RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम रूम देखकर झम उठा। इसी बेड पे वो शीतल के बेपनाह हश्न के मजे लेगा। उसने शीतल को दरवाजे में ही नीचे उतार दिया और फिर कमरा स्टैंड को लाकर रूम में बैंड के एक कोने में लगाकर ऑन कर दिया।
शीतल तब तक छई-मुई सी बनी हुई ही नजरें झकाए खड़ी रही। सच में शर्म में उसकी हालत खराब हो रही थी। सोचने और करने में वाकई फर्क होता है। वो सुहागरात मानने जा रही थी। ठीक है उसने वसीम से शादी कर ली थी, या पहले भी उसके साथ बहुत कुछ कर चुकी थी। लेकिन थी तो ये उसकी नकली सुहागरात ही, थी तो उसकी दूसरी मुहागरात। उसकी नजरों में ये सही था लेकिन दुनियां की नजरों में तो ये गलत था।
वसीम ने फिर से शीतल को गोद में उठा लिया और आहिस्ते से उसे बेड पे रखा जैसे वो कितनी नाजुक हो और कहीं टूट ना जाए। वसीम ने अपना फूलों का हार उतारकर रख दिया और शीतल के बगल में बैठ गया। शीतल शर्माती हुई बेड में खुद को सिकोड़ने लगी। वसीम में एक हाथ शीतल के कंधे पे रखा और उसके माथे पे चमा। शीतल और सिमटने लगी और इस चुबन में उसके जिस्म को झकझोर दिया। वसीम ने शीतल को थोड़ा सा झकाया और उसकी दोनों आँखों में बारी-बारी से किस किया।
शीतल की आँखें बंद हो गई थी अब। वसीम ने शीतल का भी फलों का हार उतारकर रख दिया। वसीम की नजरों के सामने शीतल के रसीले होंठ थे। वसीम पहले भी इन हसीन लबों का रस पी चका था, लेकिन आज की तो बात ही कुछ और थी। उसने शीतल को थोड़ा और झुका दिया, तो शीतल के होंठ अपने आप खुल गये। वसीम ने भी देरी नहीं की और अपने होंठ शीतल के होठों पे रख दिया और उनके रस को चूसता हुआ शीतल को बेड पे गिराता चला गया। शीतल अब सीधी लेटी हुई थी और वसीम उसके बगल में लेटा हुआशीतल के होठों को चूमने लगा और साथ ही साथ शीतल के पेट को भी सहलाने लगा था।
अब वसीम के लिए खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। वसीम शीतल के पेंट को चूचियों से नीचे तक और लहँगे तक सहला रहा था। लाल लहँगा और चोली के बीच में गोरा चिकना पेट चमक रहा था। वसीम शीतल के होठों को चूसता हुआ उसके पेट को सामने से और बगल से सहला रहा था। शीतल गर मा रही थी। वो अपने पेंट को अंदर करने लगी, ताकी वसीम का हाथ उसके लहँगे के नीचे उसकी चूत पे चला जाए। वसीम समझ तो गया था लेकिन उसे कौन सी हड़बड़ी थी। पूरी रात उसकी थी और आज उसे रूकना भी नहीं था। शीतल को पूरी तरह पा लेना था।
वसीम अपनी जीभ को शीतल के मुँह में करने लगा। शीतल को समझ में नहीं आया की क्या करना है, तो वो भी अपनी जीभ बाहर करके वसीम के जीभ से टकराने लगी। वसीम ने शीतल की जीभ को अपने होठों के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा। शीतल अब पूरी तरह गरमा गई थी। अब वसीम ने अपना हाथ आगे किया और शीतल की चूचियों को चोली के ऊपर से दबाने लगा।
चोली डीप कट की थी तो उसे कोई तकलीफ नहीं थी। वो अपने हाथ को थोड़ा सा तिरछा किया और वसीम का हाथ शीतल की चोली और बा के अंदर उसकी मलपन चूची पे था। वसीम ने शीतल के निपल के करारेपन को महसूस किया। उसने चूची को हल्का सा दबाया और शीतल आह... करती हुई कमर को उठाकर बदन ऐंठने लगी। वसीम चोली के हक को खोलने लगा। सारे बटन खोलने के बाद उसने चोली के दोनों कपों को किनारे कर दिया।
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शीतल की लाल बा चमक उठी। बाउज निपल और गोरा जिस्म लाल बा के अंदर से चमक रहा था। वसीम ने बा के ऊपर से ही एक चूची को कस के मसल डाला। उफफ्फ... शीतल की हालत खराब होती जा रही थी। वसीम शीतल की ब्रा को किनारे करता हुआ निपल को मसलने लगा और बीच-बीच में चूचियों को भी मसल देता था। ब्रा बहुत साफ्ट और ट्रांसपेरेंट थी तो वो बस दिखावे के लिए ही थी।
शीतल अब जल्दी से जल्दी नंगी होना चाहती थी। उसे अपने कपड़े और ज्वेलरी बोझ लग रहे थे। वसीम शीतल की हालत समझ रहा था। वो शीतल की ज्वेलरी उतरने लगा। पहले उसने मौंगटिका उतारा और फिर नाथ। फिर उसने शीतल के कंधे को पकड़कर उठाया और उसके पीछे बैठते हुए उसके गर्दन पे किस किया और जो 4-5 तरह के हार उसने पहनें थे उन्हें उतार दिया। वसीम शीतल की चिकनी पीठ को चूम रहा था और पीठ को बगल को सहला रहा था। फिर वसीम ने शीतल की चोली को उसके बदन से अलग कर दिया। वसीम चिकनी पीठ को अपने होठों से चूमता जा रहा था।
शीतल अपने पैर को मोड़ ली और सिर को घटने में टिकाकर बैठ गई थी।
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