RE: Desi Chudai Kahani मकसद
“फोन की उधर की आवाज” हबीब बकरा सशंक स्वर में वोला, “कैसे सुनाई दे गई तुझे ?”
“दे गई किसी तरह ।” मैं लापरवाही से वोला, “हो जाता है कभी-कभी ऐसा ।”
“तूने सब सुना ?”
“हां ।”
“जानता है मैं किससे बात कर रहा था?”
“अपने बाप ...आई मीन बाँस से ।”'
“और वो कौन हुआ ?”
“वो मुझे क्या मालूम !”
उसके चेहरे पर राहत के भाव आए ।
“मेरे को टॉयलेट जाना है ।”
“क्या ?” वो हड़बड़ाया ।
मैने अपनी कनकी उंगली ऊंची करके उसे दिखाई ।
हबीब बकरे ने हामिद की तरफ देखा ।
हामिद चाय बना रहा था।
हबीब बकरे ने गोद में रखी अपनी रिवॉल्वर उठाकर अपने हाथ में ले ली और उठ खड़ा हुआ ।”
“'चल ।” वह बैडरूम के पिछवाड़े के दरवाजे की ओर इशारा करता हुआ वोला ।
मैं उठकर दरवाजे पर पहुंचा । मैंने उसे खोला तो पाया कि आगे एक लम्बा गलियारा था ।
पहलवान मुझे अपने से आगे चलाता हुआ गलियारे के सिरे तक लाया जहां कि टायलेट था ।
“चल ।” हबीब बकरा बोला “निपट”
मैंने टायलेट के दरवाजे को धकेला ।
“अंधेरा है” मैं बोला ।
“नखरे मत कर ।” हबीब बकरा यूं बोला जैसे मास्टर किसी बच्चे को समझा रहा हो, “भीतर दीवार के साथ स्विच है ।”
मैं भीतर दाखिल हुआ । मैंने अपने पीछे दरवाजा बन्द करने का उपक्रम किया ।
“खवरदार !” हबीब बकरा एकाएक सांप की तरह फुंफकारा ।
मैं निराश हो उठा । मेरा इरादा भीतर से दरवाजा बंद करके गला फाड़-फाड़कर चिल्लाने लगने का था ।
“यार, ये तो बड़ी ज्यादती है ।”, मैं बोला, “यूं तो...”
“बक-बक नहीं ।” वो सख्ती से बोला, “बिजली का स्विच ऑन कर । दरवाजे से परे हट ।”
मैंने दीवार टटोलकर स्विच तलाश किया और उसे ऑन किया । टॉयलेट में रोशनी फैल गई । जगह मेरी अपेक्षा से बड़ी निकली ।
वो भी भीतर दाखिल हुआ । उसने दरवाजा भिड़काया और उससे पीठ लगाकर खड़ा हो गया । रिवॉल्वर उसने मजबूती से थामकर अपने सामने की हुई थी और वो अपलक मुझे देख रहा था ।
“यार” मैंने कहना चाहा, “ये कोई बात हुई जो ...”
“बहस करेगा” वो मेरी बात काटता दृढ स्वर में बोला, “तो जो करना है वो पतलून में ही करेगा ।”
मैंने आह भरी और फिर उसकी ओर पीठ फेरकर कमोड के कामने जा खड़ा हुआ । टॉयलेट के इस्तेमाल की जरूरत के बहाने को साकार करने के लिए मैंने अपने गुर्दों के साथ बलात्कार किया, फिर पतलून की जिप खींची और वॉशबेसिन के सामने जा खड़ा हुआ ।
मैंने नल चालू किया और साबुन उठाकर उससे हाथ मलने लगा ।
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