RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम- "फिर भी एक बार सोच लो शीतला कहीं ऐसा ना हो की बीच में या बाद में तुम्हें लगे की तुम गलत की
या तुम्हें अफसोस हो? क्योंकी फिर मैं खुद को माफ नहीं कर पाऊँगा। मेरे लिए जीना मुश्किल हो जाएगा.."
शीतल- "बहुत बार सोच ली वसीम चाचा। हर तरह से सोच ली। में अब पूरी तरह से आपको समर्पित हूँ। में अपने आपको आपजे हवाले करती हूँ और मैं विकास की कसम खाकर कहती हूँ की आप मेरे साथ जो भी करेंगे उसमें मेरी और मेरे पति की मंजूरी है, और मैं हर तरह से आपका साथ दूँगी.. शीतल वसीम से अलग होकर दो कदम पीछे और अपने पल्लू को जमीन में गिरा दी, और बोली- "अब आप मेरे साथ जो चाहें कर सकते हैं, में शीतल शर्मा आपका परा साथ देगी..."
वसीम ने आगे बढ़कर शीतल को गले लगा लिया और बोला- "शुक्रिया शीतल, बहत बहुत शुक्रिया.." कहकर वसीम बेड पे बैठ गया और शीतल उसकी गोद में बैठ गई।
शीतल वसीम के गले में छाती में चमनें लगी सहलाने लगी थी।
वसीम बोला- "हाँ... शीतल, अब तुम मेरी हो, पूरी तरह से मेरी, मैं तुम्हें अब पूरी तरह से पा सकता हैं बिना किसी डर के बिना किसी हिचकिचाहट के। लेकिन शीतल, मैं इस लम्हें को जीना चाहता हैं। महसूस करना चाहता हैं। मैं नहीं चाहता की इतना कीमती लम्हा मेरी जिदगी में आए और एक-दो घंटे में खतम हो जाए। मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ लेकिन ऐसे नहीं। ऐसे की जैसे तुम मेरी दुल्हन हो और आज हमारी सुहागरात हो। मैं तुम्हें दुल्हन के लिबास में देखना चाहता हूँ और पूरी रात तुम्हारे आगोश में बिताना चाहता हूँ.."
शीतल एक पल के लिए सांची, क्योंकी रात में विकास आ जाएगा लेकिन अभी तुरंत वा बाली की पूरी तरह वसीम का साथ देगी तो वो उसे मना नहीं कर सकती है। वो मुश्कुराते हुए बोली- "जैसा आप कहें। रात में आपकी दुल्हन आपका इंतेजार करेंगी। आज आपको हमारी सुहागरात होगी.."
वसीम खुश होता हुआ शीतल के होठों को कस के चूम लिया और ब्लाउज़ के अंदर हाथ डालकर एक चूची को कस के मसल दिया।
शीतल अचानक हुए इस हमले से हड़बड़ा गई और दर्द से उसके मुह से "आह" निकल गई।
वसीम बोला- "आहह... शीतल में खुद को रोक नहीं पा रहा। मैं बहुत खुश हैं। आज मेरी जिंदगी का सबसे हसीन दिन है... और वो फिर से शीतल के होंठ चूमने लगा और चूची को मसल दिया।
शीतल दर्द बर्दाश्त की और मुश्कुरा दी। वसीम बोला- "उफफ्फ... शीतल अब तुम जाओ यहीं से, नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगा। मैंने इतने साल इतने दिन खुद को रोका है तो एक दिन और मुझे खुद को रोकना ही होगा, ताकी मैं अपनी सुहागरात को पूरी तरह से मना पाऊँ...'
सही बात है। अब रोक पाना वाकई मुश्किल था। शीतल भी गोद से उठ खड़ी हुई और आँचल ठीक कर ली। उसकी चूचियों पे वसीम की उंगलियों के निशान छप चुके थे। आज शीतल के परे जिस्म वसीम का निशान लग जाजा था। शीतल की राह में भी वसीम का कब्ज़ा हो जाना था। शीतल चाय का कप उठाई और जाने लगी,
और बोली "शाम में शादी के जोड़े में आपकी दुल्हन आपका इंतजार करेंगी वसीम चाचा.."
वसीम बोला- "अब वसीम चाचा मत कहो । सिर्फ वसीम कहो, मेरे वसीम..."
शीतल खिलखिला कर हँस दी, और बोली- "ठीक है वसीम, शाम को आपकी दुल्हन आपका इंतजार करेंगी..."
