RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल तुरंत क्सीम पे गिर पड़ी और उससे रुकने की मिन्नतें करने लगी- "नहीं वसीम चाचा प्लीज... मत जाइए, मेरा भरोसा करिए..."
वसीम कुछ नहीं बोला और उठकर जाने लगा।
शीतल उसे पकड़ ली और बोली- "नहीं में आपको ऐसे नहीं जाने दूँगी। अगर आप मुझे चोदना नहीं चाहते तो कोई बात नहीं, लेकिन अपना वीर्य तो गिराते जाइए...
वसीम- "उसकी कोई ज़रूरत नहीं... बोलता हुआ दरवाजे तक आ गया।
शीतल को उसके गुस्से से भी डर लग रहा था की ये मुझे तो कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन पता नहीं गुस्से में कहीं कुछ कर ना लें। शीतल उसके सामने खड़ी हो गई, और कहा- "नहीं मैं आपको ऐसे जानें नहीं दे सकती। आपको मुझे नहीं चोदना है तो मत चोदिए। लेकिन वीर्य तो आपको गिराना ही होगा। अगर आप यहाँ से गयें तो मैं ऊपर भी आ जाऊँगी। अगर आपने दरवाजा बंद कर लिया तो मुख्य दरवाजे पे ही आपका इंतजार करती रहूंगी, वो भी नंगी। लेकिन आपको बिना वीर्य निकाले तो मैं नहीं छोड़ सकती.."
वसीम ने उसे एक हाथ में साइड किया और दरवाजा खोलने लगा। शीतल बैठकर उसके पैर पकड़ ली- "वसीम चाचा आपको मेरी कसम, पलीज... अपना वीर्य निकाल लीजिए। आपकी नजर में मेरी जो भी अहमियत हो, विकास की बीवी की, आपका भला चाहने वाले की, एक रंडी की, या एक सड़क की कुतिया की, उसका मान रखते हए वीर्य निकाल दीजिए प्लीज..."
वसीम रुक गया। वो समझ गया था की शीतल सच बोल रही है। अब कुछ घंटों की बात है जब शीतल आफीशियली मेरी रंडी होगी। और वीर्य गिराने में कोई परेशानी नहीं है, वो भी तब जब रंडी इतना जिद कर रही है। वसीम को रुकता देखकर शीतल उसकी लूँगी को नीचे खींच ली। लूँगी वसीम के पैरों में गिर पड़ी और बो नीचे से नंगा हो गया।
शीतल अपने जिश्म को वसीम के बदन से रगड़ती हई सही पोजीशन में आई और वसीम का लण्ड पकड़ ली। मुर्दै में जान आ गई और लण्ड टाइट होने लगा। शीतल लण्ड को मुँह में ली और चूसने लगी। वीर्य की खुश्बू से बो मदहोश होने लगी।
शीतल लण्ड को मुँह से निकाली और वसीम को बोली- "सोफा पे आ जाइए वसीम चाचा, वही आराम से बैठिए.."
वसीम बोला- " सोफा पे क्यों, तुम्हारे बेडरूम में ही चलते हैं. वहीं पे वीर्य निकालूँगा."
शीतल के लिए तो ये खुश होने वाली बात थी। बो खुश होकर बोली- "ही... चलिए ना, आइए.."
वसीम इसी तरह नंगे ही बेडरूम की तरफ चल पड़ा और शीतल उसके पीछे थी। शीतल को लगा की शायद वसीम चोदने के लिए तैयार हो गया है। अचानक उसकी चूत बहुत गीली हो गई। वसीम दरवाजा पे रुक गया।
शीतल पहले बेडरूम में जाती हुई बोली- "आइए ना, बैठिए ना..."
वसीम बेडरूम के अंदर घुसा तो उसकी नजर एक कोने में पड़े शीतल की पैटी ब्रा पे गई, जिसे वह उतारकर ऊपर गई थी। पता नहीं क्यों शीतल अचानक शर्मा गई और जल्दी से उसे हटाने लगी।
वसीम मश्करा उठा और बोला- "उसे छिपा क्यों रही हो?"
शीतल को भी लगा की सही बात है, इसमें क्या शर्माना और इनसे क्या शर्माना? वो अपनी झेंप मिटाते हुए पैटी ब्रा को वसीम के सामने कर दी और बोली- "नहीं, छिपा नहीं रही थी, बेड था इसलिए बस हटा रही थी..."
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