद दूं और तब तुम्हारे हिसाब से मुझे सुकून मिलंगा। लेकिन इस तरह तुम मुझे और तकलीफ दोगी शीतल." कहकर वसीम शीतल को अपनी गोद से उतारते हुए खड़ा हो गया था, और वो थोड़ा गुस्से में भी था।
शीतल- "मैं झठ क्यों बोलेंगी वसीम चाचा? उन्होंने तो मझे उसी दिन सटई को ही बोल दिया था। लेकिन मैं ही फिर बदल गई थी की में अपना जिश्म आपको नहीं दे सकती। अगर मैं उस दिन तैयार र ही आप मुझे चोद चुके होते उनके पमिशन से। विकास बहुत अच्छे हैं, और उन्हें मेरी फीलिंग और मेरे फैसले की कदर है। उसके बाद भी आप मुझे चोद नहीं रहे थे तो मैं सांची की इसी तरह चलने देती हैं। आपको भी राहत मिलेगी और मेरा जिस्म भी मेरे पति के लिए बचा रहेगा... :
वसीम- “उफफ्फ... शीतल, इस तरह मुझे राहत नहीं मिलती। बल्कि मैं और जलता रहता हैं। अगर तुम और तुम्हारा पति मेरी मदद करने के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी देने को तैयार हो तो फिर मुझे बन्या पाब्लम है? अगर तुम्हारी और तुम्हारे पति की पमिशन है तो फिर मैं कोई गुनाह नहीं करूँगा तुम्हें चोदकर."
शीतल विकास के सीने से चिपक गई। उसकी चूची वसीम के सीने में दब रही थी।
शीतल- "तो अब आप मुझे चोद सकते हैं ना, तो चाद लीजिए। परे कर लीजिए अपने अपमान। पूरी कर लीजिए अपनी तमन्नाओं का जिन्हें सोचते हए आप मेरे पैटी बा पे वीर्य गिराते हैं। गिरा लीजिए मेरी चूत में वीर्य। अब मत रोकिए खुद को और पूरी तरह मुझे हासिल कर लीजिए.
वसीम में शीतल को कस के पकड़ लिया और उसके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा। वो पीछे से शीतल की टाप को ऊपर करता हुआ उसकी नंगी पीठ को सहलाने लगा। वसीम का हाथ पीठ सहलाता हुआ सामनें आया और टाप को सामने से भी उठाकर उसकी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगा।
शीतल को बहुत दर्द हो रहा था और वो दर्द से आह ... उह्ह... भी कर रही थी। लेकिन वसीम जैसे पागल हो गया था। शीतल भी उसे गोकी या मना नहीं की। वो नहीं चाहती थी की वसीम रूके या किसी भी तरह उसे कोई कमी लगे। शीतल वसीम की खुशी के लिए अब सारा दर्द सह सकती थी।
वसीम भले ही शीतल के साथ ये सब पागलों की तरह कर रहा था, लेकिन उसका दिमाग उसी तरह शांति से अपने प्लानिंग में लगा था। उसे लगा की चुदबाने के लिए अगर ये गांड झठ बोल रही होगी और उसने अपने पति को मनाया नहीं होगा तो जो वो 5 दिन से बिना चोदे रह रहा है वो तो बेकार हो जाएगा। क्योंकी अगर ये ऐसे चुद जाएगी तो फिर मेगा प्लान 15-20 दिन के लिए टल जाएगा। अभी तो राड़ की चूत पूरी गरम है लेकिन एक बार चुदवाने के बाद फिर से ये पतिवता धर्म और पति की अमानत में सब सोचने लगेगी। नहीं मुझे कन्फर्म करना होगा की विकास का स्टैंड क्या है अभी तक?
अचानक वसीम रुक गया और शीतल से अलग हो गया।
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