शीतल नीचे आ गई। वा बहुत उत्तेजित थी। अच्छी बात तो है। मैं काई रडी थोड़े ही ना है की गई और चुदकर आ गई। इतनी मेहनत के बाद पहली बार वसीम चाचा... नहीं नहीं वसीम। मरे वसीम मुझे चोदने वाले हैं। इस लम्हें को तो यादगार बनाना ही चाहिए। मैं तो बहुत खुशनशिब हूँ की दुबारा सुहागरात मनाने वाली हूँ । मुझे वसीम चाचा उफफ्फ.. वसीम को खुश करना है। सौंप देना है उन्हें खुद को। उन्हें लगना चाहिए की यही उनकी सुहागरात है। लेकिन रात में तो विकास भी आ जाएंगे। अफफ्फ... उनके सामने ऐसे सुहागरात मना पाऊँगी में? मेरे लाख चाहने पे भी मैं वसीम को खुद को पूरी तरह नहीं साँप पाऊँगी।
शीतल वसीम को काल लगाई और बताई- "जैसा तुमने कहा था उसी तरह वसीम चाचा उस लम्हे को मेमोरेबल बनाना चाहते हैं। वो मेरे साथ सुहागरात मनाना चाहते हैं। मैं क्या करूँ? उन्हें ना भी नहीं बोल पाई..
विकास बोला- "ये तो अच्छी बात है। तब उन्हें हर बात याद रहेगी और वो संतुष्ट हो पाएंगे। तुम बस ये ख्याल रखना की कोई कमी ना रह जाए। ऐसा ना हो की तुम्हारी इतनी बड़ी कुर्बानी भी किसी छोटी बात की वजह से बेकार हो जाए। और देखो ना, यहाँ आकर पता चला की कल भी कुछ काम है तो मैं कल ही आ पाऊँगा.."
शीतल को भी लगा की विकास के रहने के बाद वो खुलकर वसीम का साथ नहीं दे पाती। थोड़ी और बातें करने के बाद विकास से गुइ-लक लेते हुए उसने काल काट दिया। वो अपने बार्डरोब से शादी की ड्रेस निकाली जिसे पहनकर वो शादी की थी। डिज़ाइनर लहंगा चोली था वो। लहंगा तो ठीक था, बो चोली को देखने लगी की सही फिटिंग आएगी या नहीं। शीतल अपने पल्लू को नीचे गिराई और ब्लाउज़ को उतारकर चोली पहनकर देखने लगी। उसकी चूची अब बड़ी हो गई थी। साइज 32 इंच से बढ़कर 32डी हो गया था। चोली पूरी तरह से सीने में दब गई थी। वो वापस ब्लाउज़ पहन ली।
शीतल कुछ लिस्ट बनाई और मार्कट आ गई। सबसे पहले वो कुछ-कुछ समान ली और फिर एक टेलर वाले के पास गई। टेलर को वो चोली का नाप सही करने बोली, और थोड़ी कांट छांट करने बाली जिसमें बैंक और नेक थोड़ा और डीप हो जाए।
टेलर ने उससे कहा की इसमें तो वक्त लग जाएगा और चोली खराब भी हो सकती है, आप नई चोली ही ले लीजिए। उसने शीतल को इसी चोली से मिलते जलते कलर की कई चोली दिखाई। एक चोली बिल्कुल मैंच कर रही थी और उसका डिज़ाइन भी बहुत अच्छा था। उसके साथ शीतल ने मैचिंग ट्रांसपेरेंट चुन्नी भी ले लिया। एक बहुत बड़ा कम खतम हो गया था उसका।
शीतल फिर अपने ब्यूटी पार्लर में गई। वहाँ वो हाथ में बाजू तक और पैर में जाँघ तक मेहन्दी लगवाई। मेहन्दी लगाने वाली लड़की ने उसकी कमर पें सामने की तरफ भी टैटू जैसा और पीठ में भी एक डिजाइन बना दिया। कमर पे बना डिजाइन सामने में पैटी लाइन में बना था और पीठ में बना डिजाइन उसकी गर्दन के नीचे और ब्रा के हक के ऊपर बना था। शीतल का गोरा जिस्म उस मेंहन्दी में दमक रहा था। पार्लर वाली को ही बोलकर उसने एक फूल वाले से बात कर लिया जो शाम में उसके बेड को सजा देने वाला था।
