RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल हड़बड़ा गई की अब क्या हुआ इस पागल इंसान को? उसे गुस्सा भी आया क्योंकी वो गरमा चुकी थी। उसकी चूत में पानी चूने लगा था। फिर भी वो बड़े प्यार से पूछी- "क्या हुआ वसीम चाचा, रुक क्यों गये अब?"
बमीम बोला- "नहीं, मुझे तुमपे ऐसे ही यकीन नहीं करना चाहिए। मुझे एक बार विकास से कन्फर्म हो लेना चाहिए। जब मैंने इतने दिन दर्द सहा है तो एक दिन और। रात में तुम बोलना विकास को की वो मुझे बोल दे, उसके बाद ही मैं तुम्हारे साथ कुछ कर पाऊँगा.."
शीतल के मन में कोई डर नहीं था। वो फिर से वसीम के सीने लग गई और बोली- "आप विकास से काल करके पछलीजिए."
वसीम को लगा की ये सही है। तरंत ही उसके दिमाग में ख्याल आया की- "अगर बडी ने उसे बताया नहीं होगा तो फ्री फोकट में बात बिगड़ जाएगी...
वसीम थोड़ा गुस्से में था- "में नहीं, तुम अपने नम्बर से काल लगाओं और मुझे सुनाओ, अगर बो हाँ कह देगा फिर मुझसे बात करवाओ। अगर ऐसा कर सकती हो तो ठीक है नहीं तो प्लीज.. चली जाओं यहाँ से और अब दुबारा मेरे आस-पास भी मत आना। अगर तुमनें आज झूठ कहा है तो मुझे अपनी शकल भी मत दिखाना.."
शीतल को कोई प्राब्लम नहीं थी, बोली- "मेरा मोबाइल तो नीचे ही है। यहाँ लाइट भी कटी हुई है और गर्मी भी लग रही है। आप भी नीचे चलिए और वहीं बात भी कर भी लीजिएगा और वहीं मेरे बेडरूम में ही मेरे साथ अपने अपमान परे कर लीजिएगा.."
वसीम ने कुछ देर सोचा और उसमें उसे कोई बुराई नहीं नजर आई। उल्टा वो और उत्तजित हो गया की शीतल के बेडरूम में उसकी चूत की चुदाई करेंगा। दोनों नीचे आ गयें। वसीम ने मुख्य दरवाजा बंद कर दिया ताकी बीच में कोई उसे डिस्टर्ब ना कर पाए।
शीतल अपने घर का दरवाजा बंद कर ली। वसीम सोफे में बैठ गया। उसके लण्ड में हलचल मचने लगी थी। फाइनली उसका प्लान सफल होने वाला था। विकास के पमिशन के बाद वो आराम से शीतल को चोद सकता था और उसे छिपाने की जरूरत नहीं थी। बस सिर्फ इस रांड़ ने झला बोला हो। अगर ये झठ बोली होगी तो इसे चोदूंगा तो नहीं, लेकिन इसकी गाण्ड फाइदंगा आज।
शीतल अपना फोन ढूँट करके आई और वसीम की गोद में बैठ गई। उसने वसीम के गाल में किस किया और उसका हाथ अपनी चूचियों में रखवा लिया।
वसीम सोचने लगा की- "बस रांड, कुछ मिनटों की देर है, फिर मसलंगा तेरी चूची और तब तझे पता चलेगा की चुदाई क्या होती है? बहुत खुजली मची है ना तेरी चूत में... सब एक ही झटके में मिट जाएगी..
शीतल बिकास का काल लगाई। रिंग जा रही थी। वसीम की सांस तेज हो गई थी। शीतल को भी अजीब लगने लगा की वो फोन पे विकास से ये पूछेगी की वो वसीम चाचा से चुदेगी या नहीं। हे भगवान... वो कहाँ बैठे होंगे, किसके साथ होंगे? कहीं किसी ने सुन लिया तो? कहीं उनका मूड खराब हो गया और उन्हें गुस्सा आ गया तो?
कहीं बो मना कर दिए तो? शीतल की भी धड़कन तेज हो गई थी। लेकिन विकास ने काल नहीं उठाया।
सन्नाटा था रूम में। वसीम तो कुछ नहीं बोला।
शीतल बोली- "काल तो नहीं उठाए, फिर से करें क्या?"
वसीम कुछ बोला नहीं और अपने कंधे ऊपर करता हा इशारा किया की तुम समझो क्या करना चाहिए?
शीतल फिर से डायल करने लगी लेकिन फिर रुक गई, और बोली- "अगर वो कहीं मीटिंग या किसी के साथ होंगे
और अगर किसी ने सुन लिया तो? मैं उन्हें बता चुकी हूँ और वो मुझे बोल चुके है की तुम चुदवा सकती हो। आप मेरा भरोसा कीजिए। मैं झठ नहीं बोलती। रात में वो आएंगे तब पूछ लीजिएगा..."
वसीम "ठीक है...' बोलता हुआ शीतल को गोद में उठाया और बाहर जाने लगा। उसके लण्ड के साथ धोखा हो रहा था। उसे गुस्सा आ रहा था।
शीतल भी उसे जाता देखकर हड़बड़ा गई, दौड़कर वसीम के सामने आई और बोली- "आप जा क्यों रहे हैं? रात को विकास आएंगे तो पूछ लीजिएगा। मैं खुद आपको उनसे कन्फर्म करवा दूंगी की मैं सच बोल रही हैं, उन्होंने पमिशन दी है। ट्रस्ट कीजिए मरे में..." और शीतल ने वसीम का हाथ पकड़ लिया और उसे अंदर खींचने लगी।
वसीम भला शीतल से क्या हिलता। वसीम बोला- "जब कन्फर्म करवा देना तब आना मेरे सामने..."
शीतल उसका हाथ पकड़े हुए ही बोली. "नहीं रुकिये, मैं फिर काल लगाती हैं। लेकिन आप मत जाइए."
वसीम सोफे पे बैठ गया और शीतल ने अब बिना किसी बात की परवाह किए विकास के पास काल लगा दी। शीतल की बुरी या अच्छी ये तो पता नहीं, लेकिन कि मत से विकास में फिर काल रिसीव नहीं किया। शीतल उदास नजरों से वसीम की तरफ देखने लगी की मैं क्या कर सकती हैं, अब अगर बा काल नहीं रिसीव कर रहे हैं तो? वो नहीं चाहती थी की वसीम यहाँ से जाए। वसीम जब चोदने के लिए तैयार हुआ था तो शीतल में उसका पागलपन देखा था। अब अगर वसीम उसे बिना चोदें चला गया तो पता नहीं क्या कर ले? पहले तो वो शेर के मुँह में सिर्फ खून लगाई थी, आज तो खाना सामने लाकर हटा ले रही है। \
वसीम उठने लगा।
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