RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल वसीम को में देखती हुई देखी तो शर्मा गई और उसकी नजरें झुक गई। वसीम के लिए ता शीतल का ये अंदाज जानलेवा था। वसीम यूँ ही खड़ा रहा तो शीतल एक कदम आगे बढ़कर उसके गले से लिपट गई, और कहा- "ऐसे क्यों देख रहे हैं, मुझं शर्म आ रही है...
वसीम अपने होश में लौटा, और बोला- "मैंने सुना था हरों के बारे में, आज यकीन हो गया की वो होती होगी, सुभान अल्लाह, तुम्हारा हा न तो बेमिशाल है..."
शीतल अपनी तारीफ सुनकर और शर्मा गई और वसीम को कसकर पकड़ ली। वसीम ने भी प्यार से उसकी पीठ पे हाथ फैरा। शीतल वसीम से अलग हई और थोड़ा पीछे हई दरवाजे से और वसीम अंदर आया। वसीम के हाथ में दो प्लास्टिक का पैकेट था। वसीम साफे के पास प्लास्टिक को रखा और उससे एक कामकाडर और उसका स्टैंड निकालने लगा। शीतल उसे देख रही थी।
वसीम स्टैंड पे कमरा फिक्स करने लगा और बोला- "में आज के हर लम्हे को कैद करना चाहता है.." फिर वा शीतल को देखा और बोला- "तुम्हें इस कैमरे से कोई ऐतराज तो नहीं?"
शीतल ना में सिर हिलाई।
वसीम ने कैमरा सेट किया और शीतल के हरन को उसमें कैद करने लगा। फिर वो खुद शीतल के सामने आया और उसके माथे पे चूमा।
शीतल उसके सीने से लग गई और महसूस करने की कोशिश करने लगी की वसीम ही उसका सब कुछ है। फिर वो वसीम का सीधा खड़ा की और टेबल से आरती की थाली उठा लाई। उसने दिया जला लिया था। वो वसीम की आरती उतारने लगी और फिर उसके माथे पे तिलक लगाई और उसपे फल और चावल फेंकी। फिर वो एक दूसरी थाली ले आई, इसमें दो माला था। शीतल एक माला वसीम को दी और दूसरी अपने हाथ में ले ली।
वसीम समझ गया की शीतल क्या चाहती है? ये तो अच्छी बात थी उसके लिए। कैमरा ऑन था और कैमरे में दोनों की तथाकथित शादी रंकाई हो रही थी। उसे सच में खुशी हुई शीतल का समर्पण देखकर।
शीतल- "आप में माला मेरे गले में डालिए..."
वसीम ने उस फलों के हार को शीतल के गले में डाल दिया। फिर शीतल अपने हार को वसीम के गले में डाल दी। फिर शीतल एक और थाली ले आई। वो जब चल रही थी तो छन-छन की आवाज पूरे घर में गँज रही थी। शीतल वो थाली वसीम के सामने कर दी और शर्माती हुई सिर झुका कर खड़ी हो गई। थाली में सिंदूर और मंगलसूत्र था।
वसीम को पहले तो समझ में नहीं आया की क्या करना है? लेकिन फिर उसकी नजर शीतल के माथे में गई जहाँ सिंदूर नदारद था। वसीम समझ गया की क्या करना है लेकिन वो खड़ा रहा।
शीतल. "मैं चाहती हैं की आप ये सिर मेरी माँग में भरें। अगर मैं खुद से लगाती तो वो विकास के नाम का होता। मैं चाहती हैं की मेरी माँग में आज आपके नाम का सिंदूर हो। मुझे अपने रंग में रंग दीजिए वसीम और अपनी दुल्हन बना लीजिए.."
वसीम बहुत खुश हुआ। उसने थाली से चुटकी में सिंदूर उठाया और शीतल की मांगटीका को किनारे करके उसकी माँग में सिर लगा दिया।
शीतल का रोम-रोम सिहर उठा। अब वो वसीम की दुल्हन है, वसीम की बीवी है। अब अगर मैं वसीम के साथ कुछ भी करती हैं तो कुछ गलत नहीं कर रही हैं मैं। अब वसीम का पूरा हक है मेरे पे। अब मुझे कुछ भी सोचने की जलत नहीं है। वसीम अब गैर-मर्द नहीं मेरे पति हैं।
शीतल मंगलसूत्र उठा ली और थाली को रख दी। बा मंगलसूत्र को फैलाकर वसीम के सामने कर दी। वसीम ने मंगलसूत्र शीतल के हाथ में ले लिया और उसके गले में पहना दिया। शीतल वसीम के सीने में लग गई। अब वो महसूस कर रही थी की वसीम ही उसका सब कुछ है। वसीम ने शीतल के माथे पे चूमा और प्यार से उसकी पीठ और माथे पे हाथ फेरने लगा। इस वक्त दोनों के दिल की भावनाएं सच्ची थी।
शीतल थोड़ी देर बाद वसीम से अलग हुई और उसे साफा पे बिठाकर खुद किचेन में चली गई। बा छन-छन करती हई बापस लौटी तो उसके हाथ में एक और थाली थी जिसमें दो ग्लास थे। शीतल उसमें से एक ग्लास उठाकर वसीम को दी जिसमें दूध भरा हुआ था। वसीम की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसने खुद इतना उम्मीद नहीं किया था। वो दूध पी लिया तो शीतल दूसरे ग्लास से उसे पानी दी। वसीम ने पानी पी लिया और उलास नीचे रख दिया। उसने एक हाथ से शीतल का एक हाथ पकड़ लिया था।
वसीम ने पाकेट में हाथ डाला और एक पेपर निकाला। उसने एक हाथ में ही पेपर को नीचे गिरा दिया और अब उसके हाथ में सोने का कंगन था। उसने दोनों कलाइयों में कंगन पहना दिया। अब शीतल बहुत खुश थी। उसे भी इसकी उम्मीद नहीं थी। एक औरत को जेवर से बहुत प्यार होता है। एक बार वो सोची की मना कर दें, लेकिन फिर सोची की क्यों मना करे? वसीम उसके पति हैं और उनका पूरा हक है और मेरा भी हक है उनसे तोहफा लेने का।
वसीम आगे बढ़ा और शीतल के कंधे को पकड़कर अपने सीने से लगा लिया और शीतल शर्माकर उसके सीने में लिपट गई। वसीम ने शीतल का चेहरा ऊपर किया और उसके फूल से नाजुक होठों पे एक हल्का सा चुंबन लिया। शीतल शर्मा शर्माकर एई-मुई की तरह सिमट गई और वसीम का लण्ड टाइट हो गया। वसीम ने कैमरे को बेडरूम की तरफ मोड़ दिया और फिर शीतल की चुनरी को नीचे गिरा दिया और उसे गोद में उठा लिया और चलता हुआ बेडरूम में आ गया।
वसीम रूम देखकर झम उठा। इसी बेड पे वो शीतल के बेपनाह हश्न के मजे लेगा। उसने शीतल को दरवाजे में ही नीचे उतार दिया और फिर कमरा स्टैंड को लाकर रूम में बैंड के एक कोने में लगाकर ऑन कर दिया।
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