RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल उठी और फिर बाथरूम गई। उसकी चाल बदल गई थी। चूत छिल जाने की वजह से उसे पैर फैला-फैला कर चलना पड़ रहा था। शीतल बाथरूम से आई तो देखी की क्सीम भी निढाल होकर पड़े हए हैं। वसीम का लण्ड पूरी तरह तो नहीं लेकिन टाइट था। शीतल को हँसी आ गई की तीन बार चोदने के बाद भी लण्ड तैयार है। वो अपने मोबाइल में वसीम की 8-10 पिक्स ले ली। शीतल का जी चाहा की वसीम के लण्ड को हाथ लगाए लेकिन उसे पता था की हाथ लगातें ही साँप फन फैला देगा और फिर जहर उगले बिना नहीं मानेगा। शीतल दर से ही अच्छे से पिक ले ली। वसीम साए हुए हैं और फूा घर बिखरा पड़ा है। मुहागरात के लिए सजी हुई सेज अस्त व्यस्त हो चुकी थी। हर फूल मसला हुआ था।
शीतल और वसीम के कपड़े इधर-उधर गिरे हुए थे। अभी तो घर साफ हो नहीं पाएगा। नहा ही लेती हैं पहले आज, घर बाद में साफ करगी। नहाने और चाय पीने से शरीर को भी थोड़ा रिलैक्स लगेगा। एक तो तीन बार पानी छोड़ चुकी हैं चूत से, और उसपे से रात भर साई नहीं हैं। नहा ही लेती हैं पहले।
शीतल नंगी ही बाथरूम चली गई नहाने के लिए। ठंडा पानी पड़ते ही उसके जिश्म को राहत मिली। वो अपने जिस्म को रगड़-रगड़ कर साफ कर रही थी और आईने में अपने जिस्म पे आए लव बाइट्स को देख रही थी। वो अपने कपड़े तो लाई नहीं थी, तो वो नंगी ही गीला बदन लिए बाथरूम से बाहर आ गई।
पता नहीं कैसे वसीम की नींद खुल गई थी। नंगी शीतल के गीले जिश्म को देखकर उसका लण्ड फिर उफान मारने लगा लेकिन इस वक्त वो अपनी इच्छाओं को दबाते हए सोने की आक्टिंग करनें लगा लेकिन उसकी नजर शीतल के जिस्म में ही थी।
शीतल अपने गीले बदन को पोंछी और फिर बाडी लोशन लगाकर चेहरे में क्रीम पाउडर, बिंदी, काजल लगाने लगी। शीतल अब तक नंगी ही थी और जिश्म फ्रेश होकर चमक रहा था।
वसीम उसकी नंगी पीठ, पतली कमर, कमर के बाद उसकी उभरी हई गाण्ड को देखकर निहार रहा था। रात में तीन बार चोदने के बाद भी उसकी प्यास बुझी नहीं थी और अभी उसका जी चाह रहा था की शीतल को पकड़ ले और उसके चिकने ठंडे जिश्म को बाहों में भरकर चमने लगे। लेकिन उसने खुद को रोका। उसका इरादा शीतल को प्यासी रखने का था और इसलिए वो उसे दुबारा चोदना नहीं चाहता था। लेकिन नींद में उसके जिशम ने उसके साथ धोखा किया था और जज्बात में बहकर बा दूसरी बार तो क्या तीसरी बार भी शीतल के जिश्म का चोद चुका था।
शीतल पलटकर वसीम को देखी तो उसे सोते हो पाई। उसे लगा की अभी जाग गये तो एक बार और चोद देंगे, और मेरी चूत तो इनके लण्ड के लिए हमेशा तैयार है। शीतल एक पेंटी ब्रा हाथ में ली लेकिन फिर उसे लगा की अगर फिर से इनका चोदने का मन किया तो? पहले वो सोची की नहीं पहनती हैं, लेकिन फिर लगा की पहन ही लेती हैं। अगर उन्हें चोदना होगा तो उतारने में देर ही कितनी लगती हैं। वो अच्छी वाली डिजाइनर पैंटी ब्रा पहनी। ये भी ट्रांसपेरेंट ही थी। फिर वो एक गंजी कपड़ा बाला नाइटी पहन ली। नाइटी उसके जिश्म से सट रही थी और उसे हसीन बना रही थी। फिर वो एक दुपट्टा सिर पे रखी और सिंदूर लगाने लगी।
