RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल गरम तो थी ही, ये पल उसे और रोमांचित करने लगा। उसका चेहरा सेक्सी सा हो गया था। वसीम अब उसके चेहरा के साथ चूची को पिक लेने लगा। उसने दोनों चूची को बाहर कर दिया और चेहरे के साथ पिक लेने लगा।
माँग में सिंदूर, माथे पे बिंदी, गले का मंगलसूत्र नंगी चूचियों के बीच में तो कभी निपल में फंसाकर। बड़ी-ड़ी गोल-गोल गोरी सी चचियों के बीच बाउन कलर का छोटा सा सिक्का और उसके बीच उभरे हए निपला इन पिक्स को देखकर ही लोगों के लण्ड टाइट हो जाते। वसीम ने मोबाइल रखा और शीतल की शार्टस को उतार दिया। शीतल की नंगी चिकनी चूत चमक उठी।
वसीम सोचने लगा की- "मादरचोद, ये तो चुदवाने के लिए हमेशा तैयार रहती है.. उसने शीतल के पैर को फैला दिया। शीतल की चूत पूरी तरह गीली थी तो वो शर्मा गई। वो पैर तो फैला ली लेकिन अपनी जांघों को दबाए रखने की कोशिश की, और अपने हाथों को चूत पे रख ली।
वसीम फिर से पिक लेने लगा। नंगी चूत के साथ चेहरे की भी। वसीम में शीतल को टाप उतारने बोला। शीतल पूरी तरह नंगी होकर बैंड के बीच में लेट गई। वसीम उसकी फुल पिक ले रहा था। उसने शीतल को पैर फैलाने का इशारा किया। शीतल शर्म हया छोड़कर पैर फैला दी। वसीम पिक लेता हुआ चूत के नजदीक आता जा रहा था। ज्यादातर पिक में शीतल का चेहरा आ रहा था। वसीम ने एक हाथ से चूत के छेद को फैलाया और उंगली अंदर डाल दिया। वसीम के चूत छूते ही और उंगली अंदर जाते ही शीतल का बदन हिलने लगा। वो एक हाथ से तकियं को पकड़ी और दूसरे हाथ से चूची मसलते हये कमर के ऊपर का जिश्म हिलने लगी।
शीतल चूत की गर्मी से मचल रही थी। वसीम को चूत में उंगली डालते ही एहसास हो गया था की कल भी शीतल बिना चुदे ही रह गई थीं। अभी शीतल फ्री तरह से वसीम के कंट्रोल में थी।
वसीम ने मोबाइल रख दिया और शीतल की चूत को फैलाकर जीभ की नोक से चाटने लगा। उफफ्फ... शीतल पागल होने लगी। वसीम धीरे-धीरे उसकी चूत को चूसने लगा। वसीम की जीभ का कोमल टच शीतल की चूत को पिघला रहा था। शीतल उसके सिर को अपनी चूत पे दबा ली और कमर उठा ली। उसके चूत ने पानी छोड़ दिया। पानी गिरते ही शीतल कमर को बेड पे पटक दी और जोर-जोर से सांस लेने लगी। बीम उस कामरस को पी गया। वसीम अब सीधा खड़ा हुआ और अपने लण्ड को हिलाने लगा।
शीतल अब तक सोच रही थी की आज वसीम उसे चोदने वाला है लेकिन आज फिर उसके सपने चकनाचूर हो गये, कहा- "वसीम चाचा ये क्या कर रहे हैं आप? मुझमें भरोसा कीजिए, चोद लीजिए मझे। मेरी चूत में वीर्य गिराइए प्लीज.. वसीम चाचा खुद को इतना मत तड़पाइए.." कहकर शीतल हड़बड़ा कर उठ बैठी थी, और वो वसीम का हाथ पकड़ ली।
वसीम शीतल की हालत देखकर मन ही मन मुश्कुरा रहा था। खुद को ना तड़पाना रंडी की तुझे ना तड़पाना? वो तो सोच की तेरी चूत का पानी निकाल दिया। मन तो यही था की इसी तरह जलता हुआ छोड़ दूं की तू विकास के आते ही चूत फैलाकर तैयार हो जायें। लेकिन तब पता नहीं त बया करती? कही चूत की गर्मी में पागल होकर काम ही ना खराब कर देती।
वसीम बोला- "अभी नहीं, विकास से कन्फर्म हो जाने के बाद। इतना कुछ इसलिए किया क्योंकी तुमने कसम दी थी अपनी। तुम लोग सच में बहुत महान हो। फरिश्ता हो मेरे लिए। इतना कोई नहीं करेंगा किसी अंजान के लिए। लेकिन इससे ज्यादा आज नहीं.."
शीतल नीचे बैठ गई और बोली- "जैसी आपकी मजी, लेकिन वीर्य तो मुझे निकालने दीजिए, कम से कम ये तो मेरा हक है..." और वो लण्ड चूसने लगी।
वसीम ने मोबाइल उठा लिया और पिक लेने लगा। शीतल अपना चेहरा ऊपर कर ली और लण्ड चूसते हए पिक खिंचबाने लगी। वो जितना मैंह में भर सकती थी भरकर जोर-जोर से चस रही थी। वो थकने लगी तो वसीम लण्ड को हाथ में पकड़कर जोर-जोर से हिलाने लगा। शीतल को लगा की कहीं आज भी वसीम वीर्य को जमीन पे ना गिरा दे। वो अलर्ट हो गई। वो अभी भी पूरी तरह गरम थी।
शीतल अपनी दोनों चूचियों को मसलती हुई बोली- "वसीम चाचा, वीर्य को मेरी माँग में भर दीजिए। आपका वीर्य माँग में भरने पे लगता है की मैं आपकी ही हैं, तब मुझे लगता है की मेरे जिश्म में आपका भी हक है। तब मैं खुद को पूरी तरह आपको समर्पित कर पाती हैं। अपने वीर्य को मेरी माँग में भर दीजिए वसीम चाचा, और मेरे मैंह में गिराइए। कल जब आप मुझे चोदेंगे तो वीर्य को मेरी चूत में भर दीजिएगा..."
वसीम का लण्ड वीर्य छोड़ने लगा। शीतल आँख बंद करके सिर को आगे कर दी और वसीम वीर्य को शीतल के माथे पे माँग में गिराने लगा। वीर्य माँग में भरता हुआ माथे पे बहने लगा। शीतल जो अभी बोली थी वो महसूस करने लगी। वो अपने चेहरे को ऊपर उठाई और मुह खोल दी। वसीम वीर्य को उसके मुह में भरने लगा।
आअहह... इसी टेस्ट की तो दीवानी थी शीतला वसीम ने वीर्य की आखिरी बूंद भी उसके मुँह में गिरा दिया। शीतल की आँखें बंद थी। वसीम क्या हल्का महसूस करेगा, जितना हल्का वो महसूस कर रही थी। वसीम उसकी पिक ले रहा था।
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