शीतल को यहाँ से फ्री होते-होते ही 4:00 बज गये थे। वो घर पहुंची और फूल वाले को काल कर दी। जितनी देर में शीतल खाना खाई की बैड सजाने वाले आ गये। शीतल उन्हें बेडरूम में ले आई और वो लोग सुहागरात की। सेज सजाने लगे। एक तो शीतल वैसे ही बहुत खूबसूरत थी, आज मेकप और मेहन्दी लगने के बाद तो वो चमक रही थी। दोनों बेड सजाते हुए आपस में बातें कर रहे थे। शीतल रूम में देखने जा रही थी की बैंड कैसा सज रहा है की उनकी बातों को सुनकर बो बाहर ही रुक गई और उनकी बातें सुनने लगी।
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सेज सजाने वाला-"कितनी मस्त माल है यार, क्या फिगर है, क्या चिकना बदन है। छुओ तो हाथ फिसल जाए।
बदन इन फूलों के ऊपर मसला जाएगा। इसकी ता चूत में पूरी खुजली मची हुई होगी अभी। पूरी तैयारी करवा रही है अपनी चुदाई की। माल तो ये इतनी मस्त है की इसका नंगी करते ही कहीं झड़ ना जाए इसे चोदने वाला। बेचारी की इतनी मेहनत बेकार हो जाएगी। लेकिन सोच की उसे मजा कितना आएगा जब इसके नंगे बदन को फूलों की सेज में लिटाकर चोदेगा। मुझे तो एक मौका मिले तो सारी जिंदगी की प्यास मिट जाए."
शीतल वहाँ से हट गई और किचेन में खाना बनाने में लग गई। वसीम के आने से पहले उसे पूरी तरह फ्री हो जाना था। वो सोचने लगी- "सही तो कह रहे हैं दोनों। मेरी तो चूत में सच की आग लगी हुई है। अपनी ही चराई करवाने के लिए मैं कितनी बिजी हैं। किसी गैर-मर्द के साथ सुहागरात... ओफफ्फ.. नहीं नहीं अब मुझे ये सब नहीं सोचना चाहिए। वसीम का पूरा हक है मेरे जिश्म पें। आज मैं उनकी हैं, पूरी तरह वसीम की। आज विकास मेरे लिए गैर-मर्द हैं। ऊपर वाला भी तो यही चाहता है, तभी तो विकास आज जी टाउन से बाहर । आज मुझे विकास के बारे में नहीं सोचना है। सिर्फ वसीम ही मेरे हैं आज..."
दोनों लड़के शीतल और वसीम की सुहागरात की सेज सजाकर चले गये। शीतल रात के लिए खाना बना चुकी थी। उसने घड़ी पे नजर डाली तो 6:00 बज चुके थे। अब बस शीतल को तैयार होना था। लेकिन वो साची की "सुबह के बाद वसीम से कोई बात भी नहीं हो पाई है तो एक बार उनसे बात तो कर लें। पूछ ताल की वा कितने बजे आएंगे अपनी दल्हन के पास? पता चला की मैं तैयार ही नहीं हुई और वो आ गये या मैं तैयार होकर बैठी हैं और उन्हें लेट हो रही है। शीतल वसीम को काल लगाई- "हेलो.."
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वसीम- "हाँ... हेलो..'
शीतल- "वसीम...
वसीम।- "हाँ... मेरी जान, तुम्हारा वसीम ही बोल रहा हूँ..
शीतल मुश्कुरा दी "कैसे हैं वसीम, कब आएंगे अपनी दुल्हन के पास.." बोलती हुई शीतल शर्मा गई और उसकी चूत में एक लहर सी दौड़ पड़ी।
वसीम- "मैं तो कब से बैठा हूँ अपनी दुल्हन को पानं के इंतजार में, तुम जब बोलोगी तब हाजिर हो जाऊँगा.."
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शीतल खिलखिला कर हँस दी- " आ जाइए ना जल्दी से..."
वसीम- "बस आ रहा है थोड़ी देर में, 8:00 बजे तक आ जाऊँगा। विकास आ गया है क्या?"
शीतल- "नहीं, कल भी उन्हें कम है तो आज वो नहीं आ पाएंगे। आप आइए, 8:00 बजे आपकी दुल्हन आपका इंतजार कर रही होगी.. कहकर शीतल फोन काट दी।
वसीम झूम उठा की विकास नहीं रहेगा।
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