RE: Desi Chudai Kahani मकसद
“गड़बड़ हो गई शशि” मदान एक क्षण दरवाजे की चौखट पर ठिठका और फिर आगे मेज की ओर बढ़ता हुआ बोला, “हमारा बंदा आया तो है लेकिन स्कीम के मुताबिक लाया नहीं गया । खुद चल के आया है । उस हबीब के बच्चे ने सब गुड़ गोबर कर दिया...”
तब तक मदान मेज के पीछे उसकी कुर्सी के करीब पहुंच गया था । उसने शशिकांत के कंधे पर हाथ रखा तो वो निशब्द आगे को लुढ़क गया और औंधे मुंह सामने मेज पर जाकर पड़ा ।
मदान फटी-फटी आंखो से औंधे मुंह लुढके हुए निश्चेष्ट शरीर को देख रहा था ।
“दौरा पड़ गया ।” फिर वह आतंकित भाव से बोला, “डॉक्टर को फोन करता हूं ।
“ठहरो !” मैं एकाएक बोला ।
वह ठिठका ।
मैंने झुककर अचेत शरीर का मुआयना किया । मैंने गरदन के करीब उसकी शाहरग को छुआ । मैंने उसकी नब्ज टटोली । अंत में मैंने उसे कुर्सी पर पूर्ववत सीधा किया ।
“इसे कोई दौरा-वौरा नहीं पड़ा ।” मैं बोला, “इसे शूट किया गया है ।”
उसके चेहरे पर हाहाकारी भाव प्रकट हुए ।
“मुबारक हो ।” मैं बोला ।
“किस बात की ?” वो बौखलाया ।
“करोड़पति बनने की । वो भी ऐसे कि कोई धोखाधड़ी का खेल भी नहीं खेलना पड़ा बीमा कम्पनी से । असली बीमांकित व्यक्ति की ट्वेंटी फोर कैरेट खालिस लाश तुम्हारे सामने पड़ी है यही तो था तुम्हारा आखिरी मकसद !”
“क्या बकता है ?”
“बकता कहो या फरमाता, ये हकीकत अपनी जगह कायम है कि तुम्हारे जिस भाई का तुम्हारे हक में पचास लाख का बीमा है, वो तुम्हारे सामने मरा पड़ा है ।”
“य..ये पक्की बात है कि ये मर गया है ?”
“हां ।”
“क...कैसे ?”
“कहा न इसे शूट किया गया है । एक गोली ऐन इसके दिल के ऊपर लगी है । छाती में बने सुराख से मालूम होता है कि रिवॉल्वर 22 कैलीबर की थी । बाईस कैलिबर की रिवॉल्वर जनाना हथियार माना जाता है । गोली ऐन दिल में से ही न गुजर गई होती तो ये कभी न मरता ।”
“फिर तो ये किसी पक्के निशानेबाज का काम हुआ ?”
“नहीं । ये तो किसी निपट अनाड़ी का काम मालूम होता है ।”
“क्या कहता है ! जब गोली ऐन दिल में से...”
“यहां एक नहीं, कई गोलियां चली मालूम होती हैं । लगता है किसी ने रिवॉल्वर का रुख इसकी तरफ किया और वो तब तक घोड़ा खींचता रहा जब तक कि गोलियां खत्म न हो गई ।”
“क...कैसे....कैसे कहां ?”
“रिवॉल्वर से निकली हर गोली कहीं न कहीं टकराई है । देखो, एक गोली मेज पर रखे कलमदान के चार होल्डरों में से एक को, दाएं कोने वाले को, लगी है और वो वहां से उखड़कर परे जा के गिरा है । एक गोली पीछे दीवार पर टंगे सजावटी वाललैंप से टकराई है । एक गोली बायीं दीवार पर लगी भागते घोड़ों की तस्वीर में सबसे अगले घोड़े के ऐन माथे में लगी है । एक और गोली ने कुर्सी के पीछे दीवार के साथ लगी वाल कैबिनेट के बाएं कोने में रखे सजावटी घुड़सवार का सिर उड़ा दिया है । और एक और गोली वाल कैबिनेट के दाएं कोने में रखे एटलस के बुत के सिर पर धरती के रूप में लदी घड़ी में लगी है...ये घड़ी काम करती थी ?”
“बढ़िया । एंटीक आइटम है । ग्लोब की तरह बनी ये घड़ी पुराने जमाने की है जिसमें कि चाबी भरी जाती है । सुइयां भी चाबी से ही आगे-पीछे सरकती हैं । इसे...इसे ये घड़ी बहुत पसन्द थी । हमेशा इसका राइट टाइम चैक करके रखता था । कभी एक सैकेंड भी आगे-पीछे नहीं होती थी ये ।”
“यानी कि गोली लगने से पहले ये चल रही होगी ?”
“यकीनन ।”
“और राईट टाइम दे रही होगी ?”
“पक्की बात ।”
“इस वक्त ये आठ अट्ठाईस पर रुकी हुई है । घड़ी, जाहिर है कि गोली लगने से ही रुकी है । इस का साफ और सीधा मतलब ये है कि ये गोलीबारी आठ अट्ठाइस पर हुई थी ।”
“कोई” वो अपनी कलाई घड़ी देखता हुआ बोला, दो घंटे पहले ।”
“लाश एकदम ठण्डी है और अकड़ी हुई है । इस हालत में लाश दो घंटे में नहीं पहुंच सकती ।”
“यानी कि” वो नेत्र फैलाकर बोला, “घड़ी पिछली शाम का वक्त देती रुकी है । ये कल रात का यहां मरा पड़ा है ।”
“ऐसा ही मालूम होता है ।”
“तौबा ।”
जो गोली मैटल के होल्डर से टकराई थी, वो कहीं धंसी नहीं थी । वो होल्डर से छिटककर फर्श पर जा गिरी थी । मैंने घुटनों केबल बैठकर ऐन गोली तक झुककर उसका मुआयना किया ।
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