RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
विकास के रहने के बाद भी उसे शीतल के साथ सुहागरात तो मनाना था ही लेकिन तब उसे थोड़ी आक्टिंग करनी पड़ती। लेकिन अब वा बिंदास होकर अपने अंदाज में शीतल के गोरे मखमली जिश्म को लूटेगा। आह्ह... मेरी जान शीतल, बहुत तरसा हूँ तेरे लिए और मैंने बहुत तड़पाया है तुझे। बहुत बार तेरे जिस्म को प्यासा छोड़ा है मैंने। लेकिन आज वो सारी प्यास मिटाकर रख दंगा। आज बताऊँगा की मैं क्या चीज हैं? आज बताऊँगा की चुदाई क्या होती है? बस मेरी रांड़, दो घंटे और, फिर तेरा सुनहला बदन मैरी गिरफ्त में होगा आह्ह.."
शीतल के पास दो घंटे थे सजने के लिए वो अपनी सजावट में लग गई। चुदवाने की सजावट में। शीतल पूरी तरह नंगी हो गई और आईने में खुद को देखने लगी- चलो शीतल रानी, सुहागरात मानने के लिए तैयार हो जाओ। उसका पूरा जिशम चिकना तो था ही फिर भी वो चूत, गाण्ड और कांखों के बालों पे हेयर रिमूका कीम अप्लाई कर ली। फिर शीतल अपनी कमर के नीचे चूत, गाण्ड और जांघ एरिया और चूची में फेंशियल मसाज की। नहाते वक्त शीतल अपनी चूत में उंगली कर रही थी। वो अपनी चूत से पानी निकालना चाह रही थी। वा चाहती थी की जब वसीम उसके जिस्म से खेलें तो वो वसीम का भरपूर साथ दे। चूत से पानी निकला हुआ रहेगा तो वो देर तक वसीम का साथ दे पाएगी और वसीम से मिलता सूख महसूस कर पाएगी।
शीतल सोचने लगी की कैसे वसीम उसे चोद रहा है। वैसे तो वसीम के बारे में सोचते ही उसकी चूत गीली हो जाती थी, लेकिन अभी कुछ हो ही नहीं रहा था। तभी साचते-सोचते उसका ख्याल बनने लगे की वसीम बेरहमी से उसके साथ पेश आ रहा है। बो बेरहमी से शीतल के जिस्म को नोचता खसोट ताजा रहा है और उसे गालियां देता जा रहा है- रंडी, मादरचोद, कुतिया, हरामजादी, छिनाल और भी बहुत सारी गालियां। ये सब सोचते ही शीतल की चूत गीली हो गई और उंगली करती हुई वो चूत से पानी निकाल ली। पानी निकलने के बाद उसे खुद में बुरा भी लगा की मैं वसीम में किस तरह चुदवाना चाहती हैं और क्या-क्या सुनना चाहती हैं।
शीतल नहाकर वो अपने रूम में आ गई। नहाने के बाद उसका जिश्म और चमक रहा था। उसे फूल वाले लड़कों की बात याद आने लगी- "जो इस माल का चोदेगा उसे कितना मजा आएगा..." शीतल अपने पूरे जिस्म में चाकलेट फ्लेवर की बाडी लोशन लगाई। फिर नई पैंटी ब्रा निकली, लाल रंग की पैंटी ब्रा डिजाइनर थी और ट्रांसपेरेंट थी। पैंटी ब्रा को पहनने के बाद वो घूम-घूमकर आईने में खुद को देख रही थी। कितनी सेक्सी लग रही हैं मैं। आह्ह... वसीम इस चमकते जिश्म पे आज आपका अधिकार है। इतनी मेहनत तो मैं अपनी ओरिजिनल सुहागरात के लिए भी नहीं की थी, जितनी आपके लिये कर रही हैं। मसल देना मझे, रौंद डालना मेरे जिश्म को, अपने मन में कोई कसर मत छोड़ना मेरे दूल्हे राजा। शीतल चेहरे का मेकप पूरा की और उसके बाद शीतल अपने बालों को सवार ने लगी। आधे घंट लग गये उसे बाल बनाने में।
7:30 बज चुके थे। शीतल लहँगा पहन ली। पहले तो बो नाभि से कुछ नीचे पहनी लहँगा को, जहाँ से नार्मली पहनती थी। लेकिन फिर कुछ सोचकर वो लहँगा को और बहुत नीचे कर ली। उसकी कमर पे बने मेहन्दी का डिजाइन अब साफ-साफ दिख रहा था। फिर वा चोली पहन ली। चोली कंधे के किनारे पे थी और सामने थोड़ा डीप था जिससे क्लीवेज थोड़ा सा दिखाते हुए शीतल को सेक्सी बना रहा था। पीठ पे सिर्फ 2 इंच की पट्टी थी।
शीतल अपनी बा को चोली के अंदर करके हक लगा ली। वा अपने माथे पे चुन्नी रखकर माँग में सिंदूर भरने लगी। फिर उसे लगा की अगर मैं लगाऊँगी तो वो विकास के नाम का होगा। आज ऐसा नहीं होना चाहिए। सोच कर वो सिंदूर नहीं लगाती और मंगलसत्र भी उतारकर रख दी। शीतल परे हाथों में चड़ी पहन ली। अब वो पूरी तैयार थी अपनी सुहागरात के लिए। 8:00 बज चुके थे।
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शीतल कि दूसरी सुहागरात गैरमर्द वसीम के साथ
शीतल अपनी चुदाई के लिए पूरी तैयार थी। पूरा मेकप और पूरी ज्वेल्लारी में वो बहुत ही हसीन लग रही थी। उसकी धड़कन तेज हो गई थी। वो किचन में जाकर एक उल्लास जूस पी ली थी। अब उसे ठीक लग रहा था। शीतल 8:00 बजने का इंतजार कर रही थी।
ठीक 8:00 बजे वसीम खान ने दरवाजा नाक किया। वो भी नये कुर्ता पायजामा और स्कल कैप में था। आँखों में सरमा और बदन में इत्र लगाया हुआ था वसीम खान। शीतल कौंपते हाथों से दरवाजा खोली। वो अपने घर का नहीं चूत का दरवाजा खोल रही थी वसीम खान के लिए। वसीम शीतल को देखता ही रह गया। शीतल बहुत हसीन थी, लेकिन आज तो वो कयामत टा रही थी। उफफ्फ.. वसीम की आँखें चंधिया गई थी इस बेपनाह हश्न को देखकर।
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