शीतल एक बार सोची की- "ये किसके नाम का सिंदूर अपने माँग में भर रही हैं। फिर उसके अंतर्मन ने जवाब दिया. दोनों के नाम का। जब विकास सामने रहें तो विकास का, जब वसीम सामने रहे तो वसीम का और जब दोनों सामने रहे तो दोनों का.." सोचती हई शीतल अपनें मौंग में सिंदूर लगा ली और पूजा रूम की तरफ चल पड़ी।
वसीम शीतल की हरकत को देख रहा था और बहुत मुश्किल से उसने खुद पे काबू पाया था। शीतल के रूम से बाहर निकलते ही वसीम सीधा हुआ और अपने लण्ड को सहलाने लगा। चार-पाँच बार तेज-तेज हाथ चलाने के बाद उसे ठीक लगा और फिर करवट बदलकर वो सोने लगा। उसके प्लान के मुताबिक उसे रात में शीतल को सिर्फ एक बार चोदना था। लेकिन अब तो वो उसे तीन बार बेरहमी से चोद चुका था। अब उसे अपने प्लान में थोड़ा बदलाव लाना था। वसीम भी थका हुआ और रात भर का जगा हुआ था। वो सोचता हुआ सो गया।
शीतल पजा करके आई और किचेन में चाप बनाने लगी। एक बार वो साची की वसीम को सोने देती हैं अभी। लेकिन फिर उसे लगा की जागी तो मैं भी रात भर है और जब मैं जाग गई है तो इन्हें भी जगा देती हैं। वो चाय लेकर रूम में आई तो वसीम सीधा लेटा हुआ था और उसका लण्ड टाइट जैसा ही था। शीतल के मन में शरारत करने का विचार आया। वो चाय को टेबल पे रख दी और वसीम के पास जाने लगी। फिर उसे लगा की ऐसें मजा नहीं आएगा। वो बाहर आ गई और अपनी नाइटी उतारकर अपनी ब्रा उतार दी और फिर नाइटी पहनकर रूम में आ गई।
शीतल वसीम के ऊपर आकर अपने दोनों हाथों को वसीम के अगल बगल में रखी और उसपे अपने जिश्म का भार देते हए वसीम के ऊपर झकने लगी। वा अपनी लटकती चूचियों को वसीम के सीने पै सटा दी और रगड़तें हए थोड़ा ऊपर हो गई। अब वो वसीम के ठीक ऊपर थी और सिर्फ उसकी चूचियों का भार वसीम के सीने में पड़ रहा था। शीतल अपने जिस्म का सारा भार अपने हाथों पे रखी थी।
शीतल वसीम के ऊपर झुक गई और उसके होंठ पे अपने होंठ रखकर चूमकर कहा- "गुड मानिंग..." और शीतल के जिस्म में करेंट दौड़ गया।
वसीम नींद में था। अपने होठों पे शीतल के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसके भी जिस्म में करेंट दौड़ गया। उसका रोम-रोम सिहर उठा और लण्ड एक झटके में सलामी देने के लिए उठकर खड़ा हो गया। अब वसीम शीतल को पकड़कर उसे अपनी बाहों में भरकर चूम सकता था, और चोद भी सकता था। शीतल इसके लिए तैयार थी और वसीम जो भी करता शीतल उसका साथ देती, और वो शीतल के लिए बोनस ही होता।
वसीम की आँखें खुली तो उसकी नजरों के सामने कुछ ही इंच की दूरी पे शीतल का मुश्कुराता चेहरा था।
शीतल फिर से गुड मार्जिंग की और बोली- "उठिए, चाय तैयार है."
शीतल इस उम्मीद में उठने लगी की वसीम उसे उठने नहीं देगा और अपनी बाहों में भरकर उसके होठों को चूमने चूसने लगेगा और उसके जिस्म पे छा जाएगा। इसीलिए तो वो बा उतारकर आई थी ताकी वसीम उसकी नर्म चूचियों को महसूस कर पाए और बा की बजह से उसे कोई रुकावट ना लगे।
लेकिन क्सीम में ऐसा कुछ नहीं किया और शीतल को उठकर अलग हो जाने दिया। वो भी गुड मार्निंग बोलता हुआ उठ बैठा और तब तक मायूस शीतल उस चाय का कप पकड़ा दी।
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